Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
View full book text ________________
୫୯
॥ दिनशुद्धिः॥ ॥ अथ रत्नशेखरसूरिविरचिता ॥
॥ दिनशुद्धिः॥
जोश्मयं जोश्गुरुं वीरं नमिऊण जोश्दीवाउ ।
दिणसुद्धि दीवियमिणं पयमत्थं चेव पयडेमि ॥१॥ ज्योतिषमय अने ज्योतिषना गुरुरूप श्रीमहावीर खामीने नमस्कार करीने ज्योतिषरूपी दीवा की आ प्रगट अर्थवाळा दिनशुद्धि नामना दीपकने हुं प्रगट करुं बु. १.
प्रथम वारना अधिपतिउने तथा तेनी सौम्य विगेरे संझाने कहे . रविचंदजोमबुहगुरुसुक्कसणीया कमेण दिणनाहा ।
चं सु [ सोमा मं स र कूराय बुहो सहायसमो ॥२॥ रवि, चंड, नौम, बुध, गुरु, शुक्र अने शनि ए अनुक्रमे वारोना स्वामी जे. तेमां चंग, शुक्र अने गुरु एत्रण सौम्य बे, मंगळ, शनि अने रवि ए त्रण क्रूर , तथा बुध सहायनी जेवो डे, एटले के सौम्य ग्रह साधे रह्यो होय तो सौम्य , अने क्रूर साथे रह्यो होय तो क्रूर ने, तथा एकलोज होय तो ते सौम्यज . २.
हवे वारने विषे होराउँने कहे जे.चं स गु मं र सु बु वलयकमसो दिणवारमाश् उ किच्चा। सघमी दोमाणा होराहिव पुन्नफलजणया ॥३॥ अढी घमीनी एक होरा होवाथी एक रात्रि दिवसमां चोवीश होरा श्रावे . ते होराऊना स्वामी या प्रमाणे बे.-चंत्र, शनि, गुरु, मंगळ, रवि, शुक्र अने बुध श्रा वलयाकारना अनुक्रमथी दिवसना वारने प्रथम करीने अढी घमीना प्रमाणवाळी होराना अधिपति ने, एटले के सोमवारे पहेली होरा चंजनी, बीजी शनिनी, त्रीजी गुरुनी, चोथी मंगळनी, पांचमी रविनी, बनी शुक्रनी अने सातमी बुधनी. पनी आठमी चंपनी, नवमी शनिनी एम अनुक्रमे चोवीशे होराना स्वामी जाणवा. एज रीते शनिवारे पहेली होरा शनिनी, बीजी गुरुनी, त्रीजी मंगळनी एम गणतां सातमी चंजनी, पनी फरीने आवमी शनिनी विगेरे. ए रीते जे दिवसे जे वार होय ते वारना नामनी पहेली होरा गणीने त्यारपीना
भी पहेली होरा गपीने त्यारपतीना आ वलयमां गणावेदा अनुक्रमे स्वामी जाणवा. आ होराना स्वामी वारना पूर्ण फळने श्रापनारा , एटले के सौम्य ग्रहनो
भा० ५७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524