Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text
________________
४३०
॥ लग्नशुधिः ॥ ___ सूर्य संक्रांति जे दिवस बेसती होय तेनी पहेलांनो एक दिवस, तेनी पनीनो एक दिवस थने तेज एक दिवस एम ए त्रण दिवस तथा संक्रांतिए करीने दग्ध तिथियो था आगल गाथामां कहे जे तेने शुन्न कार्यमां वर्जवी. ३ए.
दग्ध तिथि कहे बे. धणुमीणगए बीआ विसे अ कुंने श्र तह चनत्थीए । ककममेसे बही अहमि मिहुणो श्र कन्ने अ॥ ४० ॥ विछियसीहे दसमी तुले अमयरे अ बारसी नणिया।
एथा दकृतिही वोथवा पयत्तेणं ॥४१॥ धन के मीननी संक्रांतिमां बीज दग्ध तिथि कहेवाय बे. वृष के कुल संक्रांतिमां चोथ, कर्क के मेष संक्रांतिमां बस, मिथुन के कन्या संक्रांतिमां आम ४०. वृश्चिक के सिंह संक्रांतिमां दशम तथा तुला के मकर संक्रांतिमां बारश ए तिथि दग्ध तिथि कहेवाय बे. ते शुन्ज कार्यमा प्रयले करीने वर्जवी. ४१.
ससिसुराणं गहणं जंमि दिणं मि तमाश् काजं ।
सत्तदिणा वजाह ताज गदणदाई॥४२॥ चंड अथवा सूर्यनुं ग्रहण जे दिवस अयुं होय ते दिवसभी श्रारंजीने सात दिवस वर्जवा, कारण के ते ग्रहण दग्ध कहेवाय . ४२. । इति संक्रांतिदग्धग्रहणदग्धतिथयः॥ इति दिनबारम् । (२)
सूरे बारसि सोमे गारसी दसमि मंगले वजा।
नवमि बुहे गुरु अहमि सत्तमि सुकम्मि सणि बही ॥४३॥ __ बारश ने रविवार होय, अगीयारश ने सोमवार होय, दशम ने मंगळ होय, नोम ने बुध होय, आम ने गुरु होय, सातम ने शुक्र होय तथा ब ने शनिवार होय तो ते वर्य ने, कारण के ते कर्क योग कहेवाय जे. ४३. । इति कर्कयोगः।
ससिसूरदिणे सत्तमि तश्या सुक्कम्मि कि गुरुवारे।
पडिवय तश्या य बुहे विवजिया सुहे कळे ॥ ४ ॥ सोम के रविवारे सातम होय, शुक्रवारे त्रीज होय, गुरुवारे बह होय, बुधवारे पझवो के बीज होय तो ते शुल कार्यमा वर्ण्य , केमके ते संवर्तक योग कहेवाय है. प. इति संवर्तकयोगः।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org