Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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॥ श्रारंसिधि॥ लग्नमां त्रीजा मीन अंशना पहेला ७ पळोमां ब वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व , तथा वृष लग्नमां पांचमा वृष अंशना पहेला १४ पळोमां ब वर्गनी शुद्धि अने जळ तत्त्व .. २. मिथुन लग्नमां बन मीन अंशना पहेला - पळोमां व वर्गनी शुद्धि अने जळ तत्त्व जे, अने पांच वर्गनी शुद्धि तो वादशांशनी अशुद्धि होवाथी आखा नवांशकमां ने. ३. कर्क लग्नमां पहेला कर्क अंशना पहेला २७ पळोमांब वर्गनी शुछि अने पृथ्वी तत्त्व , तथा कर्क लग्नमां त्रीजा संपूर्ण कन्या अंशमा उ वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व . ४. सिंह लग्नमां बजा कन्या अंशमां दश पळ पठी २० पळोमां लग्ननी अशुद्धि होवाथी पांच वर्गनी शुद्धि अने जळ तत्त्व बे. ५. कन्या लग्नमां त्रीजा मीन अंशमां नव पळ पजीनी २७ पळोमांउ वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व . ६. तुला लग्नमां आठमा वृष अंशमां पहेला १० पळोमां 3 वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व बे, तथा तुला लग्नमां नवमा मिथुन अंशमां बेला २७ पळोमांउ वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व बे. ७. वृश्चिक बग्नमां चोथा तुला अंशमां पहेला २७ पळोमां लग्ननी अशुद्धि होवाथी पांच वर्गनी शुद्धि अने जळ तत्व बे. . धन लग्नमां बना संपूर्ण कन्या अंशमा जेष्काणनी अशुद्धि होवाथी पांच वर्गनी शुद्धि अने जळ तत्त्व, तथा धन लग्नमां सातमा तुला अंशमां बेला ए पळोमां घादशांशनी अशुद्धि होवाथी पांच वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व , तथा धन लग्नमां नवमा धन अंशमां पहेला ए पळोमां द्वादशांशनी अशुद्धि होवाश्री पांच वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व के. ए. मकर लग्नमां पांचमा वृष अंशमा पहेला १६ पळोमां लग्ननी अशुद्धि होवाथी पांच वर्गनी शुद्धि अने जळ तत्त्व वे. १०. कुंज लग्नमां बच वृष अंशमां बेला २० पळोमां लग्ननी अशुद्धि होवाथी पांच वर्गनी शुद्धि अने जळ तत्त्व बे, तथा कुंज लग्नमा यातमा वृष अंशन बेला १४ पळो अने नवमा मिथुन अंशना पहेला ७ पळो कुल २१ पळोमां लग्ननी अशद्धि होवाथी पांच वर्गनी शुद्धि श्रने पृथ्वी तत्त्व . ११. मीन लग्नमां पहेला कर्क अंशमां पहेला १० पळोमां 3 वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व , तथा मीन लग्नमां त्रीजा २५ पळवाळा संपूर्ण कन्या अंशमां ब वर्गनी शुद्धि अने पृथ्वी तत्त्व जे. १२.
मूळ श्लोकमां “कृतानि"-"करेलां कार्यो" एम लख्युं . ते विषे वृयो कहे ले केदीक्षा, प्रतिष्ठा, तीर्थयात्रा, पदवी आरोपण विगेरे कार्योने मध्ये जे कोश्कार्यमांजे नक्षत्र, जे वार श्रने जे तिथिनो अधिकार को होय ते सर्व सारी रीते शुद्ध जोड्ने रवियोग अने सिद्धि योगादिक सहित प्रथम दिनशुद्धि अने पळी लग्नशुद्धि अने त्यारपजी नवांशशुद्धि जोवी. सर्वथा प्रकारे शुद्ध लग्न न मळी शके अने कार्य अवश्य करवान होय तो शुल दिनशुधिमां, गया लग्नमां, ध्रुव लग्नमां, विजय मुहूर्त्तमां के शुक्ल चोघमीयामां कार्य करवू ए समग्र ग्रंथर्नु रहस्य .
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