Book Title: Arhat Dharm Prakash
Author(s): Kirtivijay Gani, Gyanchandra
Publisher: Aatmkamal Labdhisuri Jain Gyanmandir

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir महा प्रभाविक नवकार मंत्र नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं नमो लोए सव्व साहूणं ऐसो पंच नमुक्कारो, संव्व पावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवाइ मंगलं ॥ ऊपर लिखे अनुसार नवकार मंत्र के नव पद हैं, यह नवकार मंत्र चौदह पूर्व का सार रूप है। यह मंत्र अचिंत्य प्रभावशाली है। इसके प्रभाव से देव और दानव भी आकर्षित होते हैं । सर्व मनोरथ फलते ( पूर्ण होते ) हैं । विघ्न और विपदाएँ दूर सुदूर भाग जाती हैं । उपसर्गों का नाश होता है । यह चिंतामणिरत्न, कल्पवृक्ष तथा कामधेनु से भी अधिक इच्छाओं को पूर्ण करता है । इस महामंत्र के ध्यान से क्लिष्ट कर्मों का नाश होता है । सर्व प्रकार के पाप का नाश होता है । इस लोक और परलोक में सुख-सामग्री और अपूर्व ऋद्धि-सिद्धि मिलती | निकाचित और निबिड़ कर्मों की निर्जरा होती है । जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं । जन्म-मरण की बेड़ी कट जाती हैं । दुर्गति के घोर दुखों से आत्मा बच जाती है । श्रात्मा कर्म रहित होकर शुद्ध तथा निर्मल बनती है । प्रातःकाल के स्मरण से सारा दिवस मंगलय बीतता है । जनमते ही सुनाया जाये तो जन्म सफल For Private And Personal Use Only

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