Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 502
________________ ४६६ ॥दिनशुधिः॥ पहि कुसलु लग्गि तिहि कऊ सिछि लानं मुहूत्त हो। रिकेणं आरोग्गं चंदेणं सुरक संपत्ती ॥१॥ सन्न सारुं होय तो मार्गमां कुशळता रहे , तिथि सारी होय तो कार्यनी सिद्धि थाय ने, मुहूर्त सारुं होय तो लाल थाय ने, नत्र सारूं होय तो शरीरे आरोग्यता रहे जे अने चंग सारो होय तो सुख संपत्ति मळे बे. ६१. प्रयाणमां शुन्न तिथि तथा तेनुं फळ कहे .पाभिवए पमिवत्ती नस्थि विवत्ती नणंति बीयाए । तश्या अत्थ सिद्धी विजयंगी पंचमी जणिश्रा ॥ ६॥ सत्तमिश्रा बहुलगुणा मग्गा निकंटया दस मियाए। आरुग्गिया गारसि तेरसि रिजणो निविजिण॥३॥ परवाने दिवसे प्रयाण करवाथी मार्गमा प्रतिपत्ति थाय, बीजने दिवसे प्रयाण करवाथी विपदा न श्रावे, त्रीजे प्रयाण करवाथी अर्थनी सिद्धि थाय बे, पांचमे विजय थाय . ६२. प्रयाणमा सातम बहु गुणवाळी कही बे, दशमे प्रयाण करवायी मार्ग निष्कंटक (शत्रु रहित) थाय ने, अगीयारशे प्रयाण करवायी श्रारोग्यता रहे डे तथा तेरशे प्रयाण करवायी शत्रुने जीते जे. ६३. प्रयाणमां वर्ण्य तिथिळ.चाउदसिं पन्नरसिं वजिजा अहमि च नवमि च। बहिं चउत्थिं बारसिं च पुन्हं पि परकाणं ॥ ६४॥ बन्ने पखवामीयांनी चौदश, पूनम (अमास ), आठम, नोम, बस, चोथ श्रने बारश एटवी तिथि प्रयाणमां वयं . ६४. तिथि अने नक्षत्रने योगे प्रयाणमां शुज वार कहे .दसमि पंचमि तेरसि बीअगो निगुसु गमणेऽतिसुहावहो । गुरु पुणवसु पुस्स विसेस सयजिसा अणुराद बुहे तहा॥६५॥ शुक्रवारे दशम, पांचम, तेरश के बीज होय तो ते दिवस प्रयाणमां अति सुखावह के. गुरुवारे पुनर्वसु के पुष्य नक्षत्र होय तो ते प्रयाणमा विशेष सुखावह वे. तथा बुधवारे शतभिषक् के अनुराधा होय तो ते पण सुखावह बे. ६५. प्रयाणमां सामान्य शुन्न दिवस कहे .सबदिसि सबकालं सिकिनिमित्तं विहारसमयं मि। पुस्सस्सिणि मिग हत्था रेवश्सवणा गहेयवा ॥६६॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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