Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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॥ चतुर्थो विमर्शः ॥
२३ए
मंगळ होय त्यारे तुला लग्नमां गीयारमो ने मकर लग्नमां वारमो योग थाय बे. हवे एक ग्रह श्रीने चार योगो या प्रमाणे. – कर्कनो चंद्र ने मेष लग्नमां सूर्य रह्यो होय त्यारे पहेलो, कर्कना लग्नमां चंद्र ने गुरु होय त्यारे वीजो, कर्कनो चंद्र छाने तुला लग्नमां शनि होय त्यारे त्रीजो अने कर्कनो चंद्र तथा मकर लग्नमां मंगळ होय त्या चोथो योग थाय बे. उपरना वार सहित करतां सोळ याय ने प्रथमना सोळ साथे करतां कुल वत्रीश राजयोगो थया.
हवे १२० राजयोगो याय वे ते कहे बे.. "वर्गोत्तमगते लग्ने चन्द्रे वा चन्द्रवर्जितैः ।
चतुराद्यैर्ग्रहैर्दृष्टे नृपा द्वाविंशतिः स्मृताः ॥ २ ॥”
“लग्न अथवा चंद्र वर्गोत्तममां रह्या होय, अने ते ( लग्न अथवा चंद्र ) ने चंद्र विनाना चार, पांच के ब ग्रहोए जोयेला होय त्यारे बावीश राजयोग थाय बे."
जे राशि लग्नमां होय ते राशिना ज नामनो जे नवांश ते वर्गोत्तम कहेवाय बे, ने तेज नवांश लग्नमां श्राव्यो होय तो ते लग्न वर्गोत्तम कद्देवाय बे. ए ज प्रमाणे चंद्रमां पण जावं. लग्न के चंद्र वर्गोत्तमनो होय ने तेना पर चंद्र सिवाय वीजा चार, पांच के ब ग्रहोनी दृष्टि पकती होय तो दरेक लग्नने याश्री ने बावीश बावीश राजयोगो थाय बे. ते श्रा प्रमाणे. - . - लग्न उपर चार ग्रहोनी दृष्टिपकती होय तो पंदर जेद थाय बे, पांचनी दृष्टिपती होय तो बने बनी दृष्टि पकती होय तो एक जेद ए रीते वावीश भेद थाय बे, एटले के लग्नने रवि, मंगळ, बुध छाने गुरुए चार ग्रहोए जोयुं होय त्यारे पहेलो योग थाय बे. रवि, मंगळ, बुध ने शुक्र जोता होय त्यारे बीजो. रवि, मंगळ, बुध ने शनि जोता होय त्यारे बीजो. रवि, मंगळ, गुरु ने शुक्र जोता होय त्यारे चोथो. रवि, मंगळ, गुरु छाने शनि जोता होय त्यारे पांचमो. रवि, मंगळ, शुक्र अने शनि जोता होय त्यारे बघ. रवि, बुध, गुरु ने शुक्र जोता होय त्यारे सातमो. रवि, बुध, गुरु अने शनिनी दृष्टि हो त्यारे मो. रवि, बुध, शुक्र छाने शनिनी दृष्टि होय त्यारे नवमो. रवि, गुरु, शुक्र छाने शनिनी दृष्टि होय त्यारे दशमो. मंगळ, बुध, गुरु ने शुक्रनी दृष्टि दोय त्यारे
यारमो . मंगळ, बुध, गुरु ने शनिनी दृष्टि होय त्यारे वारमो. मंगळ, बुध, शुक्र शनिनी दृष्टि होय त्यारे तेरमो. मंगळ, गुरु, शुक्र अने शनिनी दृष्टि होय त्यारे चौदम. तथा बुध, गुरु, शुक्र ने शनिनी दृष्टि होय त्यारे पंदरमो राजयोग थाय बे. हवे पांच होनी दृष्टिए करीने व योग या प्रमाणे बे- रवि, मंगळ, बुध, गुरु अने शुक्रनी दृष्टि पकती होय त्यारे पहेलो राजयोग थाय बे. रवि, मंगळ, बुध, गुरु छाने शनिनी दृष्टि होय त्यारे बीजो. रवि, मंगळ, बुध, शुक्र छाने शनिनी दृष्टि होय त्यारे
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