Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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४
॥ आरंभ सिद्धि ||
रिक्ता एटले चोथ, नोम ने चौदशे पूर्वापाढा, उत्तराषाढा, विशाखा, अनुराधा, पुनसुने मघा होय, तथा पूर्णा एटले पांचम, दशम ने पूर्णिमाए दस्त, धनिष्ठा ने रोहिणी नक्षत्र होय तो ए मृतक अवस्था नक्षत्र कहेवाय बे, माटे नंदि प्रतिष्ठा आदि शुभ कार्यमा बुद्धिवान पुरुषोए तजवा योग्य बे."
तथा अबला नामे योग या प्रमाणे थाय बे. - “ कत्तिपनिई चउरो सपि बुहि ससि सूर वार जुत्तकमा । पंचमि बि एगारसि बारसि वला सुहे कओ ॥ १ ॥ "
"कृत्तिका आदि चार एटले कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर अने आर्षा नक्षत्र शनि, बुध, सोम ने रविवारे अनुक्रमे होय, तथा ते दिवसे अनुक्रमे पांचम, बीज, अग्यारश छाने बारश होय तो छावला नामनो योग थाय बे. या योग सर्व कार्यमा अशुन बे." पाकश्री ग्रंथमां ऋतुने श्रीने शुभ तथा अशुभ योग या प्रमाणे बे. - " कत्ति न मग्गसिरे वि ा पंचमि गुरुवार पुण्वसू चेवं ।
सुहाति सरए श्रद्दा दसमी कुजे सुहा ॥ १ ॥”
"कार्तिक ने मार्गशीर्ष मासमां पांचम, गुरुवार ने पुनर्वसु ए त्रणे एक दिवसे होय तो ते दिवसे शुभ योग कहेवाय बे. तथा शरद् ऋतुमां ( कार्तिक तथा मार्गशीर्ष मासमां ) श्रार्षा, दशम अने मंगळवार ए त्रणे एक ज दिवसे होय तो ते अशुभ योग जावो. १.”
" पोसे माहे बडी निगुत्तराफग्गु का कक्करा ।
सुहइगारसि गुरुणा फग्गुणि पुत्रा य हेमंते ॥ २ ॥ "
"पोष तथा माघ मासमां बघ, शुक्रवार ने उत्तराफाल्गुनी एक ज दिवसे होय तो ते दिवसे कार्यनी सिद्धि थाय बे अर्थात् शुन बे तथा हेमंत ऋतुमां ( पोप अने माघमा ) ग्यारस, गुरुवार ने पूर्वाफागुनी एक ज दिवसे होय तो ते शुज बे. २.” " फग्गुण चित्ते मासे तेरसि सफला विसाह बुदवारो । बारस के साइ वसंतकाले विवजिका ॥ ३ ॥"
"फाल्गुन तथा चैत्र मासमां तेरश, विशाखा ने बुधवार एक ज दिवसे होय तो ते सफळ ( शुभ ) बे. तथा वसंतकाळे ( फागण ने चैत्रमां ) वारश, शुक्र छाने स्वाति एक ज दिवसे होय तो ते वर्ज्य बे. ३”
"वसाह जि सूरो परिवय मूलो छ उत्तराफग्गू । सुह म्हि सुह तेरसि सविारे सवणनरकत्तं ॥ ४ ॥ "
१ अहीं मासनी गणतरी पूनमीया महीना प्रमाणे करवी. एटले के कार्तिक मास गुजराती प्रमाणे लेवो होय तो आश्विन वद तथा कार्तिक शुद्ध जाणवो.
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