Book Title: Apbhramsa Pandulipi Chayanika Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 27
________________ 957 प्रेस रुजु श्ररुणंजेलिसमधरणिपुलावरमं लुतस्य झुहिडिल्लवेकरपत्र इत्स्याय कीरतणिविति जंगलु श्रसेतु वगररक समालिपरमामई 'इइहुमित्रुारणापाशविक विह बागमज्ञायवमज्जे खाहौर यमन्त्राकलहेमिप्रहिंस लंघलुण्डे हाता सग साई 10 विदेसुरचायसिंग६, रिर्सऽसुवेद्यातहिजोच सद्र साका उझावसा हसतुघलकुम३हया खदणवेसु|णासंतुपरमुङ ७६ के सास्ररहेति सवराज विसोते परे हणैकिवपितिएँवरेति पिसृणेविखडुक्करपिडरविवा ममलाइकहरुक काशमारद्विरनुविद्मवेश्णरइ चलुयाडहि सवष्युवहिलद्वाणि अनुभव Jain Education International अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only (12) www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126