Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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॥ दितीयो विमर्शः ॥ वर्गनी कुमळीमां सर्व मळीने सूर्यनी ४ रेखा श्रइ. ए ज प्रमाणे बीजी, त्रीजी विगैरे चंजादिकना अष्टकनी कुंमळीमा अनुक्रमे सर्व रेखाउँ करवी. तेथी चंधनी कुंमळीमां पए, मंगळनी कुंमळीमा ४०, बुधनी कुंमळीमा ५७, गुरुनी कुंमळीमा ५६, शुक्रनी कुमळीमा ५२, अने शनिनी कुंमळीमा ३ए रेखा कुल पाय .” कह्यु ले के
“वसुवेदौ १ नन्दवेदौ खवेदौ ३ वसुसायकौ ।।
षड्वाणौ ५ विशरौ ६ नन्दवह्नी ७ रेखा श्नादिजाः॥१॥" "सूर्यथी श्रारंजीने अनुक्रमे पए,४०,५८,५६,५३ अने ३ए रेखा आय जे.”
आ प्रमाणे एक एक ग्रहना अष्टकवर्गनी कुंमळीमां बारे राशिनां स्थानोमां जेम संजवे तेम एक एक रेखा देवी (करवी), अने बाकीनां स्थानोमां शून्य मूकवी. एम करवाथी एक ग्रहने स्थाने उत्कृष्टी आठ रेखानो संन्नव श्राय बे. त्यारपजी कार्य वखते जे ग्रह जे राशिमां होय, ते स्थान जो. ते स्थानमां जो रेखानुं अधिकपणुं होय तो ते ग्रहण करवू श्रेष्ठ , शून्यनुं अधिकपणुं होय तो अशुन जाणवो.
श्रा बन्ने मतनुं तत्त्व सरखं ज . ते रेखाउँनो उपयोग आ प्रमाणे.
"चतुरेखे मध्य फलं होने हीनं ततोऽधिके श्रेष्ठम् ।
विफलं गोचरगणितं त्वष्टकवर्गेण निर्दिष्टम् ॥१॥" "चार रेखा श्रावे तो मध्यम फळ, तेथी उडी आवे तो हीन फळ थने तेथी अधिक श्रावे तो श्रेष्ठ फळ जाणवू, अने या श्रेष्ठ फळ अष्टकवर्गे बताव्युं होय त्यारे गोचरथी गणेलुं गोचरफळ निष्फळ थाय .” ___ या सर्व एक ग्रहने आश्रीने कर्तुं वे. तात्कालिकना सर्व ग्रहोनी रेखा मेळवीए तो सोळथी उजी रेखा कदापि न थाय, पण सत्तरथी आरंजीने उत्कृष्टी ५६ रेखा सुधी श्राय जे. ते वखते सत्तरथी बवीश सुधीनी अशुन जाणवी, सत्यावीश होय तो मध्यम, अने अठ्यावीशथी आरंजीने उप्पन सुधी उत्तरोत्तर शुज, शुनतर अने शुलतम जाणवी. कर्वा के
"रेखाधिक्यं शस्तं शून्याधिक्यं तथाऽधमं कथितम् ।
एतत्संयोगे स्युः षट्पञ्चाशन्न जातु अधिकास्ताः॥१॥" "अधिक रेखा होय तो प्रशस्त ने अने शून्य अधिक होय तो अधम कडं जे. ए सूर्यादिक सर्वनी रेखाउने एकठी करीए तो बप्पन थाय बे, पण तेथी अधिक थती नथी, कारण के सूर्यादिक सात ग्रहोनी दरेकनी आठ श्राप रेखा मेळववाथी बप्पन ज थाय जे.” विशेष ए जे जे-"जो के "चतुरेखं मध्यफलं" "चार रेखा मध्य फळवाळी " एम पूर्वे कडं ने, तोपण जे ग्रहना अष्टकवर्गनी शुद्धिते वखते जोवाती होय, ते
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