Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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॥ दिनशुद्धिः॥
४७ हवे चंजनी बार अवस्था कहे .गय हरिष मया मोया हासा किड्डा रई सयणमसणं ।
तावा कंपा सुत्था ससिवत्था बार नामफला ॥२२॥ दरेक राशिमा रहेला चंजनी वार अवस्था होय जे ते आ प्रमाणे-गता १, हता २, मृता ३, मोदा ४, हासा ५, क्रीमा ६, रति ७, शयन ७, अशन ए, तापा १०, कंपा ११ अने स्वस्था १२. आ बार चंनी अवस्था पोतपोताना नामनी सदृश फळने थापनारी जे. २२.
चंपनी बार अवस्था होवाथी दरेक राशिना बार बार अंशो थया. तेने श्राश्रीने शुनाशुल फळ कहे .
परासि बारसंसा असुदा उ चए ज सुहो वि ससी।
एयाहिं हव असुहो सुदाहिं असुहो वि हो सुहो ॥२३॥ दरेक राशिना बार बार अंशो बे. तेमां जे अशुन्न अंशो ले ते शुज चंड होय . तोपण वर्जवा, कारण के ए अशुल अंशोए करीने सारो चंड पण अशुन थाय ,अने अशुज चं पण शुन अंशोए करीने शुल बाय बे. २३.
दाहिणुच्चो समो चंदो उत्तरुच्चो हलोवमो।
धणु वको अ सुखानो नेसासु कमुकमा ॥ २४ ॥ सूर्य संक्रांतिमां नवीन उदय श्रयेल चंड अनुक्रमे करीने तथा उत्क्रमे (उलटा क्रमे) करीने दक्षिण दिशामां उंचो होय, सम होय, उत्तर दिशामां ऊंचो होय, हळ सदृश होय, धनुष जेवो वांको होय शूळ सदृश होय ते श्रेष्ठ , अर्थात् मेष तथा मीन संक्रांतिमां दक्षिण दिशामां ऊंचो होय, वृषन्न अने कुंलमा सम होय, मिथुन अने मकरमा उत्तर तरफ उंचो होय, कर्क अने धनमां हळ समान होय, सिंह अने वृश्चिक संक्रां तिमां धनुष समान वांको होय, कन्या अने तुला संक्रांतिमां नवीन उदय श्रयेल चंग शूळ सदृश होय ते श्रेष्ठ जाणवो. बीजा काळमां अशुन बे. २४.
॥इति चन्अबलम् ॥
हवे ताराबळने कहे बे.जम्मा कम्मं च श्राहाणं तारा अहह अंतरे । सस्सनामफला सवा अंतरा श्थ नामिया ॥२५॥
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