Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 494
________________ ॥दिनशुद्धिः॥ संपई आवई खेमा जामा साहण निकणा। मित्ती परममित्ती अपुछा ति सग पंचमा ॥२६॥ जम्मादाणा विवजिजा गमे एयाहिं वाहिजे । कोण जीवई किण्हे परके चंदुत्तरा श्मा ॥२७॥ सत्यावीश ताराने त्रण लाइनमां मूकवी. तेमां पहेली लाश्नमा प्रथम जन्म, बीजी इनमा प्रथम कर्म अने त्रीजीमां प्रथम आधान एम आठ आठ ताराउने श्रांतरे रानी संज्ञा जाणवी. ते पोतपोताना नामनी सदृश फळ आपे बे. हवे आंतरानी व आठ ताराऊनी संझा आ प्रमाणे (२५)-संपद् १, आपद् २, हेमा ३, माप, साधना ५, निर्धना ६, मैत्री ७ अने परम मैत्री . ( नपरनी एक एकने ये गणीए त्यारे नव नव थाय बे.) तेमांत्रीजी, सातमी भने पांचमी तारा दुष्ट २६. तेनो यंत्र नीचे प्रमाणे.जन्म संपद् | श्रापद् क्षेमा । यामा साधना निर्धना मैत्री परम मैत्री __॥ ॥ - श्राधान | ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ आमांथी जन्म अने श्राधान ए बे तारा गमनमा तजवा योग्य बे..त्रीजी, पांचमी, मी, जन्म श्रने आधान आ तारामां व्याधि थर होय तो ते महाकष्टे जीवी शके जे, के प्राये मरणज थाय. कृष्णपक्षमां आ ताराउनुं वळ चंज करतां अधिक होय .२७. ॥इति ताराबलम् ॥ हवे रवि योग कहे .चन बह नवम दसमं तेरस वीसं च सूर रिका। ससिरिकं होश तया रविजोगो असुइसयदलणो ॥॥ पुर्यना नदत्रयी चंघनुं नक्षत्र जो चोथु, बटुं, नवमुं, दशमुं, तेरमुं के वीशमुं होय रवि योग कहेवाय जे. श्रा योग सेंकमो अशुनने नाश करनार बे.२०.इति रवियोगः कुमार योगसोमे नोमे बुहे सुके अस्सिणाई बिरंतरा। पंचमी दसमी नंदा सुहो जोगो कुमारउ ॥ ए॥ सोम, मंगळ, बुध के शुक्रवारे अश्विनी, रोहिणी विगेरे बबे अांतरावाळां (अ. रो. म. ह. वि. मू. श्र. पू-ला.) नक्षत्रमांनुं को एक होय तथा पांचम, दशम के नंदा | कम, बस अने अगीयारश )मांनी को पण तिथि होय तो कुमार योग . ते शुन . . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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