Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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३२०
॥ श्रारंसिधि॥ बन्ने बाजुश्री संघट्टो थवाथी (लग्ननी साथे अथमावाथी ) ते क्रूर कर्तरी अति दुष्ट कहेवायचे. तेनी स्थापना या प्रमाणे.
२मं.
१२श.
ज्यारे व्यय (बारमा )स्थानमा रहेलो क्रूर ग्रह अतिचारवाळो ( शीघ्र गतिवाळो) होय त्यारे ते क्रूर कर्तरी विशेषे करीने अति उष्ट जाणवी, केमके तेनो संघहो शीघ्रपणे थाय ने माटे. १. ज्यारे धन (२) अने व्यय (१२) बन्ने स्थानमा रहेला क्रूर ग्रहो मध्य गतिवाळा होय, अथवा ते बन्ने स्थानमा रहेला क्रूर ग्रहो वक्र गतिवाळा होय तो ते क्रूर कर्तरी मध्यम उष्ट बे, कारण के लग्नने एक बाजुश्रीज संघट्टो थाय बे. २. परंतु ज्यारे धन (२) स्थानमा रहेलो क्रूर ग्रह मध्यम गतिवाळो होय आने व्यय (१३) स्थानमा रहेलो वक्री होय त्यारे ते क्रूर कर्तरी अटप पुष्ट जाणवी, कारण के ते बन्ने बाजुनी कर्तरीनो वियोग थाय बे. तेमां पण जो धन (२) स्थानमा रहेखो क्रूर ग्रह अतिचारी (शीघ्र गतिवाळो) होय तो ते विशेषे करीने अटप 5ष्ट बे, कारण के तेनो शीघ्रपणे वियोग थाय जे. ३. आनी नावना उपर आपेली स्थापनाने विषे स्वयं करी खेवी. एज प्रमाणे चंजनी बन्ने बाजुए क्रूर ग्रहो रहेला होय तो तेनी पण त्रणे प्रकारनी क्रूर कर्तरी जाणी लेवी. अहीं आ प्रमाणे विशेष -
"क्रूरग्रहस्यान्तरगा तनुज़वेन्मृतिप्रदा शीतकरश्च रोगदः । शुलैर्धनस्थैरथवाऽन्त्यगे गुरौ, न कर्तरी स्यादिह नार्गवा विपुः ॥१॥"
"त्रिकोणकेन्गो गुरुस्त्रिलानगो रविर्यदा।।
तदा न कर्तरी नवेजगाद बादरायणः ॥२॥" "बे क्रूर ग्रहनी मध्ये लग्न रह्यु होय तो ते ( कर्तरी ) मृत्युने करे , अने चंड रह्यो होय तो ते रोगने करे , परंतु धन (२) स्थानमा शुन ग्रह रह्या होय अथवा बारमा स्थानमा गुरु रह्यो होय तो कर्तरी थती नथी एम नार्गव कहे . (१). ज्यारे त्रिको
मां के केंजमां गुरु रह्यो होय, अनेत्रीजा तथा अगीयारमा स्थानमा रवि रह्यो होय त्यारे पण कर्तरी अती नथी एम बादरायण (व्यास ) कहे . २."
वळी जो कदाच बीजु लग्न नहीं मळवाथी क्रूर कर्तरीनो त्याग थर शके तेम न होय तो खननी बन्ने बाजुना पंदर पंदर त्रिंशांशोनी अंदर जो क्रूर ग्रहो श्रावता होय तो ते
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