Book Title: Arambhsiddhi Lagnashuddhi Dinshuddhi
Author(s): Udayprabhdevsuri, Haribhadrasuri, Ratshekharsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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॥क्तिीयो विमर्शः॥ ___ अहीं कोई शंका करे ने के-"शुं सर्वे ग्रहोनी सातमा स्थानमा ज पूर्ण दृष्टि ? के कोश्ने बीजे स्थाने पण पूर्ण दृष्टि के ?" ते पर कहे .
पश्येत्पूर्ण शनिळतृव्योम्नी धर्मधियो गुरुः।
चतुरस्त्रे कुजोऽर्केन्ऽबुधशुक्रास्तु सप्तमम् ॥ ३४ ॥ अर्थ-शनि त्रीजा अने दशमा स्थानने पूर्ण दृष्टिए जुए , गुरु नवमा अने पांचमा स्थानने पूर्ण दृष्टिए जुए ने, मंगळ चोथा अने आठमा स्थानने संपूर्ण दृष्टिए जुए ने, तथा सूर्य, चंञ, बुध अने शुक्र तो सातमा स्थानने पूर्ण दृष्टिए जुए बे.
नावार्थ-त्रीजा अने दशमा स्थान उपर बीजा ग्रहोनी एक पाद दृष्टि से, पण शनिनी तो पूर्ण दृष्टि , अने नवमा तथा पांचमा पर, चोथा तथा आठमा पर अने सातमा पर जम बीजा ग्रहोनी दृष्टि अनुक्रमे बे पाद, त्रा
:जम बाजा ग्रहोनी दृष्टि श्रनुक्रमे बे पाद, त्रण पाद अने संपूर्ण दृष्टि ने. ते ज रीते शनिनी पण बे, तेथी करीने शनिनी एक पाद दृष्टि कोइ पण स्थाने नथी एम सिझ थयुं. तथा नवमा अने पांचमा स्थान पर अन्य ग्रहोनी बे पाद दृष्टि मे, पण गुरुनी तो पूर्ण दृष्टि ने, अने जेम बीजा ग्रहोनी दृष्टि त्रीजा तथा दशमा स्थान पर, चोथा तथा आठमा स्थान पर आने सातमा स्थान पर अनुक्रमे एक पाद, त्रण पाद अने पूर्ण (चार पाद) तेम गुरुनी पण तेटसी ज दृष्टि , तेथी करीने बे पाद दृष्टि कोइपण स्थाने नथी एम सिह थयु. तथा चोथे अने आपमे स्थाने अन्य ग्रहोनी त्रण पाद दृष्टि बे, परंतु मंगळनी तो पूर्ण दृष्टि जे. जेम त्रीजे तथा दशमे स्थाने, नवमे तथा पांचमे स्थाने अने सातमे स्थाने अन्य ग्रहोनी अनुक्रमे एक पाद, वे पाद अने चारे पाद (पूर्ण) दृष्टि ते जरीते मंगळनी पण जे, तेथी करीने मंगळनी त्रण पाद दृष्टि को पण स्थाने नथी एम सिख थयु. सूर्य, चंज, बुध अने शुक्र ए चार ग्रहो तो सातमा स्थानने ज पूर्ण दृष्टिए जुए बे, बीजा कोइ पण स्थानने पूर्ण दृष्टिए जोता नथी. जे स्थानोने पादादिक दृष्टिए जुए बे, ते प्रथम कही गया . ___ ज्योतिषसारमां तो था प्रमाणे कर्यु के-"सर्वे ग्रहोनी ( को पण ग्रहनी ) वीजे श्रने बारमे स्थाने दृष्टि पमती नथी, बछे अने आग्मे स्थाने एक पाद दृष्टि पके चे, त्रीजे श्रने अगीयारमे स्थाने वे पाद दृष्टि पके चे, नवमा अने पांचमा स्थाने दृष्टि पमे ने अने केंनां चारे स्थानो उपर पूर्ण दृष्टि पझे .” वळी ताजिकमां तो बीजुं, बारमुं, उर्छ अने आउM ए चार स्थाने विलकुल दृष्टि श्छी नथी.
स्थानबळ कहेती वखते मित्र स्थान अने पोतानुं स्थान ए विगेरे जे कर्तुं ने तेथी स्थान मैन्यादिक कहे .
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