Book Title: Apbhramsa Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका सम्पादक डॉ. कमलचन्द सोगाणी सम्पादक अपभ्रंश साहित्य अकादमी जैनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी राजस्थान Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका डॉ० कमलचन्द सोगाणी (पूर्व प्रोफेसर, दर्शनशास्त्र) सुखाडिया विश्वविद्यालय, उदयपुर प्रकाशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी जैनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी राजस्थान Jan Education International For Private & Personal use only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी जैनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी, श्री महावीरजी - ३२२ २२० (राजस्थान) प्राप्ति स्थान १. जैनविद्या संस्थान, श्री महावीरजी २. साहित्य विक्रय केन्द्र दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड, जयपुर - ३०२ ००४ प्रथम संस्करण, मार्च २००७ मूल्य : २५०/ © सर्वाधिकार प्रकाशकाधीन पृष्ठ संयोजन श्याम अग्रवाल, ए-३३६, मालवीय नगर, जयपुर - ३०२०१७ मो. नं. - ९८८७२२३६७४ मुद्रक जयपुर प्रिन्टर्स प्रा. लि., एम.आई.रोड, जयपुर - ३०२००१ Jan Education International For Private & Personal use only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाण्डुलिपियों के उद्धारक श्रद्धेय स्व. पण्डित चैनसुखदासजी व्यायतीर्थ को सादर समर्पित Jan Education International For Private & Personal use only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | विषयानुक्रमणिका »3 प्रकाशकीय पाण्डुलिपि अक्षर चार्ट पाठ संख्या पाण्डुलिपि पाठ - १ महापुराण पाठ -२ महापुराण पाठ - ३ महापुराण पाठ-४ सुदंसणचरिउ पाठ -५ सुदंसणचरिउ पाठ -६ पउमचरिउ पाठ-७ पउमचरिउ पाठ-८ पउमचरिउ पाठ -९ पउमचरिउ पाठ - १० पउमचरिउ पाठ - ११ जंबूसामिचरिउ पाठ - १२ करकण्डचरिउ पाठ - १३ धण्णकुमारचरिउ 9 पाण्डुलिपि संवत् १४६१ १४६१ १४६१ १५१२ १५१२ १५४१ १५४१ १५४१ १५४१ १५४१ १५६१ १५६३ १६३६ Jan Education International For Private & Personal use only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठ सं. पाठ संख्या पाठ - १ पाठ - २ पाठ -३ पाठ - m" I पाठ राजस्थान में प्राकृत-अपभ्रंश की पाण्डुलिपियाँ : परिचय पाण्डुलिपि का आधुनिक पद्धति में रूपान्तरण पाण्डुलिपि पाण्डुलिपि संवत् महापुराण १४६१ महापुराण १४६१ महापुराण १४६१ सुदंसणचरिउ १५१२ सुदंसणचरिउ १५१२ पउमचरिउ १५४१ पउमचरिउ १५४१ पउमचरिउ १५४१ पउमचरिउ १५४१ पउमचरिउ १५४१ जंबूसामिचरिउ १५६१ करकण्डचरिउ १५६३ धण्णकुमारचरिउ १६३६ 90 पाठ -६ पाठ -७ पाठ-८ पाठ - ९ पाठ - १० पाठ - ११ पाठ - १२ पाठ - १३ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (I) Jan Education International Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय 'अपभ्रंश पाण्डुलिपि चयनिका' विद्यार्थियों के हाथों में समर्पित करते हुए हर्ष का अनुभव हो रहा है। यह कहना निर्विवाद है कि भारत की संस्कृति व उसका साहित्य मौखिक परम्परा से रक्षित होता हुआ पाण्डुलिपियों के माध्यम से सुरक्षित रहा है। छापेखाने के विकास के पूर्व स्वाध्याय व ज्ञान-प्रसार का आधार पाण्डुलिपियाँ ही थीं। एक ही पाण्डुलिपि की कई प्रतिलिपियाँ करवाकर विद्वानों एवं स्वाध्यायियों को अध्ययनार्थ उपलब्ध कराई जाती थीं। इस तरह एक ही पाण्डुलिपि की प्रतियाँ विभिन्न स्थानों पर प्राप्त हो जाती हैं। विभिन्न पाण्डुलिपि संग्रहालय इसी प्रवृत्ति के परिणाम हैं। नागौर, जैसलमेर, पाटण, जयपुर आदि अनेक स्थानों के पाण्डुलिपि संग्रहालय भारत की सांस्कृतिक निधियाँ हैं। हमारे पूर्वजों ने इन संग्रहालयों की सुरक्षा करके संस्कृति के संरक्षण में जो योगदान दिया है वह अपूर्व है और भावी पीढ़ी के लिए एक उदाहरण है। इन संग्रहालयों में संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, राजस्थानी, हिन्दी आदि विभिन्न भाषाओं में लिखित विभिन्न विषयों की पाण्डुलिपियाँ संगृहीत हैं। यहाँयह ध्यान देने योग्य है कि पाण्डुलिपियाँ एक विशेष पद्धति से लिखी जाती हैं। उनमें शब्द मिले हुए होते हैं। मात्राएँ विशेष प्रकार से लगाई जाती हैं। कोई पैराग्राफ नहीं बनाया जाता है। कोईकोई अक्षर विशेष प्रकार से लिखे जाते हैं। उद्देश्य यह होता है कि कम से कम स्थान में अधिक से अधिक विषय सामग्री प्रस्तुत की जा सके। छापेखानों के विकास के बाद मुद्रित पुस्तकों की पद्धति बदली।शब्द अलग-अलग किए गए।मात्राएँ उचित स्थान पर लगाई गईं और अक्षरों का आकार नियत कर दिया गया। अत: मुद्रित पुस्तकें आसानी से पढ़ी जाने लगी, किन्तु धीरे-धीरे पाण्डुलिपि को पढ़ने वाले नगण्य होते गए। कुछ भाषाओं की पाण्डुलिपियाँ संग्रहालयों में ही पड़ी रह गईं। सबसे अधिक अपभ्रंश भाषा की पाण्डुलिपियाँ संग्रहालयों में बंद रही। आज हम अपभ्रंश भाषा को भूल गए और जब भाषा ही भूल जाएँ तो उस भाषा की पाण्डुलिपि को समझना तो असम्भव ही है। इस भाषा को पुनर्जीवित करना राष्ट्रीय धर्म है और सामाजिक-सांस्कृतिक आवश्यकता है। (VII) Jan Education International For Private & Personal use only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रसन्नता की बात है कि दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी ने जैनविद्या संस्थान के अन्तर्गत १९८८ में 'अपभ्रंश साहित्य अकादमी' की स्थापना करके अपभ्रंश भाषा को सिखाने का कार्य पत्राचार के माध्यम से प्रारम्भ किया। इसी आवश्यकता की पूर्ति हेतु 'अपभ्रंश रचना सौरभ', 'अपभ्रंश अभ्यास सौरभ','अपभ्रंश काव्य सौरभ' आदि कई पुस्तकें अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित हैं। इसी क्रम में 'अपभ्रंश पाण्डुलिपि चयनिका' विद्यार्थियों के लिए प्रस्तुत की जा रही है। इसमें जिन काव्याशों का संग्रह है उनका आधुनिक पद्धति से रूपान्तरण भी इसी पुस्तक में दे दिया गया है। विद्यार्थी पाण्डुलिपि के काव्यांशों और रूपान्तरण की तुलना करके पाण्डुलिपि को पढ़ना सीख सकेंगे और उसका समुचित अभ्यास कर सकेंगे। इस चयनिका में राजस्थान के उन शास्त्र भण्डारों का परिचय भी प्रस्तुत है जहाँ प्राकृतअपभ्रंश की पाण्डुलिपियाँ उपलब्ध हैं। इस सामग्री का चयन मुख्यतया जैनविद्या संस्थान (पूर्व में साहित्य शोध विभाग) द्वारा प्रकाशित एवं डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल तथा पण्डित अनूपचन्द 'न्यायतीर्थ' द्वारा सम्पादित 'राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थ सूची' के पाँच भागों से किया गया है। __इसमें जो चार्ट दिया गया है वह स्व. पंडित भंवरलालजी पोल्याका 'जैनदर्शनाचार्य' द्वारा तैयार किया गया था। उक्त चयनिका के प्रकाशन के लिए हम अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया सुश्री प्रीति जैन, श्रीमती शकुन्तला जैन एवं श्रीमती शशि प्रभा जैन के आभारी हैं। मुद्रण के लिए जयपुर प्रिन्टर्स प्राईवेट लिमिटेड धन्यवादाह हैं। नरेशकुमार सेठी नरेन्द्र पाटनी डॉ. कमलचन्द सोगाणी अध्यक्ष मंत्री संयोजक प्रबन्धकारिणी कमेटी जैनविद्या संस्थान समिति दिगम्बर जैन अतिक्षय क्षेत्र जयपुर श्री महावीरजी 31 मार्च, 2007; महावीर जयन्ती, वीर निर्वाण सम्वत् 2533 अपभ्रंश-पाण्डलिपि चयनिका (VIII) Jan Education International For Private & Personal use only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ऊँ र्ड अ.. - श्र आ : m উज़ा कि ksi Yur इ ई }} श्रा इ ई उं उ - उ उ ऊ - र्ड ऊं औ = उं पाण्डुलिपि अक्षर चार्ट ऐ औ भृ = श्रइ = ऋड निः "कु = कु कू कृ कु क्खु कवो = रको क्क अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका te ख, ष गंगां, नं ग्नि रघ शि चु च्चि चि छ ह ज ज ॐ (IX) Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ झ - झ ऊ भिझ = शि टं ट = ड्ड = ड ट्ट = ह टीं टी = ट्ट = छ हि णि) = लि ए ण्ण) = स्म (c) huoj his Love द्ध. = Hip ho the du hor " कु ढ त soy द्ध हू ध = छ, धें अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका फ़ु = फु "ब्भ - स भु = नु रु = रु रू ल्ह = कृ वि = विं व्व ब स्व = स्व ह = द्ग 온 00 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दु हू = हू " r म. म णीं एंगी = नहरेंद्रा ट्रें = नारद्रा त = त् म् भ = रुरु रु कृ= त भक्त्या: = नतया शुक्ल = शुक्ल feff - ध्यानं = निं प्रारब्ध रक्ष (च स्थास्यत्यग्रे हास्यव्या तृणवत् त्यक्त्वा = नृवन्यक्ता 3 अपभ्रंश- पाण्डुलिपि चयनिका . पच्य य-य 3 ----- (XI) Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कले गन उह मझे लङ 'वैस्पि सहि कुले गब्भ तुह मज्झे लहू वेणि सट्ठि अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका झुंलि दंड निस्पि उसा 5. आणंदें ਡਾ. झुणि दंड तिणि उज्झा अच्छ आणंदें वितबा (XII) Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ केवरु पुरिह। रखंडहे कंधरु खड्डो पुरिहे सीभाण सालाण तशय तभय हाल्छ होन्तु पटम फले पदम फलेण तेल्यो तेहा पीडाडी मरुहा पीडी नाहरू चम्कहरु जूलामणि च्लामवि तिडयण तिहुयन दुग्नर, दुग्गइ . हुंदडानलित हउ इंदच्डामगिस्स मरुड्डा तोपच्छा तोपना (XIII) अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पवेसिहं ददरकंधो पवेसिहं बटक्वन्धो समुदा होपसर मोहरू मगोहरु दुरियहा सडाराहो मोरकहा. सौरकंदी सिरकंति दुरियो भडाराहो मोक्रवहो सोक्खहो सिकरवति अंदरदमागग उत्तनतोगन्द्रमि सप्तप्तार सयणकुमारे गदहवं रिणवा डादसाणवि लिग्नवि समुन्टो टोएसइ अक्खमाण उत्तमभोगन्मि गभभंतरि सयाक्कुमाई राहवणिव्वा अवसानेंविनिगेवि अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका XIV) Jan Education International Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ - १ महापुराण TAMBINAL Video AAWARANASI मायाजाण्यावरणवाऽवसमलियामारिए THAपावियावसायसवापिसिसमागमरविधिमपवा लिविखरणनीनियमिासकोणावरणविधतियवाससिविंचवादितारासयहिसरण नरियायत बारपालोमातापियणियाणालाहणावयापयाक्थियामिहार यालिवमायानसपतराणिना नषिमुपाणितपाईसरोहितजिपयजयश्यसरुशियाटिकमित लिमपरिसरबिदेवाज्ञयतादेसरावयबातलिपविलविदवणहीपयतशिरमा रियलकोपपटीतहिामियवददिसहाजाटोस्सियाहलान सलामताकिसित्रिजपामेत्रिसहायहीका डिसखरखवतायहोमवकर विपतलवावशेषनाति साउदपयत वाहितिणकरलसकेसरिकंध सतियएतिवjuTHEMENT बजामतिपतलापिइसपर वपतेपाdिasTHA विसपरमसरुउधासाहरारखपुरयाकासबुपासावपालपमझायाdansar परिणाबारशालालमियक्रसमसम्यागणविरुणदियया mantra पात्रसारिमविसमसाहसारबिसहयालसोपारावधिविनसंबईत MATERIEVELI . काही ५ते अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education international Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ নিজসানবাসীসবিতাগ্রহবহিষna এলাসিনা याणवेणियापुरतरविसहरतयाजपसीनालगातार पानिएपपसावखहइगलपन शिखांगावातलिपक्तिमारगणधासात पाऊस साधिकापणवाज जीविध्वंदसातपणजाजरएकामिनीतपणजमानता वाजवलगितिपणा विज साविशतइपलाजमयपतिविजयाजणखहकीकरातांबा लवजातइयला जइशिक्षिपवाराजजसाजरामरणाईहरावावरकवारोतीषण lasagलरसरतोजिइसंसारहीवार अरिमालामपावितगिदिश्यामवमलयास्सिाजन बालापसाक्षरोघरलकारणाषणामि बनविसंमहिखंडमणिधाकदपविनाम एपिणावललक्सएकंदरुमंदिसावलदलतोयपवरितमंदसावरियासरारमोटरसालव्यस्सिंहावल मायबिटरगाएरपयस्यमसरकिकिरमिशिखराबलिपंपावससिसिहिसिलवपतिपदंडसंघमाकोक्सि करण करलालकिशोवरमहादतगालगाकिहरिनिरासिकालमापासलापभिलसालिन मानसरडुखतिएकोयताअनपखपडियउपलाविकासलियस्यियवास्यरुयीकसहमीलनसहना अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education international Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाड्यगारजाली मवियपपताइसवारवादनामाइतिरकहंधमयपश्यिहाँधम्मवियारदसराहाकावापत सभुजथाइरोकिामविश्धरिपिखणामारपालावावलिकिंकर्यजेसमापायोडलपरवातजाविमति सरसाधिवऽपरवसाताकिंवहनीवपकजंदुर्विमामाश्यिामकडधखीलयकारविदेउखुमार लिपिदिनमकोडशम्भूरायरस्कालताकावन्नहोवऽपारंजातिलस्वफ्यहेविवट्यातसायि एसपहोचविकसपायकसलाई लोहियोतविकश्सामाणिजोजोमयत्रएताया पासतिपसमापहीकोसीसा विचर: समन्नोपयलियनकलनुक्तिसंवितमिरहस्सा सपरसदहमिमकरंजहमिंटन खनाइएलयकालसर्लावासछयासपजालिंमिंजस जरुमलिममरादोजीमबER a ngamकलामहोजाइविषयाणाएवामिकिन इजिपखसहवावयरािससारिवासिबिधारणालयतपछिमारयाममारयासमरमापवसाद शिविर्वरियवरोदयांसवादयाकाणांपवरितहिकलोजिषयकामधुनरिसाहपरमजयरिला दिसतवसहद्दयाजयतियसिंदसलिलालियायावयतालियपरमखरकारणाजयनियमोहमदावरुवारपाजय दवासहरासावारणाजयसमदरमियवारिवारलामविमपरमेडिखवलापमुहिमरिलोजकरणिया। आN अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education Intematonal Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कध रणालीज रणालीनमायासग्रामिणारं पारसामिल विदय दिययमाणमिविषमी समय पर पम्पया जायय एवानुयायणसा विश्वेदोकलितानिक वाडुजेराव या स्थि हलिदि किस मालन जमाgत्राला कमंडलम वायस श्राउ जाऊं अवलोय हितायसा मालका वायलर पायारुदलित माउa रामादिदंशखमोरही कार कला पतर ऊतापल प्रयल महिसडे पाठ महापुराण सड किंज - रदेशमन्त्र २ AnggdehaRGETEN अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका LeDIFEST! 斯 包 Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. .RG राणिमिरजेविमहारेशाताकताइकिउयावसावाखामसमजणावरुवातदोमेशलिमपायल्यास्ता आमिय दिदिवपिनुनियामिमिहसिहहिंजडल्सरपाडिवस्यारवालाएंगजपियाक्सिविपिया लभिवाजमाराविलिातुरहपासियाबिन सियाहोल्डिालवाराहाकिमेरुदलिनशविरणमायखलिना बजाविलनताकि राजसदिसोसिकाइमायणकिण्डमालिनाशाखालेकिनजाविनशवायसवाकिया रुइलिसाशलवकमलपकलियुकिविध कारणामयारिभाजिशकिंवसदणक्युलरिजशक्षि दिसधवलिसकिंमएणकालक लिनहापिकिंसथुडसिनडाकिकम्मासिहवविकि निशिसासेलोकणितियाकियालय ललिमिsimeोहोरयाएजपिएणाराना निहाकरवालविलटिसबलहिाप्र पाललारणालीलावलियंसहउणामयरको कहिदिजायाधिदायलाहारिणशकलहकारियोजयामिरायाmaingहजबुतसिसिरिएलासा दामाजिइनोवलवंतवोरसोराणालबलविवालियापाहियमिाजभियपनेधाभिमाहिपमएयर मलजेण्याकाखाऊरएपोकटोकरीधाणलएशियतिवसविलोणविडवासीहकसर्विडणक्षिा महामापतगवश्मिरलजीविनाश्यमहुमता विकासावधावतहोयसिंमाराउखपविसमातिदिक्षिता, अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिदेविड विषमहशमऊ मलसिया विसद को क्सिर मुजे पचास परिंदो जाइए इस रइस र खजिल इंट संघह मिलहम घडला हरमन दावन वालाऊदाऊ व लिहिताः मिलिअनी (लरंगात मिलवणिवा सोसो विसवसाय/सार साय यल विनमहीसंग एमीसा दिसमुदेववाऊबलियारे सरुाऊ संघ संघ सस कमल रिकाि इंलन यवलाश्राण @reginen इतर खाद पिखितिलकलि हइपदेश्देश्वाम पाव लिखवा पितरन् अंय एक हकहखंडनादेवपदेश उपोयाएर जाकर ए तोया दोर लाई एन करिया--- डोटो एसइएन संताल मुगु रुकहिना खत्र उमावि दान २२ श्रारणासंताप इययसाप पल अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका . の Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ -३ महापुराण बुवकहनामियाशेबुडुसलीसितंबस्लिामियाशबुझंतदिधारय सम्मुटाइमिंधजाय दिनुहाशेबुङमहिलामय लजडिबुडपसुगलिहियोडाबडायकायर थरहरियपाणाबदोश्यासंदालविमाणाड्डमडवरणवाच्यमयंगाब आसवारवादियवरंगाधनबुडकारणवसमहासमजामहरांतिपरोपकार्थतरितामपहतहिमिंस्विक्सिमुघविवर विहिवलहमशेजोमयश्वालातहोतोसइसिहदोतलियालातलिपुलेरिसमसारियावडियईवाबजारियातिलि मुखविरहसाऊरियाविनंतरश्वारियाशी त लिभुषविक्षारापतरियासमईपडियारिणिवेसियातिलिया लिविलगघलाजालम्युबईकयतिबंध वाशेलमुपविमयमायगरदापडिगयवांचालनऊहाताल पुणेविमवरलावतरियाहफिरुऊरंतधावी धरियारहखवियकहियपाहीहावारियविधतचएयजोदाम घamपस्सिसियरलपरियशरूयावर सबसलहियसिमाजशियकलयलोधवडकोडिलाडो आलिहियापामियसिरहिमलियकरहिवाऊवल्लिखमरकरेहि अभिवोसुपसमंतएटिविलविविसविय महंतएहि मूविलिविजयलडिंगेहावेजावरमदेहायशवालविवसलियपयावामूविलिविशांताररावा शिलविजयधरलयामामूविसिविरामादिरामाईविसिधिरहमिययंडामहिमहिलहिकरावाटंडामविलव विणिवायउसलालयतायापायएंकरहतसलउमविलिक्लिएजपहोवाइजमारुधम्मपखाखरपहरखधाराद विीर अपभ्रंश-पाण्डुलिपिचयनिका Jan Education international Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 95%AMANY पएणाकिंकिकरणयरमारिएपोकिरकाईवरादडिरपासीमंति(लस डिपा दामकरामश्वब्दोविवाहमलेविखमतानलेविधिनावलीएंउधरहिव एनिमकिनसहुसजनावहीदोदिमिहोउणाविजियश्रणाएपालिउन्न: पहिलग्यवसपरिहिवरतामापनलयन्त्रणवलए करहीवीयउर्दसावा लिमालोणावरूपरुसिवऊपालिए तयनमुनि जायंदेवाकरुकोधिखरदक्जिमात शहििसविलि विमलतावापवेषलेजइएक्जावधवा रोपसमिवविधर छमेलाजमहलिविकमपाता सोदाहसियपुरंदरे नावितियोहिमखंटरेलिंकिंवदवियोण्वजोधपकिंफलिएकविका डवणेयाकिंसलिलवंडालकिएलाकिंदासपेसएसंकिएलाकिंग सपा कलाविषीयसयासिरिमूलएलानजेलकतिखहासियशमा . निहितासियालयवयणताहरिदहरिदिकहि कहिंसिंहासनश्या अपभ्रंश पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ - ४ सुदंसणचरिउ - ar ""TARS Eिmavवजविसरुमाराव्यापामासमाधानतरजक्षलरका सावन मानिस पसिनाव विममणिछहमामागयरोसरा सामतशिलकण इंटकतिजा वरह पर्वतिावकावश्यठदरमपसिधोपावपिहिसमिछावलारवा वासुरवावमलापडित रकमलाकम्पामरसालरुवितमहता एपहिवागाछवि सपंवारतानाविलास होसारकव्यावसविसकासाविस पडियामा तलेहापट्यक्सिमरह तविपर लतियातकापाय मापन्थिरावमा अवयावसाहिगतिमा मानसिपलाहकांगमिसाव चसापबुद्ध सद्योजक विमिरखावसायिपातिानन्तरकोडिविचार विधिसमरपाटारमा PREER RAMMAR दUSRAF 4 . ACTREATORS रणवरियमविविसयाक y अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (1) Jan Education International For Private & Personal use only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 957 प्रेस रुजु श्ररुणंजेलिसमधरणिपुलावरमं लुतस्य झुहिडिल्लवेकरपत्र इत्स्याय कीरतणिविति जंगलु श्रसेतु वगररक समालिपरमामई 'इइहुमित्रुारणापाशविक विह बागमज्ञायवमज्जे खाहौर यमन्त्राकलहेमिप्रहिंस लंघलुण्डे हाता सग साई 10 विदेसुरचायसिंग६, रिर्सऽसुवेद्यातहिजोच सद्र साका उझावसा हसतुघलकुम३हया खदणवेसु|णासंतुपरमुङ ७६ के सास्ररहेति सवराज विसोते परे हणैकिवपितिएँवरेति पिसृणेविखडुक्करपिडरविवा ममलाइकहरुक काशमारद्विरनुविद्मवेश्णरइ चलुयाडहि सवष्युवहिलद्वाणि अनुभव अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (12) Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ O मनिपाववतेवरविसोशलपानवविहागठपिडारपावर पछडिएकासुपसिद्धीपावलपवनपघाविज्ञावधिविणिजस विगविरोहियद्यातल्खडिजायनारिलारपरवाहिरिता मरवसुराहगारयतामलिहिजरज्ञानमारमाणितविज्ञानाने विनढमवारीकररा पाठमरिहरसज्ञोपवाइलकाहिलसह साणाससम्वगायुहासविरा शामितताकनाजा पिछविलसामाणिधरानलाइ २१ झवनारसलाईजेस विधेश्सझणझुवालस्सी स्वकीपीदावाडागरमपातकाविला अछाकावलाल लिसिहरीतरुसुपरगनासयाकिरमहरदासासनिविस इसंघरुरियताकतमाणिव वाणासपडाकाविधार कुशाइविखविलारणलानामारणासहितराजरोलिवरपरया TKAYAR अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (139 Jan Education International For Private & Personal use only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डीसीलावइहिमंडणू नासि । हरिविणीय जाकिर हवयोगासीलेसीया चहुमजलणं तरुण मसीलगुरुक्कियाखयकिरायावसम्म बुद्धि यारोहिणिखर जलेण संताविना सील गुणल एलवाविद्या हरिहलि चक्क वहिनिलाटाविति प्रणाम विखाजा एससीलकमल सा रसिका फणिवरामरहि 'पसेसिज जपिए छारा वरिजाय3 !! कुसीलु मय लम्माला सीलवंत बुरुजापसलाहक।सीलवि वड़िएलकि किद्वा ॥ सजविल सीलुपर] पालिकामा १०८ हासतालाॐपियंतिय मूल तू वसा ॥ सील विहीणहेजण साहोसनुकाप कयाला साल विहालसियझाएस स लविहा लहेमरण स्वसूज्ञा सुविश्वनाभ एवियाजमि श्रासेलमल वि रामवर सुदित ऊजाणक] सधुकाविसा सुसयाणा किंवहु जय रणगरुजालान विमनु होस हाल जल्ल संघञनारसकाइद अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (14) Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विविसिमम हवेसातकायुविवाणविछडनिारसपा आयामंडभिातासुकासंगनिमभज्ञमा दसैकिंजिराप्राणि काम्सासुवियाळापावरवरिहियामझातोफुडकारेण रिका। जापाटिापनडियनणितायतामंडिलर्चिततसुखवि।इशाहगल किरसम्मछातविकता संयरायतिवणुमज्ञालाय स्पयवणेऽहशिनुफिलम कनिभाणफितुरनार योछाणाफिकपडएलाएविवाहाफिजस सहकाफिर इणितणयलावसाठाणफिलामलाधणनातालरिमाणमा कतिापफिरआवाणएनिमरष्ट्राणफिश्वनावित शर्विमहाकरिज्ञमाणफिसाससिडसनराफि aaासकाफमाजासासगा चकलेक्राणफिरकायाचातकासकाफिर वाविरुवानज्ञोपकराजहावसमा अछछमालिवानगएकविताविरुवाबंबाजोगाविषय अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सपनोमुरुमणचिंतश्ववमिकामनियाचितम किंगतमा सुरुइसर्यितस्त्रणिधाकानयाचितमपतमिधारमशणाम अपघडियालासुस्सपवितहिलावमित्रमणसाला काश्ससकलापहँसहिलारी वामनाराहामासुललय यालणायणासुलहला कामारिविरासतकणवन लरेबलपवादासुलरुवटा राधाखकालासुलहकरसारएला पासणीपासुलमाणससखानलसासुलउचवतरिवanasi सुलहलपातशहरमखेंशसुललमलखारनलेसुरहिवाळासलग १२६ यणगणपिसासुलहपहपसणएकरपसामोसलहसायले वर्णकसालासुलहविकतमस्तासुसुलउतरलवणेप्रमस मासुासुलहमाराधम्मावालालम्सुकमणमझविसेस सलमचलपिकलवापरएकूनिREDIमांविचानिए। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सासमकमाविषनुकरणासमितवास्तिविनाराडाणाप्रयवडि याधातारमविलम्पिाविज्ञानाधिकाविलयिनुसुहसमाजमाच विविलखायानापियामणियितरणमुफस्विसैकहिरवा वाककस्पिरिंकुकीलेवगकलितहिंघहिम्सथलिया कहिसाजविवाहसरस्सालिया कोहडियएएवाणिill महाककझणवियापिका सानसानावणताविनाजा एमवंघष्णवाविज्ञानकावलामलावसंपेरियापंडियाएasil मजाणवारयाएकनाणातसातत्रामहराणाकालान || णिणासणसरासपद्यज्ञश्रुयाणामाठिक्तिवासस लखकाशपिकामविलडाहियएमरिकाहयरमा यारसस्परयकुरवस्काज्ञापयोगीक विवि पकिंधिविज्ञाणिकतावा अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ -५ सुदंसणचरिउ सालंकारेसुकविरुकत्तणिडारसंतकवीरा मासालविलसातावरसंपन्तरामायणायमंडवघायरसच्चा गोतकले नारहाइडाकलिनयाञ्जणिरामाहासिचमुचा पाएकैमिसुसणसवाररादासंसासिहागामा लिविका डागासतरंगा हिगंगाहगोकिराशाजविला ठगछातांसहमत्रिपमसपणालासुलेटासिविma पछासूरचित्तासभरापवाणवकप्यारा सिरोपवर घामपारंवणिहापजलेवास हायविरामठीवलोक सरमिसहावरसुद्धमहागयासम्धताहायळकतुजालिंपिसि। लरिकाठीतसुअरिकूमअनत्तणझ्यापियाँसगलइनाम राजिण्ये अविलवऋणालमतमुणामयतिालीसिविा अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (19) Jan Education International For Private & Personal use only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OX सहलीयलहारमपावलिमारमाणनिषिरमा उमणी साताशमणिमणिवरपरिणविविानिणसिराणेसार गिरिवरतासुरल हिसिहाड़यसिवितासकाका फिलदयसिविणहमाणाहासहयरमसरकविणणालामाका विज्ञलनुसरणा सुपिरिपतपिणिवाnिe चारियघरवाहास घापुसुडागरखरणाकासुभासमत कमी सणावामा उलछारतवरणासुरमर्षियकोलणी कवरसुरगाजललरिटावियांवरेगा। मणयहरमणानगाणिविज्ञाइनोवणासापांका लमललिडरुग्यासमा उमणगुणमाणिक णवलमनरकणिटलकुल माणससररादा सावन मुणगणगहीरमाणानणार STI अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लङ्घर्मसु वसगुस हेविरुवेविसाङ्गा पावे समानो वर्ल एमुणिण्वेवि हरिसियमणाशेणिनगेरुगम विलिविज्ञणामाठी विलियार्णेत हिमरेविधियपि पिजर इकावटारे विशालगि इाडूणाइरवि|कम लिलि हलिगा वालु। सिडि र पिचिङर)। शिकसह|गणितूलुम् बाहल समरहोरिद्विये खिविण्उज्जणांक विथला साश्वाणू ताहिनिय ससल) २८ | संगान गइमंथरवैश्यालतिहतिरुमाणु सुद्रमव हाज से श्रडुरा शिवोल्लेतिहि। खोणख निशिघाडुतरणनंग ज्ञाय इसाल साश्रहंगो रुलाइ संज्ञाअएएस जियापूढचणाईसुाणविवेन डायोसियन्ति सेजपरक एए| गुरुवार एवठ थितहिसंजुए। सानिम रिखे जो एवरिया ||ढमेकरणिवठणामपहारणरा अँसएर्यवमि अपभ्रंश- पाण्डुलिपि चयनिका (21) Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ताकिजम्मुख जेरुलासा प्रदेशिपवरहानाश्मरकारने मातणतणज्ञाएपनाएकालमत्तेहिमेहिालवुठियातित धारणाष्विाणदिवाहपाहाहाचासकमत सलच्छिाफुल्लमष्फुल्लमल्लवसछामआणंऽयारी उबाछीवाविवेसुमाहिाल ज्ञामागोसम्रहिावाला ततेहिहिहियरमा तारिणछायचा.मा। किमाननिवसपाहदादियाहवाल्लाणाजाहानामजाणाधीन गयासुसपुरानावा सामालबहसमुलेविन विजिपातायोपिछिछिमछमाणकामनमानायगाना छठाचनामिनाहधडपहरणहिकॅनरासिपत्नपिनमा उपररिसडाणावामुणिवरणापुरजमिनसणेऊणयण बह तादिणछोक्किहकमसणाचविमाछ। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उरईसोहिणियासुनपाईसाहिएसिवितरिसारापति परमसदसएमरोकिज़तणसुसणपणानोसडाणकमिणि वितहिरातिनिश्मासंपविविज्ञाईसांगितिपहिगवाणिवा सासाहपमासरिडवितावदरूपालामंसुविवितीस्वाही |हरणसुरवावद तछ मरिहवछगावणेवामालास गलिना समाविझणपिलाले पिम्भावहणवमानसिका बीएसपलासिघनवितासगतमहसस टांरजिस्व तनावमामावलहानन्सजणहापुरवा सापावज्ञातणिहिलायतकात्रणथपसिहरोवन मतकापाणिमलतिक विजतजएतहिमुपुरतहिणिजीता करालुवनणकमलिवलतका विलोनिमल्लनठागमहि अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका CA Jan Education International For Private & Personal use only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ-६ पउमचरिउ १७२ डिहिंदिताहि गायणगयहिंगित हिरामणिमश्यउरध्याउदेहलिअमोनियका पहिगावलिासावरगाउदंडमलितारणीबईमुरवरमणवारणाघनासायद लप्रमादियज्ञोजगजयजयकारिजेतापित्याउझदअधिवलारश्मारक सतुजतानाayaunManकोसलपदणणामकलनेणियघराधासाट. द्वतिदिविन्दवालिफ्ट्रिहाराणाबासुरसमससहासहिंदुम्मणकिरदेव निणिहादसरहपापडनियनितएरोवयादिविहिंदिपगधोक्या पढ़तवर कंचनपड्कापडपलंगारहमछलियगडाकहेंकाशनियविणिमणवि सोमावरचिनियतिनिधियविमलापणवेणुितुन्नसुपहाणाकिरकामद्ध तिषियणकापाजश्हाउजियाणवलंदियदेवातागधसलिलुपावश्नकवातहिंत्री विसरेवुलुक्कुपासुछिणससिवनिरंतरवलियासुगियघायंगमुदंडपाणि अणियहियपद्धपरकलियवालिघता गरहिउदसंरक्षणानुनकाधि १५ आमवाजलातायात पटेदवाविषपावरपणावपिपतेप्पवि। 621 FO L 53 . " अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education international Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पवित्रुपवागमंदिवहातावपदसिध्देवापटमासुजरधवलतियायापुणुप्रस दिवसासवलम्नीयागचर्दियविदाडव्यसचिवधानसगतिकस्मलायणनिधति रुकंपमहरिकलवायागयंदतमगरहोणबायोपरिगलिरुहिरुणिमण वरखम्माममजेदनावरमुगिरिणापवाहनवहेलिपायागंभोवउपाal उकेमरायावयगततणकियवधियापागउपरमविसायहोरामवण्यासक्छ वलुजीविउकवलुमुरकुनिकिमिशजणमाकु॥घत॥मुद्धमुहविंदुसम दुरुसरिसुपवियलशवरितकमुकिपिउग्रजरामरूलप्ताकदि वसुविहोसञ्चारिसा? के वळअम्हापिसाटुंगकोदकामंदिकहोत दवसिंहासपूछताधिरुसबाजोवणुसरारुजीविउधिगहुासेमारुत्रा गढुछाछुविसुविसयवंधुदिढवेधणाज्ञघरदारपरिहवकारणाशसुधसबुदि ढतउग्रवहरतिाजरमरणादंकिंकरकिंवनतिजीवाउचाउयहयवरांयासंदण सेदाणगयगरजेनाघातपुतपुरवणदेश्खयहाजाशघणुधपुजिगुणणविवे १५ कपाशदुहियाविदुहियमायाविमायासमलाउलिंतिकिरणलायघिनापायी अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निहितमञ्चदाताहवललकणेहिजाणाaaसायलाइजेमाजिहहरिवलसासावलेवासुपरमधा महेनायणणातवचरणुलविंदायणणाघना॥दसरअप्पदिणाकिररामहाजसमपडीवर यतावण।उहालश्धलिवनयापरिंद स्मसाऊणयबजटामरामाहिरामस्सरजीससादो वायस्ससग्नाणुरामालाकोडिकनालयालिद्धपायासपावकंवापहालिन्नगुशायणचंगतार जाणितमझाावासायवछछयाबायपाणावरालाविणकोइलालाववामिहोमोरपिंडोहा संकासकेसणंगस्सललावपळस्पवेसांगियावयाजलारामगनपरिंदोसुरिंदाचपावल। नावराममिनअणासोगमकाला।महंगादणावाउरजापालोमिएहोपवंतनसावलबासमा यारिअलरकरणागमएवाधिन्ना॥नश्वर्युपत्रमट्ठातापरपसणुकिजवाहतश्वश्साउंदन मसरहाणिजआअहवइतरद्वविधामामुलासावितश्अपिअसारुसचुधिरुप दियणुजाउसरारुवित्रुचिश्तववरणनिहितचितुवाईमुगवितासुजदिपुरजातालका णुलकरंटणचाताणविहनविनरङनकेक्क्याविसङ्घहणुकमारुनसुप्पयामिति पिविण्यप्फुलियमुहणावालिजुश्दसरदतणुरुदेणापुत्रहापुततापनि उजेोजकलुनवा १७ डावश्वसणपुंजानियजणणहामारणा दिनाकर विवरकहोपापानिपुणुप र Ma अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नयापियाममितोविजासयलिवितियपवितरियाआरतिउपुणराहवरिखाना नरहोदापातानिटमदाद उपहासमुपविागवणवासहाराहातपरिवहुपद्ध परिचामाजयोगलजयवरनिघासीदसरस्वरानुयलुतयकारेविदाश्यमहरुमण Magaदारिपियरिडिविहित्रावगस्पवितायहातगठेमधुपरिमसाविनिग्नउवलुवा नाइहरेबियालरकोलिरकणलीपासचलर्दितदिविंदाणउँधिरहामुई दसरहराणहियवद्मातिसूलमालाराहउकिवणवासहघिल्लिाअहवा. मईसच्चनपालिछतिनियनामुगोत्रुमडुमलिजवरिगामुनसविणासिअसवमा हत सदोपासिसवंग्रेवरेतवदिवायासन्चेसमउगलघोसायरूसवान। वाश्म हिपञ्चासासर्दिवटाहानवश्वज्ञाधनाखाणविपालश्सबामुदाटियउवहीं तअनिवडश्नरयसमुद्दीवसुजिमालिञ्चवेतारचिंतावत्पुषाराहिउजावहिवलुनि यनिलउपराश्उतावहिडिम्मपुणेउनिहालिउमायए।पुषविहसेवित्रुपियवायएदिव। दिवेवडदिनुरंगमणांएहिजकाशाणुवादापारादिविरदिगविदहिवेवदिशा जका पुबैजनसुबहिदिवरपुत्वर्दिवमरसदासहिअजुकाउकोबिनपासिहिदि अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिवेश्लोयलिंबुच्चदिंगणअनकाईदामहिंविद्यानपिसणविवलणपपिउालरहहासयलुवरजा समजामिमापदिहियमुददाजाहाजेंद्रमियतंसबरवनिहि।घनजिआउछियमायाहाहापुत्रतण यालाजपाहहामालगतिहिरियंदपणभिन्नगवतिर्विीचमारवर्टिकियपश्चिायणादुरकु२७|| पूजायसवयणाजगुवतिमहियाणासनिवडाव्यविहाणीमलालरकणारामुम्माहियापुर|| उमाल्वयाहियाहाहाकाईचत्रपश्यविहाणालियरकपणारामुम्माहियापुर्णविसदुरका अध्यायाहाहाकावुत्रपश्हटस्तादसरहवंसदीवजगसुदरपधिएकोपलवसुपसापड पावसापशविणुकादसायदिवडेसोपविणुकामिडागरमसायविषयला छकामाणपक्षणकोतवालसमापिईविलपरवलकानसशापविणकामासाहारसा। नातिकवाकसुणवितेउरुमहवामोलकणरामविअाधादमुपविश्यरुप्मावतोप उतरेअसुरविमद्देधारियलियजाणेविलवासेरीहिमापकिरावहिलहिलायणप्पाणुन । सायाहाजहरावकिरणहिससिनपहावज्ञतिहमहोतरणपावतेकजेंववासिवसेच्छा तायदातणउसछुपालेवउदाहिणदेसिकरेविणुपत्ताधम्हदयासिए सेमिन्तापवतणायचा लतासयलापारयणागछनउंचवलकसणणालप्पलसामादाघरुमश्चतउलखएका रामाहासादणदेशापविनहासावाननिच्छदाचणावातकियाइहस्थाहावज्ञवलहाग अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ -७ पउमचरिउ १८६ मामा TERMislaनारिज गागपुटायपुरिमतमाविउलविसारणम्मियउन्नमयनाघश्वकपहाणातवरवलण मासेविसंजमनियमगुरपहिप्पणियसईतमaिnua॥२३॥जगवणवामहारानाशनवि तिहासावधियनामामुमुवतितमहिउन्हालणावाछासयलविजणउम्माढ़िाखणुविना पणामुलयंताजविनिराजगिश्लरकणुगुरखवजेवाइलस्क।मुसिईतपुराणहिलके कारिपटिजलकुणुस्मुविजडार्विपिसलकालरकणलामतुवइलरकाकाविला रिसावंगिवतुप्पीविडीधाहमुपविपरुस्पीकविनारिजलेश्यसाहणुतिउल्हावजागश्लका कावणारिजपरिकंकणावरसुगादउजाणलरका।नवरिनदीसमागमुसमायसी लरकणुगतामपण्डहपटिपयपहुंगलेपणाईसुदुंदुहादिस्पगयांग रसियसयस वजायमहागाँटलांटिविलम्मतवरमंटलीतालकंसालकोलाहलकाढलागायसगाय।। सगायगिजनवरमंगलोडमरुतिरिडिक्रियामलरारउवा सर्तलासगतारतेरीवाघेटजय घटसंघटकारवाघोलउवालहलवालमुहलाखातणसहगोमवर्कचुड्यागुदलुद्दामवहला अच्चनुया।सुद्धसंघायसवायधिययगरणामरुसिहरसुनेत्रामरनिगाजम्मणोपणश्यम्फावनी डछनक श्वेदणाणदिनालजयजयहिंजयसदेणाघनलरकरणरामहवणुनियन्निपिनि यरियाजणअहिसेयवेक्जेिनिमुंग्वनामरियरजेणामरिउराउप्राणदावुवुनवपिण अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका 31) Jan Education international For Private & Personal use only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८७ .. लिरहतादेाहमिद्वपश्सद पवजमिाग्नईगामिउग्जुनतुजमिारजनासारुवारुसंसारदास्तुलय कटपरलायदागमनिगायाजदउमडुमरियउसुंदरुतोकिंवपरिदरियारक कदिउमुखियदिडकलबुवतुनुअषयहिंादासर्वउमघलहणदिवेरकायाकडी वातोदिजीउपुणुरजदोर्कखशवाणुदिणुागलेलतलरकाघना निदमडविंडदेकजाकरद नपेश्कवरुातिहजिउविसवासारखेगउंसयसकत॥३तरहुवनिवारिउराणाजविधा शुकाश्तववाग्रिनविकरहिंसुदुतुजहिलविविसवछत्रणुकुंजहाजविचईतवालुस माणदिनविदाउजाणमाणदिजिविगुसश्छयमंडहिावाविवविलयअवरुडहिाप्राजा [विजोग्नउसबाहरणदाजिविकवणुकालुतववरणहजिपपजहाऽऽद्यमडियाकिंवावासो परासदावमादियाकिंनियवउकसायरिग्डजयकिंआयामियपंचमहव्याकिंकिवहंविनय हिनिम्तहाकियरिससिसयलुपरिग्नदाकोइममलेसिवरिमालपाकापक्कगस्थिरसीयालएकिं एमालपकिन्नावपउनववरणुहोलासावाघनासरहमवहिवास्निाचमाजविवालानु। जहिविसयसुदाशकोपवादकालु वणिमुणविसरहारुहामन्नगावधितडविरु तायवयापऽवताकिवानहातववरणुनजन्न किंवालवणुसुहेहिनमुञ्चकिवालहोदयध नरुबाकिंवोलहापवतमहामाकिंवालहाद्रसिउपरलोपार्किवालहासम्मतुमदागाकवालमा अपभ्रंश पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education Intematonal Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चाहोणघडविप्राकिंवालहाजरमरातदुवज्ञाकिंवालहाजमुदिवसुविवशतंणिसुगवितरहुनिश हितोकिंपहिलपहुपडिविअण्वमियालुविरजुकरेवाप्रहलेपुणुतववरणचरेवाघनाएम लणेपिणुराजासधुसमप्पिविताहेतिरहहोवेविण्डादसरकुंगउपवजहे॥सुखरदिएधवल विमा गपिणुमिकडेवतालवादसद्धतिउपरजलपव्यापवमुद्विसिरिलोकोपिणुतिणसमाणुम पहलश्यानालासोरुस उपवेश्यामाकडामअवयारिविडहरवमहावद्यमशिवि थियणासंगमागविहराबाहवसायवालणं विमलकेसरिगयनासदारियानंपरदार गमालपरदारियाकोपविगंपिकहिउतरहेसहो।गयसोमितिरामवणवामहा विवयधुव्यवाह पडियाहाहरोववजाआघता॥जहाविउराउप्सयलुविजणुमुहकायापलयापलसतबारस हलग्नुएसयावंदणणपवालि अवारुरकवाहविराजतादुरकुरासासिउराणोज दरमयेऊवधिउविदागाधिरलयांमुपलालियापयपापवंप्यविमग्नवयनिवड यासपित्रायासदनाजमंगलुदसरहवेसहाशाजाजउंसडिटयवरकराहतायणप्पा विमुहउण्परक्उातुपयरुसियसषयमलिजमारजपरवक्केवलियमयलाउकसरावसह || मानणाराहवजलिहाउअलग्न कसविसंतुलादाहरुयतासुपवादश्यहमेल्लनाघना परयतरहनारदा होउभाश्मडुजाआणमिलश्कणरामारोवहिकाश्कायमसणवत्तहस वेहाणपचालिमुहाविसहायमान अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ-८ पउमचरिउ Rऊऽयमणामरुणीसरुलणामउतधगधगधगंवातयतीसएकमउसापचरुखावद वविसविस्पउविसहरुपयताकिंकालुकिमिववािकिंकसरिकेसरग्निवरिभकोजममुह कहरहाणासरिजालवणमहारपश्सरितवयणुसब्धिणुमदुमहामारुहुममरतर। उहणुार्णधाउकरिथिरचारकरुाउम्मलिउदियवरुजेमताअनामिवितामिविगायल। किरघिवाडीवउधरलियलाकरेधिउत्तामहलपहरणलामुएरमाहणहिप्रकारगणदिया यतालगोलपसुतवसितियाहविपरिहरुमिलिविमाएगकियातलिमुणेविदियरूलखणगाणं मुअलरकणुलरकोणाश्रसरिउवाकपछामुहीकुसनिरुद्ध मन्नगापुणुहियवस खलिजेवणासघावडरवंड्वरिहरणाचतारावरिपहरिवरिकिउतववरणवरिविसहाला हलुaविमरनिहिंगपिएगुहिलणविनिविसुविग्रहप्रवुदयगणतोति सिविएमचर्वताउम्माजमहाजताइदिसपछिमपहरविलग्नघजश्वविउलव पहागयज्ञविठुरावसतिजावाएंग्ना हमदुमुदिहतामागुरुवेसुकशिवसुंदरसराझवि दयपढावारकरावाकिसलयकक्कारलगतिवाउलिविविटंगकिकीतगतिक कुडकुवधारतियास्मुविकला केकवदंतिपियमाहविसकावउलवतिर्ककावप्पाह समलवविासोतरुवरुगुरुगदरसमाणुफलंपन्नवतुअरवरनिहाघिन्नापइसतिहिंत्रा अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका w Jan Education International Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SiNESwamination द्वादिमिरुणामविरामजणद्दणेहिापाग्यविविदमदसरदसएनित्रादिदि उमुलिवसइनुदिया॥२॥ ॥सायमलग्णुदामरतिरुवरुमलपरिडिया विहिसासुकश्हेकवुमिहामेहतालुगयणगतावहिानपसरझ्मेदविंगयांग -- गणेोपसरजमसम्पुसमरंगणापसरजमतिमिरुत्रामागहोपसरजननुद्धिवदुजाण हो।पसरामपाउपाविडदापसरजेमधमुधमिहहो।पसरजेमतोन्हमयवाहहापस। एजेमकिनिजगणाहदापसरजितचिंतधगदापसरजमकिनिसुकलीपदापसरा मसहुसहरहो।पसरजमसेरासिनहेमरदापसरनेमदवग्निवतपसरश्मेद। जालुतियवरातड़ियडपडणुगजाजाणामहासरपुपवाघताराम महाधपुगहिवककामदगडूंदेवडेविजसलहउापारिगितगारादिवहापाउसरा। जनाइसन्नड्पाउमपरिदुगलगलिगाधलीरगिताविसनिउगविणुमेहवि। दिलामालग्नगतडिकवालपहारेतिम्तमानविवरामदंवलिविसालाउउिही साँउउन्हालाधगधधगधगधगंवरहाउादसहसहसहसंचसंपाइजाजलजलजलार २२ नउपजलंगाजालावलिकलिंगमेलंतजमावलिधयदंड विणातरवाटलिपवन' अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कहे पिए। सडसडसडस डे उपहरं तात रुव रवि उलड लज्जत आमे हमहागयघडव्हिडंत उज उन्हाल उदिहुति डंत || छत्ता ॥ धणु अप्फा लिउ पाउसे तडिट कारफारद सिंते । वोइविजल हद विडा नार सरापतिसरि उ दे । क इ कि लिकिर्लिताएं।नंपर कुछविमुक उपासे । नैव रहिल वंति परि उपसी सर व खमुजलो लिध गिरिवर हरिश्णुमुक्त रोते ।। २जलवाणा सविधाएंघाई | गितणराहिन र विलिवाई। दद्दुरडिक्लि ग्ननमे जाग गजा लियानं उल्हवि उदवग्निवि। तेनचिद्यमविवि श्रमि उदि वायरुडर के । ऍप इस इय पिस ईसुरकें । रत्र पत्रतरूपवता यं पिया कॅन रिवदि उगिंनं जिपिया घता तेलकाले तया उप। विपिविद्या सुसु एव लपवा तरुवरम लेससा थिय जागुलप. पिणुमुणिवरजेम ||३दखिलरुरुरक मूलथियनाव हि। यमु हजरकमले चिया विहि। गयभु हजर कुपणा सेविताव है। गज नियनिव हो पा सुवे बंत जगदेव देवपरिताहित २२४ तालउजाता है कि सुरु किं किंनर। किं विजा हरगण किं किं नर धणुदरवी रखडा विउ २५ उझेनि सुत्तमहार उपल] निरु से विनंतिमुण पिणु यणुमहा ई । ऋणु में सीमंड अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (37) Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ - ९ पउमचरिउ भावहिंाणिवधिधरणियहणिजेयदुरकुसमुछिपसरियवयोवरणधरेंविरुयदएलग्न हालायमुपविकहिगाहादालायरणकिणवास्निाबणविकडवहरि लिगरिजाहाना टियरसरासुकुमारपाकमायाबिउचकहाधारणहासायपिहयतनामसमविकिमाहयनमुन्न: यत्राकिंचावटेरिकरविधिवासासवडावियचलणहाराहमिमउमाहियापुरलगा सरासरसाइविहामणुमायकमियाउपहामिउर्व मुलमियावरणनिमिययनुतति डायबिटुकमिवंसुअलमियाबद्धलाजिऊसिसयलुजिउतियणाबढणमुसिमुभवदि जणुयुद्धपडिमिणपडिउपुरंदकामउगसग्नुगिरिमंदादिहिणगणहलेकाशिवाय पहर्मदोयाबिशहारूणहतारायणादियामायणेगणवाहकूदकरकेतकाम पाखरखत्यपायाजागाउगाउमासापोहलावदामुवसुन्नमहिमंडलोसायप्राग! ययापियाजमउहिरिवलकरणकुद्धाकसाापनामितवरवमयलकालनि। मसतयाररावणपइसादगध।तेविाजसुछेदाडयासियलसरासुदिपषसहा -मेगलुरस्कसदरहा खलखुद्धपिसण्होदयिस्टोसिएशोरहसनवरसबहादुड़ाह। वटाउतारकाअातबाउसभिवायसामियके दो पतवनजमाताजगित २॥ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विदिशाकादिमिसहिंधवियणाकरापालारारियजलहरकाहिभिरहेंगसम्नधियरह वागतासगिरडियादिहलविदहरयणदिइववाह कप्पतरुवपलोहियसाहार गया लपरकनुवादस्पडालरकावासोतिलिपिउधिन्नादियहाइसवलियाजवणालाह Neणवकसनहिडेवारणवदापसमापणमुन्नदिपुणानिदिनुमन्नहडिवगलि! ध्यारेहिावादिगिहिवरयंपायौंकमलिगिदिवास्वणदिवाठाकामुरलिहिवजदरमयल! बवाहिवाणदिवायाकमुषिदिवजदरमयन्नछणुविज हिदुवरिसियघणाअमर वहूदिवववागपुरंदसागिंल दिमादिवजणहिहसासमरालिदिवसडियन रवाकदल दिसादिचालुमहासकाकलयवाहिवमाहवाणिग्नागिदिवट्यगरुक्षयंगमुविद्यालय सदनारायतदिनेसदसासयासुदकंनिहिं दससिरुदससहरू दसमडयोगिविसकैदरुसतरुः मकडपिनालिपवावच्दमाणणहाहाहासामितवसवेय/उरुमुहाविहलुलिया डिमदिदिकविलय नारववद्यापहोवुद्धादुरकुदुरकुमुहानामुक्कालग्नरू| ५६६ TaaहिदायHिaसिरसतिलातिमसुदशिवदेवयणसिरिकेनाद्धसिकमलापण गंध . रिदमुधसिमालश्वेषयमालमापादशिजयसिविंदणलहाअशिलबिवसंतलाल अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिहतिवदुरक परवडसह रिवलधापारलाजवादुमदुम्मागवेयगीराजलोबियाण्यण दडडघसंजहिरावणुपदणमालवणग्नियाणामहि दिहदसाल परिवागामेदिदिहसमउसिइंपलाइंगाईसकेसरा कंदाहादिहश्सालयन यायद्धि यद्धयोदविदाश्वपडियादिमपिङ डनसतेयणखयरधिमंडलअषयज्ञ दिहउउहलिउडकरालउपिंपलयग्निसिदधुमालदिदाहविसालश्नमिद्ध Homsaश्रामवारनामहरइंदहोइंदिहजम करणाश्वजमहोलिदिहमह.. शुक्लेटसंदोहोणपारोहमुक्कागयोहादिहउछलुयाडिम्वके दिलममुहाव लिटलुवक्मिा विजिगविहिनापहितिवजिजायनमा परकविसमेगसमरंमणमुहा अालमियाधारियरुग्रहिविहासागकाशासामुनजोमयमतजीवदयायरिक्त छावयवादिनविदणादाणरण दोलालाबासरणाअवेदिग्नहेगोयहासामिल रिसितपरिनहारगयपरिहवेयरिविङगिजातेहपुरिमुविदासणरुजापति टाकम्भजारोगाम्यावतारुजसुकेरससहेविसहेविणसराहावास्यावतरंगति लथाविवश्वाहिणिकिमिश्सासहिचाहावशवतीसहि बिमाणगसउपास अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (41) Jan Education Internatonal Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ कडुमरमिासदादासशयणसिदश्ताकरवंचरावलवारन्तिढुंसवविध कंटहिवडव थबाहिविसमखुवमस्पिनाश्मयपदियधम्मविद्धलउपायपिटुलिहालियथानुसारोवेवउबा! मुमक्षिसविसमसहिंणामुण्यहोवलियमागहादिस्सलियतरदाणहोरियपणभूषितास) HTaहिकाश्दमासणावारोवदिकिंयतिद्वयवसियरणनीतिमलिसियकलवमुद्धरण। मारोवहिकियकवेरविप्राडाकियाममहिमशिंगण्याडशिवनिकियकश्लासुद्धारासहसकि रगुणलकघरवारलारोवशिकियसुखसुवधकियारावयदापिसूलपारावदिकियदि पायररहमोडाकिंयसमिकसरिकेमरतोडणारावदिकियफलिमणिउहाल कियवरुपाहिला माणसंचालएरोवहिकिहाणहिरयाप्यायपाकियरयलियरप्राध्यायपरिवदिकियवहुरुवात, साहणुपकंयदारूसहसहसमरंगाघनास्थाजरामरतलपसिदियजासुसयवा!। रिचरोवहिकाऽवितीसगतासु॥३वनिमुलविपातविहीसपशएप्रिनिद| सासह तारिउलयायमहोबासरीरंाविण्यपादिहणजलविंडसमालोसुरवा विगतपदादावातडिफरणरणयतरकापवतरकरणसावेंरिंसाग गरीसारेकालागवल बादासाईहरेगवविडियव्यापछडरेलवन्दुग्नउिकेरुडेण्वकाडावासाबलाल ललियानालायचायतीनमुलाया हारमा हरेवापुरणवतरकाणरावण्यधादिगणपति अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal use only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ - १० पउमचरिउ कादेविमोतियफ्रामवाविवरणायरियाय दिसणसाका कोविनali जाससऊसुमारासंगपागपखकलतरूणायालयसारियण्टलावाहितहोयमाणविताहर लिकाहिवकिष्किंधपरसरालामेडलगलनालंगंगोजागध्यकणयामकतामा समायालेण्डवियगामपुषदे सदागयहवाराताई असेसढणाएपजागविमानदिपाश्यागजिगमगअमरपराध्याट्रािसामिति महाउसुदिवाएंगलमयमुमबहागोविदिइनदिसुंदर।एकदिमियांपवणमंदरायुपरविराम कियअविदणायपउंचहुंमुहाएंदलानापन्नडंउदोमुपरहावश्हानेपरमेसहिलाहिंधविराम मायटिंलोयळळोदणं आएविकाविपसिकषितरतलिसुणविचवदा ।बाणमिमायदेतणमा ताजाणमिब्रिदरिदमुप्पा ताणनिहवयगुणसंपल्या जाणमिनिहानिणसासरगलनाजालमि जिहादसोरपन्नानागुतासिरकावयाराजासमन्नारयणमणिसाराजापमिनिसायरगेला जागनिजिहसुरमहिहरधारामाणमिकसलवणजपागाताणमिनिसुयानणयहाकेगानाण निससलामरलगयहोवारण भिसामिणिजहाायहो जालनिजिहोतेउरसारााजागतिजिहमत पिसणगायनालिपिपायरलोएलामढुंघरेउसाकरेविकराजोदुनसुधारिधिन्नजपण नानागढुंगपरातिदावमरग्यणासाकादियनिय विहीमणरावोलावियएनहेवियत पालेकादरिताहणुवैतेविसिविविप्पवैतिषणमंतिउासायसश्तापगबवहतिजादेवदेवनायव अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education int onal Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KKA डिजमापदलानियालाइंग निशकालंतरणकानुउपजमरणकियेताना असणासमामाबाद विरगनमदिवायंगामेरुसिहरिजाणिवस सायकापासुन लाविशंसायमालगपुण्मइलिजायनायव विपतिाहिातोपरमेसरपकशिलवाल विसजलजलापिचढ़ए विदिधाधतेणिसुगविडवश्यरिसिआएवहोउसकारउपसिना रामुम्नादिडदेविरसगापमायोपेटवजयहोहिंविरोउसावित्पिविजाहिपुनलवणेसालरकरणी समजाइमायाामयासदहिंजिंदगदजहामियोरकियारपणसमरंगणातहिमितेपश्मारिया पट्टाम्हि श्रीयंत्रम्हहहकारादिग्राहाहोमणारगावगधनापुष्यविमाणलडारिणमिल नहपश्वरही ग्रहस्मिोंपडियपिहिमिलेमवरसायरपतमिमुणविलवाणऊसमायण नावहामांगविरवायपालराहिययात्रालश्यणामहाजामिननिणकिजरामहघि यजपतिवपिताँडागिरंकसन्नयलयेकरेजि हिंसइलसीदंगयगंडविचरसवरपुलिंदपाय जाद इतकारहरुममवती सगरवगमिगविंगसिवमयराजेहिमाणुमुजावंचविलुचविहिक लकालावपाणाडातदिवघल्लावियापारमा पहिवितहानणाणविमाणघनाजोल बहुउपाधियाणालावामिएनालाइ लावला हामणविवामिणान अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private Personal Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५२ FMकारसहावदानाविवामिलजम्हदेापवतापविदेविनयसुदशिकमकमलपिबतिवमुंधवि दिमागेवडियप्राण्यापापरिमियविज्ञाहस्मयाधामलायरिपराध्यावहिनिपिगडवा कानावादातदोधिययमेतलिडासियानहावरणामोग्रावामियकदविविहागुलाणुएपहेउग्न हिमुड़सजायपालाउसाभावादिन्तनरमंगलुधासिउापट्टागुगिनवममपानिमियम गिविहदरासायासासरगदेवमनिसामणधिनायरमेसरियटमसमागमाअनिलिकालिया हरसियपरकहादिवसिंपदिलाबदलेदसायमा केहिणियतिपरकाम्यापन: गऽपामगादविहमपिनविलग्नयालिरामहिलउहानिमुणित्वजनदरदाविय कडकविरकवारनमवद्वियमावलेजवाहिरबिउगुणपशिहाणाकहसयरवण हिलिहीगणतिनियकलाइलतमाडियालियसपडद्वतअंगुसमाडेविधि कारहावयांगितिकमततारहामायणतायसागवावलविधवालियमहरगापुगि समिहीपहातिगुणवतंधिनियाक्षिणपन्निजंतिमरंत वाघनारावललकसलियुवर्हनिया पालयदिऊलनंयोपयगायकवार दंतताबिघणंम्मयहोरामायणकण विजणहागाएतागाधनिहाइजससिसकलकतदिनपदिगिम्मनाकालभः महाजनाहजलाउवलुपुजणागविछिपातहिनिपंडिमचंदपावलियााधुनपा अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal use only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंकजाइलग्नशकमल मालपुणुनिणहलग्नादावउहाउसहाकालाहिसिहएमेलिया नभएरणाविहिावडमकामरगविवलिगमलतरुवरुाइहपवणवालपारंसियोसञ्चा: हायमानुसमुनियोहिदायरेकचाहवामोडहंडहिविसमाना॥किंकित लिदिवाजणवमुशमऊमागहाजिरकायलोलिडाईनराळानिमशिधासणहासायहिवया मुणविणहसिहलानचाउरामंपदरिसिउामहरणराहिवनसलिहलहगाहरिसिउलका ॥णुसहसहो।तिनिधिविरंतमणिकेडलाइनिसियजाणयकएयतामंडलाहरिमियलवकसन.. स्मालविहरिसियवानंघणलापालवानारतरंगरंतविसमणविदिहिमुहमुयमहिंदमुमणविग वयगवरकरवसकंदणावैदराशिदायरगदागालेकाहिवंसुग्नीगंगयाजववपणजयपवलग लायवालगिविणउसमुद्दविवसहदिअमरिंदणदिवियनापतलाकवरवनिासयलवा जावग्हरिसियापरहियपकलुसुवतआरदवाक्कुरणहरिसिया सायाजाचावला वाजिसमविपुणुवलावीकोवियरवणयरवागावियरवाणाहसयातिलिवरकोणप्रिरिया खडलडविछडेदिकालागुरुवैदयसिविडेर्दिीदेवदारुकप्परसहासचिननश्यवा उपासहि/वडियारायभायगिवाणविदवंदरविहरिवंताणविधियुनिवडियपरमसार॥ ॥वियवयसालदेउप्पशिहादेवहापईताउँसनापजहारडवाहनही अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ - ११ जंबूसामिचरिउ हमणबाविज्ञतामझामगहणुण्यतिसिनुसलिलममिनियोकॉछ। हेर्दिामपाणिनिषियलवनिमनतामवियाहिमविजापूको विजलावाविरविनिहिवालाविजांपवयवितिहाआआपत्रविमंदी विणहमलेमिःखचनेमकईयतातिहं दिसमंसुसुविसाश्यवीर रविरविननामिवाहिकवडेय सहामनवलरुणान्मत केस: ६कथयनि-नाविपयामिरीएकहाणीसंशसंविशिनिहिवरमहादामशकमान रमिदविवाडिमखानाम- कोविकमाडिवादिशदिनदियोकवाडाही ६मदिलायवलोमणमिकिनेभिगावनतमसदिवासुपवावा ममेक रोकुसंपला अहिलसाहा में डिविमिछुविधणयलगहिवार रुविराटपकवावितिहासचप्लियविषयविनियवाणपहिल्या पचालिशवलासस्विमिनिस्त्रियलिमेनियमाप्रासाडि विस्वयसवाडया विविला यावा मरिच शोधावेनहोलमाल विवितमिनिवसनापलिकमगारंगविको मिमिमनुकरवियव शहापविलिनियंयधरूपतत्वमादिसिमरित्यापक हिशप ६४सपंलोधाय:समुन्यान्नोरन -सांवडि: अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ S४*uaaसिरीत्यादिपश्यनसंबंधाविकालमाजरविरीवुअतीववृद्वाश्यपाशिनाति वाविलासातमुपागजोधूलि सस्तनिवार्तरों वरमस्वलाचयस्था: क्यारिरिमादिनामकपाय HAMAनिमसरकाहाविद्याकहोममधला सिसिपिनएपानसोपाध्यामजयाश्रमगकिपिललकरबिनविय Hoयनमलाकविमा पिपिदिसूडकमस्येप्नमयाविहारा परिव यावरहममजामघोडा नियविनाशिमिनार छतरयषसभूऊसर्वनामादिविण इमलिsuparशाहीन निवनजम समालमादिहि शखिनिजेमवरश्नही करेल सिंहसुलनिहावालकमारुति सुदामामालमरोववरखनखयह मिसयवतमवरंगधनुदायलिनकल सकिसुहासमिरलसरोवर जन जानासारवनमाविमुनाका परिपूर्णष्ट्रय अमापाससिरिमतरयवरीयाहामुंहलेविपउँहरीयाघापडेललता ||२Faमर होनसतनकाvaalat ९ ९२५६ मोधरामेिवानिया -- अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिवभूति ब्राह्मण स्कँटिनकडे नमस्महिरो विन लेना कैम अलि इसिविल क नरक विष्णा भुविधियो ॥१०॥नंनि सुणेविकु हिनय रेसि कागिनं (रय विरा मानें वुझिन सयक चिरु करिविद रिसाव मि केनरेवहिय वेसभित्र विव अनामसताघाष: लखन पावेस मिसिवप सिमऊर हानिका अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका वरुप मुय कलि ना! ते मुखमु कालितः कृतकितन समूहेन = अत्यासक्त: प्पउ४ ११४ મ (49) Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जानामिविजदूजिता: ... अतितायेगवेगेना. नंगःसनप्रणिताजेगानाननवाधिमानanuTHER ४%-य:पुन:प्राजापासीविका उहाविकानदावाबसमाधानकैaraalaसहमहामवदनाय काउदिकभानुदाविहस गयावावा यावेत दीपिका पासवगवा फायदा हानानतातभा गिाहमिदंतकरमिवसिपियमांपाहणलविदंतकिरपूरसबमविजे। विटेदना NRNAMAHAणता धनोजानःयदा रियविसूहावंकलमलियनिएककेजीविथसंदेवसिविणादि नोविमाधावपापालचकनाहरिसमिसेसषिमारियतामझामकथनां कृतनादेन वनमिलविसुणहवाश्यविनयधमूजोधकवणसेविसोवनया। स्वागवडवायसीतविमानसमास निधीवकारेवर रेपरिलमविरश्यगांधगा अपरिहालाकियाक्सgहिया २१५. कडियनीनवडनिवासिय व्यायामारपसबारातिस्पर ५सविस्वमसामियदेवोलवीडियधकाहपरियाशियोलक्षिछिपकसान कामात कामनयस्मिद्धिविधळावमावाडानियांतिवयवाचावाinga! मपाताल दूपाजः सियारवानामावविरविणरिहानिamasी बन्ने ५यविगतरनिडामविभिनजलक्षाकिरणाखालोनियंपादनदशियन केनद्रव्य वायनावादादिमावविक्तवानमिषहमांमक्षामिाहतवाहित लरहितयतिसमरिकामुरहाकारसंणदलमहीमहिपंडिविव पटनेपानमेवववर्विसिनियवान वसभााविसायाशयालारनामा समानखिम बदलवनोबा महासमितिविanthaहीदिकिकवादिनिवडदवावा तनालय विवादालिकाकasalaaपंकब-यविala.वातिssza:परिशहाजनारअतिश्वतताश्रीजनसागरतावरितामलकामा प्रावितिनताकासयागकर बिषलेरक्षा-नवnि जती. त्य अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (50 Jan Education International For Private & Personal use only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ......1 0 बुच्छामरंभुयविनिउभिदासाविचलिमेवावविख्यामापक केवलंतपखावहिदिथिन्धुवनंतपणापरिनिविमुकुनमारमाहामारी विवृणुयनाछामांकित करमणमाविमयविनियमिडारिख प्रागसिरमिपवाखामामंगडियममंदलवाना म्यातगा। विलाकु अनिमुखम घिलयविमाचलुमल्लविभाउमगलपवेहेनिश बलोकाचा भुणश्रामिणमसतिघमासादिः जाविलासागरम सवितनिश्यिसिया लामाहीविकामाला तसिपमणियापरवाहिलालापिका पिपायुक्रमेनासविमोशविउहिलाकाजकारिसमविणEPARATI जहिलणानबदुनि विाझलियालगायसंकलयायामगिर पासवान कमामापदमहिमाण विमभुलइलाकासाबाबत का मुसाभामिकहाणसादावीविपरहिवाहापापया तीRORTANBRAयाविषयमावलSविमालवा .१३० सरकलावावनि समाधावल्लुपावधिताविक ... किनाणकारितनिउपहासकारिवचन मेनका जानीहि अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (51) Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ : .२ गलिक मिनमाणीकुमादरिक्ररिकजविसंडाणाविमच रुजापसमिनि मंदमनिडोहरदरनिसावरियागतमसमुहटोकाहादत लयमदाहरगिसासालापावाकवाघिसाघमिरयालाय धावत्यादिंडविरोधासायरन वदंत होपायहाँ कहिंला समापीपलोमाधवाश्यमयबद्यमापन समारमतवम् । .. हायमासारसमुद्धिाविया अपना विपसारपसारी विकाधाक्सियारमाठिया - तपारती सुचनामरिच विमहंगाबratal - वविदिवसादिकिसिमले साधारणपंडिगोविंदप्रतामि मानविशिवलियामासविनरुपकमासुमाया राहिलामकुमार ताडमिनु तुमीपस्वामिविवक्किारनहारिदिन घर डिएतालुकावालुछाsिaijजेएमसुद्धातुहिवामासे सरतिरूपरमकाहिवारघवारातीलणमाम्मानमुपाहिका १३१ विनमुलाखकहाडिकोविकदिनिवkuथारुरिविकागजी ६थतः अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (52 Jan Education International For Private & Personal use only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ - १२ करकण्डचरिउ शिकागणस्यलाइसिजलसरातोएसिसिवाणिदणयंजायाशतेरापंसिविणवी महिदितिक्वंदरासाताएकदिदिणिपसायरेणासपीलियबुथियवणिवणासासस शुक्रिया सेडिदायावडिलपाटोणियाजामतहिताजायजगत्खणणतहिासजणियमणे रहसयलहितारिउताइसोणितत्तामङ्गएकुलयएबनकरिणिस्तात्रयरायनवारहिणिमासएपमहुदिनाजीचमिसंसएगातगयनरतावणियहाणातडवरहिलिमय लायासावरहिणिलिक्विविजीउधवसाधरिजाशवितंतहादिषुपसावणिवरहाउरिजा आतीसदेवितिखातामारजणेशितापयरिहिसिहिअलहंतपणादेवादिनडिडिभराणपणा सामणिविताश्चेडियाणिवासासिहिवश्यसअरिक्सयलताखासागरवलवाणराक्षामा राहसमणिततलवामानावपजिविपिनासेर फलाजयजीयश्वणिणाचरियण २६ जायविणिबनराहिवही िमारलग्यपिंनतरकणिकाएउबकहाणीनिसुणियुगा अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका an Educationa l Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संपाइसंपाइजेविविज्ञापरिकलिविसंगणिबनदिपणानणसमनकिल संयतणावागारमिण यरिमणाहिरााअरडिनराहिछिपासतायवदंतमणियमणस्मिापारविहिगमएकति दिमिाजलरहियहिअडविहिसोपडिनातदितरहरिनरकहिनिमनडिनाश्रमिएएाविणिम्मिय । सहयराहातहदिपाश्चपिणाफलतासहजतद्ववणिवरडरानाधरिजाइवितङ्गदिपउपसा नउवयासमहतउजाणगावणिणिहियामंतिपयमितेणाघनारायविरणवितहिक्स हिदिपायरतयकलायरायणगगरयाहसीललिहिगहिरमाणसायातापकहिदिणे मितीवरेणातारायणदएपरिवितणाबाहरणइलेविष्णुदिहियामागचरितविलासिणिमंदि राक्षागयमोलजणायणइ पियाज्ञातदिवणिणातेहिसमणियोडासरयागमससहरमाणपहिौ २२ एकहियततेलविलासिणीहिमइमारितणदएणरवहिाइनकहियठमयलूविथिरमईहितियार णदिताश्पतलिसणामाकासुरागडुन अकरेहिएड्डाएतहिालतश्ननिवेदिवादिडि पुरपजतावदपयादिवविरेणालिवादणकहियरिंपरेप अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education internal Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ डिपणयरितेजोरायणदएकहइकोसङ्गदविर्णिमेइणिलेइसोडायनाताणविधिट चरियणानरनाहअगाइनलियनाउदलस्किज्जवसउदेवमहासाणवलश्मतिहिमारियल जावयासणेविणसरल वाहासंबहनमंतिहिवरणिणाझातिहिफलहिममिएकजिफलाख रणर हरियनमावरणिधराशवराहविलिशुचविखमीसावणियउपसपनधरणिईसापा रियाणविर्मतीरायणडालिवर्णदएपिडदिवदेवाचदहोहिनरेसरपरममिवामदेववहाँ सकलिवितावणियाणवणेविणणरवरेणाअहियाव्यसानपणतणागरुयाणसयुजान अवहेशहियाईछियासंघइसोलहेइकहाणीकहियवसामुणसारणिपुनदिया घनाकरकंउजणाविठव्यरज्ञादियबुद्धिज्सयल कलिताश्यलिसिएजाणवहरवास वनइणिडवलतंयमुणेविषखयराखाकर कंजुणमेलश्यासुताखाणियामंदिसा२३ मिल्लिविरम्ममाटाकरकंडणमेलमसालासकर इतिछुलीलाइजामादतीपुरिएकहिदिवसितामा न अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ -१३ धण्णकुमारचरिउ तंत्रहिनाइविधवजगिहिलासलिएमबिलुक्वजापताहिंतासुजलामसहाय रासायपासापरसरकराडवायलमालागकशतायुरुपतिमउवादही मकावलायईएकलशया मालिकाच्यातरेलामन्मत कारसुवार तकदेसलिशा सलवरोधासाकरिपुमुधकच लत्यसकतीधामविलाय . सातादिजिवयसपालियम चलचिलिमेलिविसरमवतारालपडिरवासवेटिंकरिक्षारियाले वश्वत्रियविरमवारिचारकति तेलसियालयाहकसिचावतात बियाण्यानमारलविर शेवादविवमलसवेकशविपावहिश्यमलने निविसुलयतधनायबउलिविलाखुलिसवनितालावाहितोगविद्यावद्धि अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International . Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पहिशहिमालयवसवावहिवनक्लनियोहियरालिशवस्यवसपए जालियाचक्षुजललिवनखेसनियमावलिजाहिमुडवएकलियातहेदिल मिलियनुलयनीयवासयतेनुसया इसकीयाजावरयलिसी हलवान रापल्लाहविगयुतेपसुगियरातामु जगासमवेतमाहत्यागरास खनिषगलियानाहाहाकाह।। सुक्दसमुहोस तविहित सुमधुसुसकिासातायतायहोकि मजविसमेसुवाजसुवनुकेप विसमाहाहाकिंबंधवणचितमाम सुनविसमावधर्दिपनारदस रलविएसंपत्तीकरीिभिमजयननतामऊमायलयका न्यकेदतिवारिलायमानादिकलुलुम दहिवालावरससि अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education For Private & Personal use only matonal Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मानिसहरयालगार्जिलियन विधरियनारधारेतरीयनपरपसार जियोसियजामहरपालिवेटेलसिंचवीसरस्मानियवाही हायवितिखुजाचावलिकि मदासश्सनसुलोचापकनीकि विथमुपगतवजावे भावमिशहजुताहाहाकिनाशकमा शाकिसरत्यारकावेदवेदेसंगचा . लघुलइससअदिसत एशनाममात्सवबाहजिएर हालिरवरावस्याल कारगिमारी रामकिडाविलवतत्र कमजललितास्वमिसुसंस्था नवलपलपायासानाकिलरयमित्यनिलुमिताडविवेलमतुग रसुदाम्यहासायपियविविविवारियापकान बोडासांग अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विधायजाकटासनडिविसहमणासुरणवचालिसेविविधसूद धापटमसमिएलसुरवरासजायनसावळसेवाधारयामाहरलखि हसिगारगलयूसुवाससिव लवाटायंसरतमतिसेवेवसर सयनमिशवलाइ विसाकिरा चेतज्ञ कोलकेमहरकिकरकोपस किाजुबईवराश्यक्तितश्वहिन । वलपजाविससेग्गवामित्धन सरवर किंकराण्यवरवर विमा महायरामाइकिल कावसजानेउपमनाऽवित्रानुनिए श्रधारवादीतलिजा डिवाइकियञ्चमेसलाहिजमिनहतिससलमेरिवाजलाएसऊद संतरुफिस्मिथकश्यसाथमामानिदिधाथिपहिवतहिंपरिम HEAR अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दामुयदिगाउँ सुलिवरास झालासी दलिय तव सरावल व महंगात दिसुतम जात विवादयते लिया यधरि नवसीय कंदरिविवरियकतहि । श्रथम नऊ सुमित्र (संसार सरुवति विनियमिजा लियस मिनार्सेल हवा मुखरजा नियविव सुविययसाएं डरकनसा हैं दिविश्व मिजायन सुरकधरुत्रय त्रदित प्रमायरे इत्तरिया मह केवख वियविहाव रिया प्रियसु हा एसयल जि मिलियास जाम लिए तेजोय चलिया। सत्रधवल मिग विसियंत्र महाजल से सियाघज्ञान ऊंखा कुमिये न। जेनई सेसई पत्रगिरिसंह वारितदित करवलाश 455हज मल दिन अपभ्रंश- पाण्डुलिपि चयनिका . (61) Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इदिसिपडियतालावियनमा लगियविता सयलविंडरकार्य यतेथुकाउझिविमायरिसुविधादारोवंगदलमाहायलाहाह होमपदपुत्स रिकातिरक्की लिंकारलिउवेरिकावारंतहसनहेगा यसकाशहाहाकिलाय गहा किकामजायचदाहाबाद खत्रावासिकमलवनामजलं. गियकवितासापा लाच्यामिलरत्ययसिाध्यसमिति चलणकरमेलवविवालिंगन जागहेगलेधितासुरवरुवितश्समा वासिकिमजललिमक्षवमाख रामिाजाईविसेवाक्षमिताहिजजिमसिशस्तपिरुलाइकालविण वगुरुवलारविंदापलमविनाविगश्मलग्रलिंदाश्यतिक्विायतति अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुरे सुमाथांकरेवि विरदेदवेसु । लियमच्या विविजेएसवाय किंकंदी दराव हिमझुमायाह जी व मालुमऊ लिय दिवारका नाम लामो हाच रविवयसि इजा मित्र माम घुघत्रा मे लिविकस्वर मशव हकरमधाविना लैगेइतऊ तासुखरु सारनावसुयुलधार वाप उसरेविथिनसेो विला जय ईलाज झदिजपलिसारु जिरगुव यमुद्रयाव रुजल देतारु का का सुस्माको कोसुनिता महिससा रुजिम लिच लेखामा है वचन मे करेशच्या चरकएक विकासुधरेविष्य इयरुम कि हम वितिम धगह हिमाइदविले विजेंलन दिइचियस्यल सरकाळे हिजैन भू अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका 63) Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5खल कारखाली संग्ररु सयलुम करि दिसोम सुपे दिल म हहहिविषा मुसरिविद्यटम राशि सुरदेव दिए जा सिवि वववादधिपयडियसुवा नायव सुदिवस तमोदाक वरखइविजागा सुबाइदिन पुलिय मुलिला हलसिट अंतर विगयवासी तिपया दुलि देणु गुरु पयारी देवें वंदियता गरईया घाबरुधोपयासि विविरकइन सिविचम्पादेवपनामप विद्यधणावह चलाएम नमिवि सवान किरण तमाशा वंदिन लिगमा तोयविमुगयस जमा घर लोग देना वेव दिवालिये कय हिट करम सिंदिनी साय वृईए मुप्रिम विविना सिची सामिय अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका . (64) Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राजस्थान में प्राकृत-अपभ्रंश की पाण्डुलिपियाँ : परिचय डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल पं. अनूपचन्द 'न्यायतीर्थ' राजस्थान प्राचीन काल से ही साहित्य का केन्द्र रहा है। इस प्रदेश के शासकों से लेकर साधारण जनों तक ने इस दिशा में प्रशंसनीय कार्य किया है। कितने ही राजा-महाराजा स्वयं साहित्यिक थे तथा साहित्य निर्माण में रस लेते थे। उन्होंने अपने राज्यों में कवियों एवं विद्वानों को आश्रय दिया तथा बड़ी-बड़ी पदवियाँ देकर सम्मानित किया। अपनी-अपनी राजधानियों में हस्तलिखित ग्रंथ संग्रहालय स्थापित किये तथा उनकी सुरक्षा करके प्राचीन साहित्य की महत्त्वपूर्ण निधि को नष्ट होने से बचाया। यही कारण है कि आज भी राजस्थान में कितने ही स्थानों पर विशेषतः जयपुर, अलवर, बीकानेर आदि स्थानों पर राज्य के पोथीखाने मिलते हैं जिनमें महत्त्वपूर्ण साहित्य संगृहीत किया हुआ है। यह सब कार्य राज्य स्तर पर किया गया। इसके विपरीत राजस्थान के निवासियों ने भी पूरी लगन के साथ साहित्य एवं साहित्यिकों की उल्लेखनीय सेवायें की हैं और इस दिशा में जैन यतियों एवं गृहस्थों की सेवा अधिक प्रशंसनीय रही है। उन्होंने विद्वानों एवं साधुओं से अनुरोध करके नवीन साहित्य का निर्माण करवाया। पूर्व निर्मित साहित्य के प्रचार के लिए ग्रंथों की प्रतिलिपियाँ करवायीं तथा उनको स्वाध्याय के लिए शास्त्र - भण्डारों में विराजमान किया। प्राचीन साहित्य का संग्रह किया तथा जीर्ण-शीर्ण ग्रंथों का जीर्णोद्धार करवाकर उन्हें नष्ट होने से बचाया। जैन संघ की इस अनुकरणीय एवं प्रशंसनीय साहित्य सेवा के फलस्वरूप राजस्थान के गाँवों, कस्बों एवं नगरों में ग्रंथ संग्रहालय स्थापित किये गये तथा उनकी सुरक्षा एवं संरक्षण का सारा भार उन्हीं स्थानों पर रहनेवाले जैन श्रावकों को दिया गया। साहित्य-संग्रह की दिशा में राजस्थान के अन्य स्थानों की अपेक्षा जयपुर, नागौर, जैसलमेर आदि स्थानों के भण्डार संख्या, प्राचीनता, साहित्य-समृद्धि एवं विषय-वैचित्र्य आदि की दृष्टि से उल्लेखनीय हैं। राजस्थान के इन भण्डारों में ताड़पत्र, * राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की ग्रन्थ सूची भाग १ से ५, संपादक डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल, पं. अनूपचन्द 'न्यायतीर्थ', प्रकाशकश्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, श्री महावीरजी से संकलित. अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (65) Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कपड़ा और कागज इन तीनों पर ही ग्रंथ मिलते हैं किन्तु ताड़पत्र के ग्रंथ जैसलमेर के भण्डारों में ही मुख्यतया संगृहीत हैं। अन्य स्थानों में उनकी संख्या नाममात्र की है। कपड़े पर लिखे हुये ग्रंथ भी बहुत कम संख्या में मिलते हैं। अभी जयपुर के पार्श्वनाथ ग्रंथ भण्डार में कपड़े पर लिखा हुआ संवत् १५१६ का एक ग्रंथ मिला है। इसी तरह के ग्रंथ अन्य भण्डारों में भी मिलते हैं लेकिन उनकी संख्या भी बहुत कम है। सबसे अधिक संख्या कागज पर लिखे हुये ग्रन्थों की है जो सभी भण्डारों में मिलते हैं। ये १३वीं शताब्दी से मिलने लगते हैं। जयपुर नगर सम्वत् १७८४ में बसाया गया था। यहाँ के शास्त्र-भण्डार संख्या, प्राचीनता, साहित्य-समृद्धि एवं विषयवैचित्र्य आदि सभी दृष्टियों से उत्तम हैं। वैसे तो यहाँ के प्रायः प्रत्येक मन्दिर में शास्त्र संग्रह किया हुआ मिलता है; किन्तु जैनविद्या संस्थान का शास्त्र-भण्डार, बड़े मंदिर का शास्त्र-भण्डार, ठोलियों के मन्दिर का शास्त्र-भण्डार, बधीचन्दजी के मन्दिर का शास्त्र-भण्डार, पांडे लूणकरणजी के मन्दिर का शास्त्र-भण्डार, पाटोदी के मन्दिर का शास्त्र भण्डार आदि कुछ ऐसे शास्त्रभण्डार हैं जिनमें प्राकृत, अपभ्रंश भाषाओं के महत्त्वपूर्ण साहित्य का संग्रह है। अपभ्रंश का जितना अधिक साहित्य जयपुर के इन भण्डारों में संगृहीत है उतना राजस्थान के अन्य भण्डारों में संभवतः नहीं है। यहाँ के शासक एवं जनता दोनों ने ही मिलकर अथक प्रयासों से साहित्य की अमूल्य निधि को नष्ट होने से बचा लिया। इसलिये यहाँ के शासकों ने जहां राज्य स्तर पर ग्रंथ संग्रहालयों एवं पोथीखानों की स्थापना की, वहीं यहाँ की जनता ने अपनेअपने मन्दिरों एवं निवास स्थानों पर भी पाण्डुलिपियों का अपूर्व संग्रह किया।जयपुर का पोथीखाना जिस प्रकार प्राचीन पाण्डुलिपियों के संग्रह के लिए विश्वविख्यात हैं उसी प्रकार नागौर, जैसलमेर एवं जयपुर के जैन ग्रंथालय भी इस दृष्टि से सर्वोपरि हैं। बधीचन्दजी के मन्दिर का शास्त्र-भण्डार बधीचन्दजी का दिगम्बर जैन मन्दिर जयपुर में जौहरी बाजार के घी वालों के रास्ते में स्थित है। यहाँ प्राकृत, अपभ्रंश आदि भाषाओं के ग्रन्थों का उत्तम संग्रह किया हुआ मिलता है। कुछ ग्रन्थों की ऐसी प्रतियां भी यहाँ है जो ग्रन्थ निर्माण के काफी समय के पश्चात् लिखी होने पर भी महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसी प्रतियों में स्वयम्भूका हरिवंशपुराण, महाकवि वीर कृत जम्बूस्वामीचरित्र, कवि सधारु का प्रद्युम्नचरित आदि उल्लेखनीय हैं। भण्डार में सबसे प्राचीन प्रति 'वड्डमाणकाव्य' की वृत्ति की है जो संवत् १४८१ की लिखी हुई है। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ठोलियों के दिगम्बर जैन मन्दिर का शास्त्र-भण्डार यह शास्त्र-भण्डार ठोलियों के दिगम्बर जैन-मन्दिर, घी वालों का रास्ता, जौहरी बाजार, जयपुर में स्थित है। भण्डार में सबसे प्राचीन प्रति ब्रह्मदेव कृत 'द्रव्यसंग्रह टीका' की है जो संवत् १४१६ (सन् १३५९) की लिखी हुई है। इसके अतिरिक्त योगीन्द्रदेव का परमात्मप्रकाश सटीक, हेमचन्द्राचार्य का शब्दानुशासनवृत्ति एवं पुष्पदन्त का आदिपुराण आदि रचनाओं की भी प्राचीन प्रतियां उल्लेखनीय हैं। शास्त्र-भण्डार पंडित लूणकरणजी पांड्या यह लूणा पांड्या के मन्दिर के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। पंडित लूणकरणजी जैन यति थे, जो पांड्या कहलाते थे। सबसे प्राचीन प्रति इस भण्डार में अपभ्रंश के 'परमात्मप्रकाश' की है जो संवत् १४०७ में लिखी गयी थी। शास्त्र-भण्डार श्री दिगम्बर जैन मन्दिर बड़ा तेरापंथी जयपुर नगर बसने के कुछ समय बाद ही इस मन्दिर का निर्माण हुआ। इस मन्दिर में स्थित शास्त्र-भण्डार जयपुर के अन्य शास्त्र-भण्डारों की अपेक्षा उत्तम एवं वृहद् है। भण्डार में उपलब्ध अपभ्रंश साहित्य महत्त्वपूर्ण है। अपभ्रंश एवं प्राकृत के ग्रन्थों की प्राचीन प्रतियों के अतिरिक्त कुछ ऐसी रचनायें भी हैं जो केवल इसी भण्डार में सर्वप्रथम उपलब्ध हुई हैं। प्राचीन प्रतियों में कुन्दकुन्दाचार्य कृत 'प्राकृत पञ्चास्तिकाय' की संवत् १३२९ की प्रति मिली है जो भण्डार में उपलब्ध प्रतियों में सबसे प्राचीन प्रति है। यहाँ महाकवि पुष्पदन्त विरचित आदिपुराण की एक सचित्र प्रति भी उपलब्ध हुई है। यह प्रति संवत् १५९७ की है। इसमें ५०० से भी अधिक रंगीन चित्र हैं। (इसका प्रकाशन जैनविद्या संस्थान से सन् २००६ में कर दिया गया है।) अपभ्रंश भाषा के ग्रन्थों में वारक्खरी दोहा, दामोदर कृत णेमिणाह चरिउ तथा तेजपाल कृत संभवणाह चरिउ उल्लेखनीय हैं। अपभ्रंश भाषा की महाकवि धवल-रचित हरिवंशपुराण की एक प्राचीन एवं सुन्दर प्रति भी यहाँ है। शास्त्र-भण्डार दिगम्बर जैन मंदिर पाटोदी इस मंदिर का निर्माण जयपुर नगर की स्थापना के साथ हुआ था और उसी समय यहाँ शास्त्र-भण्डार की भी स्थापना हुई। इसलिये यह शास्त्र भण्डार २०० वर्ष से भी अधिक पुराना है। भंडार में अपभ्रंश महाकवि पुष्पदन्त कृत 'जसहरचरिउ' की अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International www.janelibrary.org Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रति सबसे प्राचीन है जो सम्वत् १४०७ में चन्द्रपुर दुर्ग में लिखी गई थी। यहाँ प्राकृत के गोम्मटसार जीवकांड, समयसार आदि महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ उपलब्ध हैं। अपभ्रंश भाषा के ग्रंथों में लक्ष्मणदेव-कृत मिणाहचरिउ, नरसेन की जिनरात्रिविधानकथा, मुनि गुणभद्र का रोहिणी-विधान एवं दशलक्षणकथा तथा विमलसेन की सुगंधदशमीकथा यहाँ उपलब्ध है। जयपुर से बाहर के शास्त्र-भण्डार शास्त्र-भण्डार दिगम्बर जैन बड़ा मंदिर, डीग भण्डार में प्राकृत 'भगवती आराधना' की सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि है। जिसका लेखन काल संवत् १५११ है। इसके अतिरिक्त अपभ्रंश काव्य भविसयत्तचरिउ (श्रीधर) की प्रति भी यहाँ उपलब्ध है। शास्त्र-भण्डार दिगम्बर जैन मन्दिर पार्श्वनाथ, टोडारायसिंह यहाँ संगृहीत अपभ्रंश के णायकुमारचरिउ (सम्वत् १६१२) जंबूसामिचरिउ (सम्वत् १६१०) आदि ग्रन्थों के नाम उल्लेखनीय हैं। शास्त्र-भण्डार दिगम्बर जैन मन्दिर संभवनाथ, उदयपुर यहाँ अपभ्रंश का यश:कीर्ति द्वारा रचित हरिवंशपुराण ग्रन्थ उपलब्ध है। शास्त्र-भण्डार दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर, बसवा महाकवि श्रीधर की अपभ्रंश कृति भविसयत्तचरिउ की संवत् १४६२ की पाण्डुलिपि यहाँ उपलब्ध है। शास्त्रभण्डार दिगम्बर जैन मन्दिर, करौली यहाँ दो मंदिर हैं और दोनों में ही शास्त्रों का संग्रह है। दिगम्बर जैन पंचायती मन्दिर एवं दिगम्बर जैन सोगाणी मन्दिर। अपभ्रंश भाषा की वरांग चरित्र की पाण्डुलिपि यहाँ उपलब्ध है। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शास्त्र-भण्डार दिगम्बर जैन तेरहपंथी मन्दिर, दौसा अधिकांश ग्रन्थ अपभ्रंश एवं हिन्दी के हैं। अपभ्रंश ग्रन्थों में जिणयत्तचरिउ (लाख), सुकुमालचरिउ (श्रीधर), वड्ढमाणकहा (जयमित्तहल), भविसयत्तकहा (धनपाल) एवं महापुराण (पुष्पदंत) के नाम उल्लेखनीय हैं। उपर्युक्त सामग्री 'राजस्थान के ग्रन्थ भण्डारों की ग्रन्थ सूची' से संकलित की गई है। प्राकृत-अपभ्रंश की बहुलता के लिए अन्य शास्त्र भण्डार निम्न हैं - शास्त्र-भण्डार जैनविद्या संस्थान, जयपुर; भट्टारकीय शास्त्र-भण्डार, नागौर एवं जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जैसलमेर - इन तीनों का यहाँ परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है - शास्त्र-भण्डार जैनविद्या संस्थान, जयपुर यहाँ अपभ्रंश के अनेक ग्रन्थ संगृहीत हैं। कुछ के नाम इस प्रकार हैंमहापुराण-पुष्पदंत (संवत् १४६१) अमरसेण चरिउ-माणिक्क (संवत् १५७७) पासपुराण-पद्मकीर्ति (संवत् १४९४) श्रीपालमैनासुंदर चरिय-नरसेन (संवत् १५७९) सुदंसणचरिउ-णयणंदि (संवत् १५०४) श्रेणियचरिउ-जयमित्त हल्ल (संवत् १५८०) जंबूसामिचरिउ-कवि वीर (संवत् १५१६) श्री बाहुबलिदेवचरिय-बुह धणवाल (संवत् १५८४) पउमचरिउ-स्वयंभू (संवत् १५४१) प्रद्युम्न चरित्र-कवि सिंह (संवत् १५८६) करकण्डचरिउ-मुनि कनकामर (संवत् १५६३) सुलोयणाचरिय-गणि देवसेन (संवत् १५८७) रयणकरण्ड-श्रीचन्द (संवत् १५६३) भविसयत्तचरिय-धणवाल (संवत् १५८८) मयणपराजयचरिउ-हरिदेव (संवत् १५७६) दोहापाहुड-महयन्दु (संवत् १६०२) अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण्डुपुराण- जसकित्ति (संवत् १६०२ ) चन्दप्पहचरिय - जसकित्ति (संवत् १६०३) अप्पसंवोह कव्व (संवत् १६०७ ) जिणयत्तकहा- लहखू (संवत् १६११) णायकुमारचरिउ - पुष्पदंत (संवत् १६१२) मेहेसरचरिय- रइथू (संवत् १६१९) धण्णकुमारचरिउ - रइधू (संवत् १६३६) यहाँ अपभ्रंश भाषा के अतिरिक्त प्राकृत भाषा की भी भगवती आराधना - आचार्य शिवकोटि (संवत् १५१४) प्रवचनसार - आचार्य कुन्दकुन्द (संवत् १५४७) त्रिलोकसार-आचार्य नेमिचन्द्र (संवत् १५६०) णायाधम्म कहा (संवत् १६०० ) पंचास्तिकाय - आचार्य कुन्दकुन्द (संवत् १६२७) तत्त्वसार- देवसेन (संवत् १६२९ ) षडावश्यक (संवत् १६७४) उवएसमाला - धम्मदास गणि (संवत् १७१४) जसहरचरिय- पुष्पदन्त (संवत् १६८७) मृगावतीचरित्र - समय सुन्दरगणि (संवत् १६८७) वर्द्धमान काव्य- जयमित्तहल्ल (संवत् १८१२) मल्लिचरिउ - जयमित्त हल्ल भविसयत्त चरित - विवुह सिरिहर परमिट्ठपयाससार- सुदकित्ति पासचरित - तेजपाल महत्त्वपूर्ण पाण्डुलिपियाँ हैं - मूलाचार (संवत् १७८८) अष्टपाहुड-आचार्य कुन्दकुन्द (संवत् १८०१ ) जंबूचरित्र (संवत् १८१५ ) त्रिलोकसार-आचार्य नेमिचंद (संवत् १८५९) स्वामीकार्तिकेयानुप्रेक्षा - स्वामीकार्तिकेय (संवत् १८६६ ) कुम्मापुत्त चरितं माणिक्य सुन्दर (संवत् १८६९) द्रव्य संग्रह - आचार्य नेमिचन्द्र (संवत् १९२२) उपदेश रत्नमाला - पदम जिणसरसूरि अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (70) Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारहणुवेक्खा-आचार्य कुन्दकुन्द समयसार-आचार्य कुन्दकुन्द आराधनासार-देवसेन पंचसंग्रह-सुमतिकीर्ति गोम्मटसार कर्मकाण्ड-आचार्य नेमिचन्द्र भट्टारकीय ग्रन्थ भण्डार, नागौर - यह भण्डार प्राकृत-अपभ्रंश के ग्रन्थों के लिए महत्त्वपूर्ण है। यहाँ अपभ्रंश के बहुत ग्रन्थ संगृहीत हैं, कुछ के नाम इस प्रकार हैं - परमात्मप्रकाश - योगीन्दुदेव (संवत् १४४०) वरांग चरित्र-पं. तेजपाल (संवत् १६०७) इष्टोपदेश-अमरकीर्ति (संवत् १४६८) सम्यक्त्व कौमुदी-रइधू (संवत् १६०९) श्रीपाल चरित्र-पं. नरसेन (संवत् १५७१) आत्म सम्बोध काव्य-रइधू (संवत् १६१२) सकल विधि विधान काव्य-नयनन्दि (संवत् १५७७) ऋषभनाथ चरित्र-पुष्पदन्त (संवत् १६१६) चन्द्रप्रभ चरित्र-यश:कीर्ति (संवत् १५८१) भविष्यदत्त चरित्र-धनपाल (संवत् १६२८) मदनपराजय-हरिदेव (संवत् १५८७) नेमिनाह चरित्र-पं.दामोदर वर्द्धमान काव्य-जयमित्तहल्ल (संवत् १५९२) बाहुबली चरित्र-पं. धनपाल यहाँ प्राकृत के भी कई ग्रन्थ संगृहीत हैं। कुछ के नाम इस प्रकार हैंजीव प्ररूपण-गुणरयण भूषण (संवत् १५११) सप्ततत्त्वादि वर्णन (संवत् १६१४) भगवती आराधना-शिवार्य (संवत् १५६८) भगवतीसूत्र (संवत् १६०९) भावसंग्रह-देवसेन (संवत् १६०४) उपासकाध्ययन-आचार्य वसुनन्दि (संवत् १६४८) अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लघु प्रतिक्रमण (संवत् १६५१ ) कल्पसूत्र बालावबोध (संवत् १७१७) जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जैसलमेर इस प्रसिद्ध भण्डार में प्राकृत के जैन आगम एवं आगमेतर ग्रन्थों का विशाल संग्रह है। कुछ के नाम प्रस्तुत हैं आचारांग - सुधर्मा (संवत् १५०० ) सूत्रकृतांग- सुधर्मा (संवत् १५०० ) स्थानांग - सुधर्मा (संवत् १५०० ) आदि जैन आगम साहित्य संगृहीत हैं। लोकनालि-जिनवल्लभ (संवत् १३०० ) प्रवचन संदोह (संवत् १३०० ) अष्ट प्रकारी पूजा कथानक (संवत् १४०० ) पुष्पमाला (संवत् १४७८) धर्मोपदेश माला - जयसिंह सूरि (संवत् १४०० - १५००) महिपाल चरित्र - वीरदेव गणि (संवत् १५०० ) गौतमपृच्छविचार (संवत् १५०० ) श्रीपाल चरित्र (संवत् १५७० ) प्रवचनसारोद्धार - नेमिचन्दसूरि (संवत् १५८७) आराधना सार- देवसेन भगवती सूत्र (व्याख्या प्रज्ञप्ति) - सुधर्मा (संवत् १५०० ) सूत्रकृतांग की नियुक्ति-भद्रबाहु (संवत् १५७२) आचारांग की नियुक्ति-भद्रबाहु (संवत् १६७१) हरिबल चरित्र (संवत् १६०० ) पउमचरियं विमलसूरि (संवत् १६२५ ) कुर्मापुत्रकथा-जिणमाणिक्यसूरि (संवत् १६६४) अंगविद्या (संवत् १६६९ ) पंच अणुव्रत (संवत् १७००) नवतत्त्व (संवत् १७०० ) वज्जलग्गं (संवत् १७०० ) तत्त्वतरङ्गिणि- तेजसागरगणि (संवत् १८०० ) अपभ्रंश- पाण्डुलिपि चयनिका (72) Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अपभ्रंश के कुछ ग्रन्थ इस प्रकार हैं - योगशास्त्र का बालावबोध (संवत् १६००) ऋषभ विवाहलौ (संवत् १६०६) सुदर्शनकथा (संवत् १७००) पूरणश्रेष्ठी कथा (संवत् १७००) रत्नपरीक्षा समुच्चय (संवत् १८००) महावीर बत्तीसी (संवत् १९००) अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तुत आधुनिक रूपान्तरण पाण्डुलिपि का अक्षरशः रूपान्तरण है । इसका उद्देश्य विद्यार्थी को पाण्डुलिपि के अक्षर पहचानना एवं पाण्डुलिपि पढ़ना सिखाना है। संपादित पुस्तक एवं दिये गए आधुनिक रूपान्तरण के अक्षरों में कहीं-कहीं अन्तर हो सकता है। विद्यार्थी को चाहिए कि वह केवल पाण्डुलिपि के अक्षर एवं शब्दों को पहचानने का प्रयास करें । Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ १ महापुराण ण्णहीणि जिणगुण संभरणु व। णिद्धणि णिग्गुणि विहलुद्धरणु वाघत्ता॥ थिउ चक्कु ण पुरवरि पइसरइ णावइ केण वि धरियउ। ससि विंवु व णहि तारासयहिं सुरणरेहि परियरिठ॥३॥ आरणालं॥ ता भणियं णिराइणा रुढराइणा। चंडवाउ वेयं । किं थियमिह रहंगयं। णिच्चलंगयं तरुणतरणितेयं ॥ तं णिसुणेप्पिणु भणइ पुरोहिउ। जेणेयहु गइपसरु णिरोहिउ। अक्खमि तं णिसुणहि परमेसर देवदेव दुजय भरहेसर। भुय जुयवल पडिवल विद्दवणहं पयभरंथिरमहियल कंपवणहं । तेओहामियचंददिणेसहं जणदिण्णमहिलच्छिविलासहं । कित्तिसत्तिजणमेत्तिसहायहं को पडिमल्ल एत्थु तुह भायहं। सेव करंति ण तुह भाईवइ। णउ णवंति तुह पयराईवइ। दिति ण करभरु केसरिकंधर। पर मुहियए भुंजंति वसुंधर। अज्ज वि ते सिझंति ण जेण जि। पइसइ पट्टणे चक्कु ण तेण जि ॥घत्ता ॥ रइवरु परमेसरु उच्छुधणु धरणिहरणरणपरियरु। कासवतणुरुहु णवणलिणमुहु। भुयाणुद्धरणधुरंधरु॥४॥ आरणालं॥ विलसियकुसुममग्गणो गरुयगुणगणो। तरुणिहिययथेणो। असरिसविसमसाहसो। विस हयालसो णिहयवेरिसेणो॥ अण्णु वि जसवइ तणयह जे?उ पुत्तुसुणंदहि तुज्झु कणि?उ। सायरु जह तह मयरधयालउ। चावहं चारु वयण च। णिवकुमारवासं। दुमदललुलियतोरणं। रसियवारणं। छिण्णभूमिदेसं ॥ तेहिं भणिय ते विणउ करेप्पिणु सामिसालतणुरुह पणवेप्पिणु। सुरणरविसहरभयई जणेरी करहु केर णर णाहहो केरी। पणवह किं वहएण पलावें। पहइ ण लब्भइ मिच्छागावें। तं णिसणेवि कुमारगण घोसइ। तइ पणवहं जइ वा ण दीसइ। तइ पणवहुँ जइ सुथिरु कलेवरु। तइ पणवहुं जइ जीविउसुंदरु। तइ पणवहुं जइ जरए ण झिज्जए। तइ पणवहुं जइ पुट्ठि ण भज्जइ। तइ पणवहुं जइ वलु णोहट्टइ। तइ पणवहुं जइ सुइ ण विहट्टइ। तइ पणवहुं जइ मयणु ण फिट्टइ। तइ पणवहुं जइ आउण खुट्टइ। कंठे कयंत पासु ण चहुट्टए। तइ पणवहुं जइ रिद्धि ण तुट्टइ ॥घत्ता॥ जइ जम्मजरामरणइं हरइ चउ गइ दुक्खई वारइ। तो पणवहुं तासु णरेसरहो। जइ संसारहो अपभ्रंश-पाण्डुलिपिचयनिका Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तारइ ॥७ ॥ आरणालं ॥ पुणरवि तेहिं गहिरयं । सवण महुरयं। एरिसं पउत्तं । आणापसरधारणे। धरणि कारणे। पणमिउं ण जुत्तं ॥ ब॥ पिंडिखंडु महिखंडु महेप्पिणु। कह पणविजइ माणु मुएप्पिणु। वक्कलणिवसणु कंदरुमंदिरु वणहलभोयणु वरि तं सुंदरु। वरि दालिद्दु सरीरहो दंडणु। णउ पुरिसहो अहिमाणविहंडणु। परपयरयभूसर किंकिरसिरि। असुहावणि णं पाउससिरिहिरि। णिव पडिहार दंड संघट्टणु। को विसइ करेण उरलोट्टणु। को जोवइ मुहं भूभंगालउ। किं हरिसिउ किं रोसि कालउ। पहु आसण्णु लहइ धेट्ठत्तणु। पविरलदंसणु णिण्णेहत्तणु। मोणे जडु भडु खंतिए कायरु। अजउ पसु पंडियउ पलाविरु। अमुणियहिययचारुगरुयत्तें। कलहसीलु भण्णई सुहडत्तें। महु........चाडुयगारउ। केम वि गुणे ण होइ सेवारउ ॥घत्ता॥ अइतिक्खहं धम्मगुणुज्झियहं मम्मवियारह वसणहं। को वाणहं सम्मुहु थाइ रणे को महिवइघरि पिसुणहं॥८॥ आरणालं॥ अहवा तेहि किं कयं जं समागयं दुल्लहं णरत्तं ॥ तं जो विसयविसरसे। घिवइ परवसे। तस्स किं वुहत्तं ॥ ब॥ कंचणकंडें जंवुउ विंधइ मोत्तियदामें मक्कडु वंधइ। खीलयकारणि देउलु मोडइ सुत्तणिमित्तु दित्त मणि फोडइ। कप्पूरायररुक्ख णिसुंभइ कोद्दवछेत्तहो वइ पारंभइ। तिलखलु पयइ डहेवि चंदणतरु। विसु गेण्हई सप्पहो अप्पेवि करु। पीयई कसणइं लोहियसुक्कइं। तक्कें विक्कइ सो माणिक्कइं। जो मणुयत्तणु भोएं णासइ । तेण समाणु हीणु को सीसइ। चित्तु समत्तणे णेय णियत्तइ। पुत्तु कलत्तु वित्तु संचिंतइ। मरइ रसणफसंणरसदड्डउ । मे मे मे करंतु जह मिंढउ। खजइ पलयकालसङ्कलें। डज्झइ दुक्खहुयासणजालिं। मंजरु कुंजरु महिसउ मंडलु। होइ जीउ मक्कडु आहुंडलु पित्ता॥ केलासहो जाइवि तवयरणु ताएं भासिउ किज्जइ। जेणेह सुदूसहतावयरि। संसारिणी तिस छिज्जइ॥ ९॥ ॥आरणालं॥ इय भणिउं कुमारया मारमारया समरमा पवण्णा। दरिविघरियवराहयं। सवरराहयं काणणं पवण्णा ॥ ब॥ दिदु तेहिं केलासि जिणेसरु। संथुउ रिसहणाहु परमेसरु। जय रिसिणाह वसह वसहद्धय। जय तियसिंदमउलिलालियपय। जय जाणियपरमक्खरकारण। जय जिण मोहमहावरुवारण। जय सुहवास दुरासावारण। जय ससहरसियवारिणिवारण। पुणु वि पंच परमेट्ठि णवेप्पिणु। पंचमुट्ठि सिरि लोउ करेप्पिणु। पं.......... अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (78) Jan Education n ational Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पा० र महापुराण रणालं। जस्सायासगामिणो। खयरसामिणो। विहयहिययसल्ला। णमिविणमीसणामया। णिरहणिम्मया। जायया वसिल्ला ॥ पुणु वेयड्डहो कुलिसें ताडिउ। पुवकवाडु जेण उग्घाडिउ। णट्टमालि साहिउ मालायरु। पयजुए पाडिउ णं पायडुणरु। असमु वइरु किं तेण समाणउं। जं माणुसु रित्तउ उत्ताणउं। पिंछकमंडलमंडियहत्थहो रोसु जणइ तं मुणिवर सत्थहो। चक्कवट्टि गुणमणिरयणायरु। आउ जाहुं अवलोयहि भायरु। मा पज्जलउ तासु कोवाणलु । मा णिद्दलउ तुहारउ भुयवलु। हा मा दुरयरएहिं विहिजउ। पोयणपुर पायारु दलिजउ। मा उच्छलउ छइयदिसमेरठ हयखुरखयखोणीधूलीरउ। मा धावंतु महंत महारह मा पिसुणहं पूरंतु मणोरह। काउ कंदलावलिहि म विरस। पलयकाल सोणिउं मा करिसउ। देहि कप्पु णियदप्पु हरेप्पिणु। पेक्खु भरहु भावे पणवेप्पिणु। तं णिसुणेप्पिणु वाहुवलीसें। पडिजंपिउ भूभंगविहीसें।घित्ता॥ कंदप्पु अदप्पु ण होमि हउं दूययकरमि णिवारिउ संकप्पें सो महु केरएण। पहु डज्झिहइ णिरारिउ॥ १८ आरणालं॥ जं दिण्णउं महेसिणा दुरियणासिणा णयरदेसमेत्तं। तं मह लिहियसासणं कुलविहूसणं हरइ को पहुत्तं ॥ ब॥ केसरिकेसरु वरसइधणयलु। सुहडहो सरणु मज्झु धरणीयलु। जो हत्थेण छिवइ सो केहउ किं कयंतु कालाणलु जेहउ। हउं सो पणवमि को सो भण्णइ। महिखंडेण कवण परमुण्णइ। किं जम्मणे देविहिं अहिसिंचित किं मंदरगिरिसिहरे समच्चिउ। किं तहो अग्गइ सुरवइ णच्च्छि सिरिसइरिणियए सो रोमंचिउ। चक्कु दंडु तं तासु जे सारउ। महु पुणु णं कुंभारहु केरउ। करिसूयररहवरडिंभयरहं। णर णिहणमि रणे जे वि महारह। भरहु भरइ किं मज्झु भुयाभरु ता चुक्कइ सुंमरइ जइ जिणवरु ॥घत्ता ॥ तहो मेइणि महु पोयणणयरु आइजिणिंदिं दिण्णउ। अभिडउ भिडउ असि सिहसिहहिं। जइ ण सरइ पडिवण्णउं॥१९ आरणालं॥ ता दूएण जंपियं किं सुविप्पियं भणमि भो कुमारा। वाणा भरहपेसिया पिंछभूसिया होंति दुण्णिवारा॥ ब॥ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्थरेण किं मेरु दलिज्जइ । किं खरेण मायंगु खलिज्जइ । खज्जोएं रवि णित्तेइज्ज । किं घुट्टेण जलहि सोसिज्जइ । गोपएण किं णहु माणिज्जइ । आण्णार्णे किं जिणु जाणिज्जइ । वायसेण किं गरुडु णिरुज्झइ । णवकमलेण कुलिसु किं विज्झइ । करिणा कें मयारि मारिज्जइ । किं वसहेण वग्घु दारिज्जइ । किं हंसें ससंकु धवलिज्जइ । किं मणुएण कालु कवलिज्जइ । डिंडुहेण किं सप्पु डसिज्जइ । किं कम्मेण सिद्ध वसि किज्जइ । किं णीसासें लोहु णिहिप्पइ। किं पदं भरहुणराहिउ जिप्पई ॥घत्ता ॥ हो होउ पहुच्चए जंपिएण । राउ तुहुप्परि वग्गइ । करवालहिं सूलहिं सव्वलहिं । परइ रणंगणि लग्गइ ॥ २० आरणालं ॥ ता भणियं सहेउणा मयरकेउणा एत्थ कहि मि जाया । जे परदविणहारिणो कलहकारिणो ते जयम्म राया ॥ब | वुड्ढउ जंवुउ सिउ सद्दिज्जइ एण णाई महु हासउ दिज्जइ । जो वलवंतु चोरु सो राणउं । णिव्वलु पुणु किज्जइ णिप्पाणउं । हिप्पइ मिगहु मिगेण जे आमिसु । हिप्पइ मणुयहु मणुएण जे वसु । रक्खाकंखए जूहु रएप्पिणु एक्कहो केरी आण लएप्पिणु । ते णिवसंति तिलोइगविट्ठउ । सीहे केरउ विंदु ण दिट्ठउ। माणभंगे वरि मरणु ण जीविउ एहउ दूय सुट्ठ मई भाविउ । आवउ राउ घाउ तहो दंसमि । संझाराउ वं खणे विद्धंसमे । सिहिसिहाहिं देविंदु वि ण सहइ । महु मणसियहु विसह को विसहइ । एक्कु जे परउव्वारु णरिंदहो । जइ पइसरइ सरणु जिणइंदहो ॥ घत्ता ॥ संघट्टमि लुट्टमि गयघडउ दलमि सुहड रणमग्गए । पहु आवड दावउ वाहुबलु महु वाहुवलिहि अग्गए ॥ २१ आरणालं ॥ ता दूयउ विणिग्गओ । णियपुरं गओ । तम्मि णिवणिवासं । सो विण्णव सायरं । सारसायरं । पणविओ महीसं । पणविओ महीसं ॥ ब ॥ 1 विसमु देव वाहुवलि णरेसरु । णेहु ण संधइ संधइ गुणे सरु । कज्जु ण वंधइ वंधइ परियरु । संधि ण इच्छा इच्छइ संयरु । पदं णउ पेच्छइ पेच्छइ भुवलु । आणण पालइ पालइ णियछलु । माणु ण छंडइ छंडइ भयरसु । दइउ ण चिंता चिंतइ पोरिसु । संति ण मग्गइ मग्गइ कुलकलि । पुहइ ण देइ देइ वाणावलि । तुज्झु ण णवइ णवइ मुणितंडर अंगु ण कड्ड कड्डइ खंडउ । देव ण देइ भाइ तुह पोयणु । पर जाणमि देसइ रणभोयणु । ढोयइ रयणइं णउ करिरयणई। ढोएसइ धुउ णरउररयणई ॥ घत्ता ॥ संताणु कुलक्कमु गुरुकहिउ । खत्तधम्मु णउ वुज्झइ । मज्जाय विवज्जिउ सामरसु अवसें दाइ जुज्झइ ॥ २२ आरणालं ॥ ता प अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका . (80) Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ ३ महापुराण छुडु चक्कई हत्थुग्गामियाइं । छुडु सेल्लई भिभच्छेहि भामियाई । छुडु कुंतहि धरियई सम्मुहाई । धूमंधइ जायई दिम्मुहाई । छुडु मुट्ठिणिवेसिय लउडिदंडु | छुडु पखुज्ज गुणि णिहिय मंडु | छुडु गय कायर थरहरियपाण । छुडु ढोइय संदण णं विमाण | छुडु मेट्ठचरणचोइयमयंग छु आसवारवाहियतुरंग ॥ घत्ता ॥ छुडु छुडु कारणे वसुमइहे । सेण्णई जाम हणंति परोप्परु । अंतरि ताम पइट्ठ तहिं । मंति चवंति समुब्भेवि वरकरु ॥ विहि वलहं मज्झे जोमुयइवाण । तहो होसइ रिसहहो तणिय आण । तं णिसुणेवि सेण्णई सारियाई । चडियई चावई उत्तारियाई । तं णिसुणेवि रहसाऊरियाई। वज्जंतइं तूरई वारियाई । तं णिसुणेवि धारापहसियाई । खग्गइं पडियारि णिवसियाई । तं णिसुणेवि णद्धंगइ घणाई । णिम्मुक्कई कवयणिवंधणाई। तं णिसुणेवि मय मायंग रुद्ध । पडिगयवरगंधालुद्ध कुद्ध । तं णिसुणेवि मच्छरभावभरिय । हरि फुरुहुरंत धावंत धरिय । रह खंचिय कड्डिय पग्गहोह वारिय विंधंत अणेय जोह ॥ घत्ता ॥ परिसेसियरणपरियरई । गुरुयणचरणसवहंसण्णिहियां । सेण्णई उज्झियकलयलई थक्कइं। कोड्डिणाइं आलिहियां ॥ ८ ॥ पणमियसिरेहिं मउलियकरेहिं । वाहुवलि भरहु महुरक्खरेहिं । उग्गमिउंरोसुपसमंतएहिं । विण्णि वि विण्णिविय महंतएहिं । तुम्हई विणि वि जयलच्छिगेह । तुम्हई विण्णि वि जण चरमदेह । तुम्हई विण्णि वि अखलियपयाव । तुम्हई विण्णि वि गंभीरराव । तुम्हइं विण्णि वि जगधरणथाम तुम्हई विण्णि वि रामाहिराम । तुम्हई विण्णि वि सुरह मि पयंड । महिमहिलहि केरा वाहुदंड । तुम्हइं विणि वि णिवणायकुसल णियतायपायपंकरुहभसल । तुम्हई विण्णि वि जण जणहो चक्खु । इच्छहु अम्हारउ धम्मपक्खु । खरपहरणधारादारिएण। किं अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (81) Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किं करणियरें मारिएण। किर काई वराएं दंडिएण। सीमंतिणिसत्थें रंडिएण। दोह मि केरा मज्झत्थ होवि। आउह मेल्लेवि खमभाउ लेवि॥ घत्ता॥ अवलोएंतु धराहिवइ। एत्तिउ किज्जइ सुटु सुजुत्तउ। तुम्हहो दोहि मि होउ रणु। तिविहु धम्मणाएण णिउत्तउ॥ ९॥ पहिलउ अवरुप्परु दिट्ठि धरह। मा पत्तलयत्तणुचलणु करह । वीयउ हंसावलिमाणिएण। अवरुप्परु सिंचहु पाणिएण । तयउ पुणु णहि जोयंतु देव। करु करे घिवंतु सुरदंति जेम। जुज्झह विण्णि वि णिवमल्ल ताव। एक्केण तुलेजइ एक्कु जाव। अवरोप्परु जिणेवि परक्कमेण। अणुहुंजहु मेइणि विक्कमेण। तणुसोहाहसियपुरंदरेहि। ता चिंतिउ दोहि मि सुंदरेहिं। किं दूह वियहे णव जोव्वणेण। किं फलिएण वि कडुएं वणेण। किं सलिलें चंडालंकिएण किं दासें पेसणसंकिएण। किं राएं गुरुपडिकूलएण सुविणीयसुयणसिरिसूलएण॥ घत्ता॥ जे ण करंति सुहासियई। मंतिहिं भासियाई णयवयणई। ताह णरिंदहं रिद्धि कहिं। कहिं सिंहासणछत्तइं रय.... अपभ्रंश-पाण्डुलिपिचयनिका (82) Jan Education International Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ ४ सुदंसणचरिउ ट्ठाण। वरवज विसह णारायणाम संहयणधाम। अट्ठोत्तरसयलक्खणणिवास हयकम्मपास। चउतीसातिसय विसेससोह उप्पण्णवोह। देवेंदमउडमणिघट्टपाय गयरोसराय। सोमत्तजित्तछणइंदकंति जिणवर हवंति। चक्कवइ चउद्दहरयणसिद्ध णवणिहिसमिद्ध। वलएव वासुएव वि महल्ल। पडिवक्खमल्ल। कप्पामर सोलह विह महंत गुणईड्डिवंत । णवअणुदिसपंचाणुत्तरिल्ल। तिहुयणि महल्ल। तहो सोक्खइ को वण्णेवि सक्कु । सक्कु वि असक्कु। पद्धडिया णामें चित्तलेह पयविसमएह ॥ घत्ता॥ पंच वि गुरु छुडु समरइ णरु अइसय भत्तिय जुत्तउ। ण चिरावइ मोक्खु वि पावइ णहि गमु केत्तिय मत्तउ॥९॥ आयण्णि पुत्त जह आगमि सत्त वि वसण वुत्तु । सप्पाइ दुक्खु इह दिति एक भवि दुण्णिरिक्खु । विसय वि ण भंति जम्मंतर कोडिवि दुहु जणंति। चिरु रुद्ददत्तु णिवडिउ णरयण्ण वि विसयजुत्तु । वहु आयरेण जो रमइ जूउ वड्डप्फरेण। सो छोहजुत्तु आहणइ जणणि सस घरिणि पुत्तु । जूवइ रमंतु णलु तह य जुहिट्ठिल्लु विहुर पत्तु । मासासणेण वड्डेइ दप्पु दप्पेण तेण। अहिलसइ मज्जु जूवइ रमेइ वहुदोससज्जु । पसरइ अक्कित्ति तें कज्जें कीरइ तहु णिवित्ति। जंगलु असंतु वग रक्खसु मारिउ णरइ पत्तु । मइरापमत्तु कलहेप्पिणु हिंसइ इट्ठ मित्तु । रच्छहि पडेइ उब्भविकरु विहलंघलु णडेइ। होंता सगव्व गय जायव मज्जें खयहो सव्व। साइणि व वेसु रत्तायरिसण दरिसइ सुवेसु। तहि जो वसेइ सो कायरु उच्छि?उ असेइ । वेसाइसत्तु णिद्धणु हुयउ इह चारुदत्तु । कयदीणवेसु णासंतु परंमुहु छुट्टकेसु। जे सूर होंति सवरा हु वि सो ते णउ हणंति। वणि तिण चरंति णिसुणेवि खडुक्कर णिरु डरंति। वणमयउलाइ किह हणइ मूद किउ तेण काइ। पारद्धिरत्तु चक्कवइ णरइ गउ वंभदत्तु । चलु चोरु घिटु गुरुमायवप्पु वहिणइ ण इट्ठ। णियभुयवलेण वंचइ ते अवर वि सो छलेण। भवकूवि छुड्डु णउ णिंदुभुक्खु पावेइ मूद । पद्धडिय एह सुपसिद्धी णामें चंदलेह ॥ घत्ता॥ पाविज्जाइ वंघिवि णिज्जइ। वित्था वि रहि चच्चरे । दंडिज्जइ तह खंडिजइ । मारिजइ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरवाहिरि ॥ १० ॥ परवसुरयहो । अंगारयहो । सूलिहि भरणं जायं मरणं । इय णियवि जणे तोवि मूढमणे । चोरी करए । णउ परिहरए । जो परजुवई इह अहिलसई सो णीससइ गायइ हसइ । विरहिं णडिउ अच्छइ पडिउ णउ रइ लहइ । मित्तहो कहई । जा जाहि तुहुं पच्छेवि लहुं । सा आणि घरे महु लाइ उरे। उवयारसयं । जुंजेइ सयं । कवि होइ सई । णेच्छइ जुवई । ण लहेइ सुहं अइद्दीणमुहं दावेइ जणे जूरेइ मणे । अहो का वि चला। अच्छइ अवला। देउलिसिहरे । तह सुंण्णहरे। गंतूण सयं । किर रमइ रयं । सो सुनिवि सरं । उव्वहइ डरं । थरहरियतणू पंतमणू । णिहुवउ दडइ। णासइ पडई ॥ को वि घरइ करे । आरुहि वि खरे | वित्थारणयं । तह मारणयं । सहिउण जए णिवडइ णरए । उं । सीलु जे जुवइहि मंडणु भासिउं । हरिवि णीय जा किर दहवयणें । सीलें सीय दड्ढ णउ जलणं । तह अणंतमइ सीलगुरुक्किय खयकिराय उवसग्गह चुक्किय । रोहिणि खरजलेण संभाविय। सीलगुणेण णइए ण वहाविय। हरि हलि चक्कवट्टि जिणमायउ अज्ज वि तिहुवणम्मि विखायउ। एयउ सील- कमलसरहंसिउ फणिणरखयरामरहि पसंसिउ । जणणिए छारपुंजु वरि जायउ । णउ कुसीलु मयणेणुम्माइउ । सीलवंतु वुहयणे सलहिज्जइ । सीलविवज्जिएण किं किज्जइ॥ घत्ता॥ इय जणेविणु सीलु पर। पालिज्जइ माइ महासइ । णं तो लाहु णियंतियहो मूल छेउ तुह होसइ ॥ ७ ॥ सीलविहीणहे जणे हाहारउ । होसइ तुज्झ कण्ण कडयारउ । सीलविहीणहे सिय जाएसइ सीलविहीणहे मरणु हवेसइ । इय सुणेवि अभयामहएविय। जंपिज्जइ रोसेण पलीविए । परउवएसु दिंतु वहुजाणउ । सव्वु को वि सासुइउ सयाणउ । किं वहु जंपिएण गरुयारउ जइ वि मज्झु होसइ हाहारउ । जइ दुल्लह संपय जाएसइ । जइ वि विउसि महु मरणु हवेसइ । तइ कासु वि वयणे णवि छंडमि । रइय पइज्जइ अप्पर मंडमि। तासु असंगमि महु मणु जूरइ । दुद्धसंद्ध किं कंजिउ पूरइ । आणिज्जउ सो सुहउ वियढउ । पाय दड्ढ वरि हियउ म दड्ढउ। तो फुड मइ अइरेण मरिज्जइ पारंदिय पद्वडिय भणिज्जइ ॥ घत्ता ॥ पंडिय चिंतइ तं सुणेवि । इह गीहगाहु किर सुम्मइ । इत्थीगाहु तवि गरुड । जें सरायरु तिहुवणु दुम्मइ ॥ ८ ॥ ण फिट्टइ पेयवणे इह गिद्ध ण फिट्टइ पंकए भिंगु पइद्ध । ण फिट्टइ तुंबुरणारयगेउ । ण फिट्टइ पंडिएलोएविवेउ । ण फिट्टइ दुजणे दुठसहाउ। ण फिट्ट णिद्धणेचित्ते विसाउ ण फिट्टइ लोहु महाघणवंति। ण फिट्टइ मारण चित्तु कयंति । ण फिट्टइ जोव्वणएत्ति मरहू । ण अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (84) . Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फिट्टइ वल्लहे चित्तु चहुट्ट। ण फिट्टइ विंझे महाकरिजूहु । ण फिट्टइ सासइ सिद्धसमूहु । ण फिट्टइ पाविहि पाव कलंकु। ण फिट्टइ कामुयचित्ति झसंकु॥ण फिट्टइ आयहे जो असगाहु सुछंद उ मोत्तियदाम एहु॥ घत्ता॥ अहवा जं जह जेण किर जह अवसमे। उ ण भोगु। सुहदंसणु चिंतइ खवमि कम्म। अभया चिंतइ मइ किउ अहम्मु। सुहदंसणु चिंतइ जगु अणिच्चु । अभया चिंतइ महु पत्त मिच्चु ॥रयडा णाम पद्धडिया॥ घत्ता॥ सुहदंसणु चिंतइ हियइ अवहेरमि अडयणेसाहसु॥ अइसयकल्लाणहे सहिउ। रे जीव अरुहु आराहसु॥ ३१॥ सुलहउ पायालइ णायणाहु। सुलहउ कामाउरि विरहडाहु । सुलहउ णवजलहरे जलपवाहु । सुलहउ वयरायरे वजलाहु । सुलहउ कस्सीरए घुसिणपिंडू। सुलहउ माणससरे कमलसंडू। सुलहउ दीवंतरि विविहभंडू। सुलहउ पाहाणे हेरण्णखंडु। सुलहउ मलयारयले सुरहिवाउ। सुलहउ गयणंगणे उडूणिहाउ। सुलहउ पहुपेसणे कए पसाउ। सलहउ ईसायसे जणे कसाउ। सुलहउ रविकंतमणेहे हुतासु सुलहउ वरलखणे पयसमासु। सुलहउ आगमे धम्मोवएसु। सुलहउ सुकईयणे मइविसेसु। सुलहउ मणुयत्तणे पिउ कलत्तु पर एक्कु जि दुल्लहउ अइपवित्तु। जिणसासणे जं ण कया वि पत्तु। कह णासमि तं चारित्तवित्तु ॥ रयडाणाम पद्धडिया॥ घत्ता॥ एम वियप्पिवि जाम थिउ अविउलचित्तु सुहदंसणु। अभयादेवि विलक्ख हुय। ता णियमणि चिंतइ पुणुपुणु॥ ३२॥ कहि वसंतु कहि उववणु अच्छइ। कहि गरिंदु कीलेवइ गच्छइ। कहिं हउ तहिं पहिठ संचल्लिय। कहि सा डोड्डि चवइ हरिसोल्लिय। कहि पंडियए एह वढ आणिउं। हा मइ होंतु कज्ज ण वियाणिउ। सा मइ सा भावण भाविज्जइ। जाए मरणु वंघणु वाविज्जइ। हठ कवि लाइ लेवि संपेरिय पंडियाए तइयहु जे णिवारिय। हउ जाणंति संति आयहो गुण। काई लग्ग असगाहें णिग्गुण । सगुणसरासणु व्व जइ रुच्चइ । जं ण माइ मुठिहि तं मुच्चइ। एस पाणउ खज्जइ पिज्जइ। एम विगलडाहियए मरिज्जइ। परयारं पि होइ विरुयारं दुस्सहणरयदुखहक्कारं। जा ण केण किं पि वि जाणिज्जइ। ता व....... अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (85) For Private & Personal use only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ ५ सुदंसणचरिउ सालंकारे सुकवि सुकइभणिदे जं रसं होइ कव्वे ॥ छ॥ मंदक्रांता ॥ छ॥ रामो सीयविओयसोयविहुरं संपत्तु रामायणे। जादा पंडव घाय? सददं गोत्तक्काले भारहे। डेड्डा कोलिय चोररज्जुणिरदा आहासिदा सुद्दए। णो एक्कं पि सुदंसणस्स चरिए। दोसं समुब्भासिदं॥ छ॥ सार्दूलविक्रीडितं क्रवकं ॥ छ॥ सतरंगहि गंगहि गोउ किर। जाव जवि णउ गछइ। ता सुहमइ जिणमइ सयणयले। सुत्तिय सिविणय पेच्छइ॥छ। सुरचित्तहरो सिहरी पवरो। णवकप्पयरो। अमरिंदघरो। पउरंवुणिही पजलंतु सिही। सुविराइयओ अवलोइयओ। पसरम्मि सही। वरसुद्धमई। गय सिग्घ तहिं थिउ कंतु जहिं । णिसि लक्खियओ। तसु अक्खियओ। पभणेइ पई। पिय हंसगई। लइ जाहु यरं। जिण चेइ हरं । अविलंवझुणी। भयवंतमुणी। पयडंति अलं। सिविणस्स हलं। चलहारमणी। चलियारमणी। भणिओ रमणी। इय छंदु मुणी॥ घत्ता॥ गय जिणहरु मुणिवर परिणविवि। जिणदासिए णिसि दिट्ठउ। गिरिवरु तरु सुरहरु जलहि सिहि। इय सिविणंतरु सिट्ठउ॥१॥ किं फलु इय सिविणहदंणेण। होसइ परमेसर कहि खणेण। इय णिसुणिवि। णवजलहनसरेण। सुणि सुंदरि पभणिउ मुणिवरेण। उत्तुगें गिरि भरभारियघरेण होसइ। सुधीरु सुउ गिरवरेण। कुसुमरयसुरहिकयमहुयरेण। चायउ लछीहरु तरुवरेण। सुररमणियकीलणमणयरेण। सुरवंदणीउ वरसुरहरेण। जललहरियध्रुविय अंवरे। ण गुणगणगहीरु रयणायरेण । अइणिविडजडत्तविणासणेण कलिमलु णिड्डहइ हुयासणेण । सुंदरु मणहरु गुणमणिणिकेउ। जुवई जणवल्लहु मयरकेउ। णियकुलमाणससररायहंसु। णिमछरु वुहयणलद्धसंसु। उवसगु सहेवि हवेवि साहु। पावेसइ झाणे मोखलहु। जिणु मुणि णवेवि हरिसियमणाइ। णियगेह गयइ विण्णि वि जणाइ। गोओ वि णियाणे तहि मरेवि। थिउ वणिपियउयरइ अवंयरेवित्तिा ॥ तहि गब्भइ अब्भइ णाइ रवि। कमलिणिदलि णावइ जलु। सिप्पिउडए णिविडए थिउ सहए। णं णित्तुलु मुत्ताहलु ॥ २॥ परहो रिद्धि पेखिवि णं दुजण। कसणवण्ण जाय। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विण्णि वि थण। सोहइ वयणु ताहिं जिय ससहरु। णं णंदणजसेण आपंडुरु। गइ मंथर हवेइ चाल्लंतिहे। तहे पुणु सहम वाणि वोल्लंतिहि। खणि खणि जणियपयडुतणभंगइ। जायइ सालसाइ अटुंगइ। दोहलाइ संजायए एयइ। जिणण्हवणाइ सुदाणविवेयइ। पोसि पहुत्ति सेय पक्खए हए वुहवारए चउथितहि संजुए। सयमि सरिक्खे जोए वरियाणए। पढमे करणि चउणाम पहाणए। अंसए पंचमि.......... हो। किउ जम्मुछउ जेहउ। साणंदें इंदें जिणवरहो जइ पर कीरइ तेहउ॥ ४॥ तेण पुत्तेण जाएण जणु तुझु। खे महंतेहि मेहेहि जलु वुटु । दुट्ठपाविट्ठपोरत्थगण तुडु। णंदि वाणंदि देवेहि णहि घुटु । दुंदुहीघोसु कयतोसु हुउ दिव्यु। फुल्ल पप्फुल्ल मेल्लेइ वणु सव्वु। मंदु आणंदुयारी हुओ वाउ। वावि कूवेसु अब्भहिउ जलु जाउ। गोसमूहेहि विखित्तु थणदुद्ध। यंतजंतेहि पहिएहि पहु रुद्ध। तो दिणे छट्टे उक्किट्ठकमसेण । दाविया छट्ठिया ज्झत्ति वइसेण। अट्ठ दो दियहि वोल्लीण छुडु जाय। ताम जा णाम जिणयासु सणुराय। वालु सोमालु देवेंदसमुदेहु। लेवि भत्तीय जाएवि जिणगेहु । तीये पिछियउ पुछियउ मुणिचंदु । मत्तमायंगु णामेण इय छंदु॥ घत्ता॥ मंदरु जह थिरु तिह वुहयणहि। कुंभरासि पभणिज्जइ। महुतणउ तणउ एरिसु मुणिवि मुणिवर णामु रइजइ॥५॥ तं सुणिऊण पणट्ठरईसो। मेहणिघोसु भणेइ जईसो। दिट्ठ तए सिविणंतरि सारो। पुत्तिए तुंगु सुदंसणुमेरो। किज्जउ तेण सुदंसण णामो। सज्जणकामिणिचित्तहिरामो। तो जिणयासें णविवि जईसं। चित्ति पहिट्ठ गया णियवासं। सोहणमास दिणं छुडु वित्तं । वद्धउ पालणयं सुविचित्तं । देवमहीहरि णं सुरवच्छो वद्धइ तत्थ परिट्ठिउ वच्छो। वड्डइ णं वयपालणि धम्मो। वड्डइ णं पियलोयणि पेम्मो। वड्डइ णं णवपावसि कंदो। एस पयासिउ दोघयछंदो॥ घत्ता॥ जगतमहरु ससहरु मयरहरु जिह वढुंतउ भावइ। मणवल्लहु दुल्लहु सज्जणहं। पुरएवहु सुउ णावइ ॥६॥ तरुणिहि हुरुहुल्लरु वुच्चंतउ घणथणसिहरोवरि मुच्चंतउ। पाणियलहि किउ चुंग्विजंतउ एत्तहि पुणु एत्तहि णिजंतउ। करयलु वयणकमलि घलंतउ। काइ वि लोइ झत्ति मेलंतउ। गयहि अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (87) Jan Education International For Private & Personal use only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ६ पउमचरिउ डेहिं दिजंतएहिं। गायणगीयहिं गिज्जंतइहिं। मणिमइयउ रइयउ देहलिउ। मोत्तिय कणएहिं रंगावलिउ। सोवण्ण दंड मणि तोरणई। वद्धई सुरवर मण चोरणइं॥ धत्ता ॥ सीयवलई पइ सारियई। जणे जय जय कारिजंताई। थियइ अउज्झहे अविचलई। रइ सोक्ख सई भुंजंताई ॥ १४ ॥ब॥ ॥२१ । कोसलणंदणेण सकलते णियघरु आएं। आसाढट्ठमिहिं किउ न्हवणु जिणिंदहो राएं। सुर समर सहासेहिं दुम्महेण किउ न्हवणु जिणिंदहो दसरहेण ॥ पट्टवियई जिणतणु रोवयाई। देविहिं दिण्णई गंधोवयाई ॥ सुप्पहे नवर कंचुइ न पत्तु । पहु पभणइं रहसुच्छलिय गत्तु। कहे काई नियंविणि मणेविसण्ण चिरचित्तिय भित्ति व थिय विसन्न । पणवेप्पिणु वुच्चइ सुप्पहाए किर काई महुं त्तणियए काए॥ जइ हउं जि पाणवल्लहिय देव। तो गंध सलिल पावइ न केव। तहिं अवसरे कंचुइ दक्क पासु। छण ससि व निरंतर धवलियासु॥ गय दंतु अयंगमु दंड पाणि अणियच्छिय पहु पक्खलिय वाणि॥ घत्ता॥ गरहिउ दसरहेण पई कंचु न काई चिराविउ। जलु जिण वयणु जिह सुप्पहहे दवत्ति ण पाविउ ॥१॥ पणवेप्पिणु तेण वि ण वि वुत्तु एव। गयं दिवहा जोव्वणु ल्हसिउ देव। पढमाउसु जर धवलंति आय पुणु असइ व सीस वलग्ग जाय। गइ तुट्टिय विहडिय संधि वंध न सुणंति कण्ण लोयण निरंध। सिरु कंपइ मुहे पक्खलइ वाय। गय दंत सरीरहो णट्ठ छाय। परिगलिउ रुहिरु थिउ णवर चम्मु। महु एत्थु जे हुउ नं अवरु जंमु। गिरि णइ पवाह न वहंणि पाय। गंधोवउ पावउ केम राय। वयणेन तेण किय वहु वियप्पु। गउ परम विसायहो राम वप्पु। सच्चउ चलु जीविउ कवलु सुक्खु । तं किज्जइ सिज्झइ जेण मोक्खु॥ घत्ता॥ सुहु मुह विंदु समु दुहु मेरु सरिसु पवियंभइ। वरि तं कंमु किउ जें पउ अजरामरु लब्भई ॥२॥ कं दिवसु वि होसइ आरिसाहुं । कंचुइ अवत्थ अम्हारिसाहुं । को हउं का मंहि कहो तणउं दव्यु। सिंहासणु छत्तइं अथिरु सव्वु। जोवणु सरीरु जीविउ धिगत्थु । संसारु अणत्थु अत्थु। विसु विसय वंधु दिढ वंधणाई। घर दारई परिहव कारणाई। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुय सत्तु विढत्तउ अवहरंति। जर मरणहं किंकर किं करंति। जीवाउ वाउ हय हय वराय। संदण संदण गय गय जे नाय। तणु तणु जे खणद्धे खयहो जाइ। धणु धणु जि गुणेण वि वंकु थाइ। दुहिया वि दुहिय माया वि माय। समभाउ लिति किर तेण भाय॥ घत्ता। आय तेहिं सत्तुहण भरह वल लक्खणेहिं । जाणाविउ सीयहे भाइ जेम। जिह हरि वल सा सावलेव। सुउ परम धंमु सुह भायणेण। तव चरणु लइउ चंदायणेण॥ घत्ता॥ दसरहु अण्ण दिणे किर रामहो रज्जु समप्पई। केक्कय तावणे उण्हालइ धरणि व तप्पइ॥६॥णंरिंदस्स सोऊण पव्वज यजं, स रामाहि रामस्स रज्जं। ससा दोणरायस्स भग्गाणुराया। तुला कोडि कंती लया लिद्ध पाया। स पालंव कंची पहा भिन्न गुज्झा। थणुत्तुंग भारेण जा णित्त मज्झा। णवासोय वच्छच्छयाच्छाय पाणी। वरालाविणी कोइलालाव वाणी। महा मोरपिच्छोह संकास केसा। अणंगस्स भल्ली व पच्छण्ण वेसा। गया केक्कया जत्थाण मग्गो। णरिंदो सुरिंदो व्व पीढं वलग्गो। वरो मग्गिअ णाह सो एस कालो। महं णंदणो ठाउ रज्जाणुपालो। पिए होउ एवं तअ सावलेवो। समायरिअ लक्खणो रामएवो॥ घत्ता ॥ जइ तुहं पुत्त महुं । तो एत्तउ पेसणु किज्जइ। छत्तई वइसणउं वसुमइ भरहो अप्पिज्जइउ॥ ८॥ अहवइ भरहु वि आसण्णु भव्वु। सो चिंतइ अथिरु असारु सव्वु। घरु परियणु जीउ सरीरु वित्तु। अच्छइ तवचरण निहित्त चित्तु। पई मुएवि तासु जइ दिण्णु रज्जु । तो लक्खणु लक्खई हणई अज्जु । ण वि हउं न वि भरहुं न केक्कया वि। सत्तुहणु कुमारु न सुप्पया वि। तं णिसुणेवि पप्फुल्लिय मुहेण। वोलिज्जइ दसरह तणुरुहेण। पुत्तहो पुत्तत्तणु एत्तिउं जे। जं कुलु न चडाइव वसण पुंजे। जं निय जणणहो आणाहिहेउ। जं करइ विवक्खहो पाणच्छेउ। किं त्ते पुणु पनिय बुद्धि पयासमि तो वि जणे। जं सयल वि तिहुयणे वित्थरियउ। आरंभिउ पुणु राहवचरिउ॥ घत्ता ॥ भरहहो वद्धाए पट्टे। तो निव्वूढ महाहउ। पट्टणु अवज्झ मुएवि। गउ वणवासहो राहउ॥१॥ जं परिवद्ध पट्ट परिअसें। जय मंगल जय तूर निघोसे। दसरह चरण जुयलु जयकारेवि। दाइय मच्छरु मणे अवहारिवि। संपय रिद्धि विद्धि अवगण्णेवि। तायहो तणउंसच्चु परिमण्णेवि। निग्गउ वलु वलु नाई हरेप्पिणु। लक्खणो वि लक्खणइं लएप्पिणु। संचल्लेहिं तेहिं विद्दाणउं थिउ हेट्ठामुहं दसरह राणउं। हियवइ णाई तिसूले सल्लिउ। राहउ किह वणवासहो घल्लिउ। अहवइ जइ मई सच्चु न पालिउ ति। नियनामु गोत्तु महु मइलिउ। वरि गउ रामु न सव्वु विणासिउ। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सच्चु महंतउ सव्वहो पासिउ। सच्चें अंवरे तवइ दिवायरु। सच्चें समउ ण लंघइ सायरु। सच्चें वाउ वाइ महि पच्चइ। सच्चे असहिं खयहो न वच्चइ । घत्ता ॥ जो ण वि पालइ सच्चु । मुहे दाढियउ वहंतउ। निवडइ नरय समुद्दे। वसु जिम अलिउ चवंतउ॥ २॥ चिंतावण्णु णराहिउ जावेहिं। वलु निय निलउ पराइउ तावेहिं। दुम्मणु एंतु निहालिउ मायए। पुणु विहसेवि वुत्तु पिय वायए। दिवे दिवे चडहि तुरंगम णांएहिं। अज्जु काई अणुवाहणु पाएहिं। दिवे दिवे वंदि ण विंदहि थुव्वव्वहिं। अज काई थुव्वंतु न सुव्वहिं। दिवे दिवे थुव्वहिं चमर सहासेहि। अज्जु काई तउ को वि न पासिहि। दिवे दिवे लोयहिं वुच्चहिं राणउं। अज्जु काई दीसहिं विदाणउं। तं णिसुणेवि वलेण पयंपिउ। भरहहो सयलु वि रज्जु समप्पिउ। जामि माए दिट्ठिय मुहं होज्जहिं । जं दूमिय तं सव्वु खमिजहिं । घत्ता ॥ जं आउच्छियमाय हा हा पुत्त भणंती। छिया लंजिएहिं हा माए भणंतिहिं । हरियंदणेण सित्त रोवंतिहिं। चमरुक्खेवहिं किय पडिवायण। दुक्खु दुक्खु पुणु जाय सचेयण । अंगु वलंति समुहियराणी। सप्पि व दंडाहय विद्दाणी॥ णील्लक्खण णीरामुम्माहिय। पुणु वि सदुक्खउ मेल्लिय धाहिय । हा हा काई वुत्तु पइ हय विद्दाणी। णिल्लक्षण णीरामुम्माहिय। पुणु वि सदुक्खउ मेल्लिय धाहिय। हा हा काई वुत्तु पइ हयहर। दसरह वंस दीव जग सुंदर। पइं विणु को पल्लंके सुएसइ। पइ विणु को अत्थाणे वईसइ। पई विणु को हय गयहि चडेसइ। पई विणु को झिंदुएण रमेसइ। पइ विणु रायलच्छि को माणइं। पइं विणु को तंवोलु समाणई। पई विणु परवलु को भंजेसइ। पई विणु को मई साहारेसइ॥ घत्ता॥ तं कूवारु सुणेवि। अंतेउरु मुह चुण्णउं लक्कखणराम विअइ। धाह मुएवि इयरुण्णउं ॥ ४॥ तो एत्थंतरे असुर विमदें धीरिय णिय जणेरि वलहदें। सेरी होहि माए किं रोवहिं । लुहि लोयण अप्पाणु म सोयहि । जिह रवि किरणेहिं ससि न पहावइ। तिह मई होतें भरहु ण पावइ। ते कज्जे वण वासि वसेवउ। तायहो तणउं सच्चु पालेवउ। दाहिण देसि करेविणु थत्ते। तुम्हहं पासि एइं सोमित्ते। एव भणेप्पिणु चलिउ तुरंतउ। सयलु वि परियणु आउच्छंतउं। धवल कसण णीलुप्पल सामेहिं । घरु मुच्चंतउ लक्खण रामेहिं। सोह ण देइ ण चित्तहो भावइ। नहु निच्चंदाइच्चउ णावइ। नं कियउ। द्धहत्थु धाहावइ। वलहो अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (90) Jan Education International For Private & Personal use only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ ७ पउमचरिउ ण। पुंगव पुंडरीय पुरिसुत्तम विउल विसा रणुम्मिय उत्तम ॥ घत्ता॥ इय इक्कक्क पहाण जिणवर चलण णमंसेवि। संजम नियम गुणेहिं अप्पर थिय सइंभू सेवि॥ १५ ॥ ब॥ २३ ॥ ब॥ गए वणवासहो रामे। उज्झ न चित्तहो भावइ। थिय नीसासु मुयंति। महि उन्हालइ णावइ । सयलु वि जणु उम्माहिज्जंतउ। खणु वि ण थक्कइ णामु लयन्तउ। उव्विल्लिज्जइ गिजइ लक्खणु। मुरववजे वाइ लक्खणु। सुइ सिद्धन्त पुराणहिं लक्खणु। अअंकारि पढिज्जइ लक्खुणु। अण्णु वि जं जं किं पि सलक्खणु। लक्खण णामे वुच्चइ लक्खणु। का वि णारि सारंगि व वुण्णी। वड्डी धाह मुएवि परुण्णी। का वि णारि जं लेइ पसाहणु। तं उल्हावइ जाणई लक्खणु। का वि णारि जं परिहइ कंकण। धरइ स गाढउ जाणइं लक्खणु। नवरि न दीसई माए रामु ससीय सलक्खणु॥ १॥ ताम पडु पडह पडिपहय पहुं पंगणे। णाई सुर दुंदुही दिण्ण गयणंगणे। रसिय सय संख जायं महा गोंदलं। टिविल टंटंत घुम्मंत वरमंदलं। तालकंसालकोलाहलं काहलं। गीय संगीय संगीय गिज्जंत वर मंगलं। डमरु तिरिडिक्किया झल्लरी रउरवं। भंभ भंभीस गंभीर भेरीरवं। घंट जयघंट संघट्ट टंकारवं। घोल उल्लोल हलवोल मुह लारवं। तेण सद्देण रोमंच कंचुद्धया। गुंदलुद्धाम वहल अच्चन्भुया। सुहड संघाय सव्वा य थिय पंगणे। मेरु सिहरेसु नं अमर जिण जम्मणे। पणइ पप्फाव नड छत्त कइ वंदणं । णंदि जय भद्द जय जयहि जय सद्देणं ॥ घत्ता॥ लक्खण रामहं वप्पु निय भिच्चेहिं परियरियउ। जिण अहिसेयहे किज्जे नं सुरवइ नीसरियउ॥ २॥ जं णीसरिउ राउ आणंदे। वुत्तु नवेप्पिणु भरह णरिन्दें। हठं मि देव पई सहुं पव्वजमि। दुग्गइ गामिउ रज्जु न भुंजमि। रजु अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असारु वारु संसारहो। रजु भयंकर इह पर लोयहो। रज्जे गम्मइं निगोयहो। रज्जे होउहोउ महु सरियउ। सुंदरु तो किं पइं परिहरियउ। रज्जु अकज्जु कहिउ मुणि छेयहिं । दुट्ठ कलत्तु व भुत्तु अणेयहिं । दोसवंतु मयलंछण विवु वहु दुक्खायरु दुइ कुडुचुव। तो वि जीउ पुणु रज्जहो कंखइ। अणुदिणु आउ गलन्तु ण लक्खइ॥ घत्ता ॥ जिह महुविंदुहे कजे। करहु न पेक्खइ कक्करु। तिह जिउ विसयासत्तु। रज्जे गउ सय सक्करु ॥३॥ भरहु चवन्तु निवारिउ राएं। अज्ज वि तुज्झु काई तव वाएं। अज्ज वि रज्जु करहि सुहु भुंजहिं। अज्ज वि विसय इच्छ अणुहुंजहि । अज वि तुहं तंवोलु समाणहिं। अज वि वर उंजाणइं माणहिं। अज वि अंगु स इच्छए मंडहि। अज वि वर विलयउ अवरुडंहि। अज वि ज्जोग्गउ सव्वाहरणहा। अज वि कवणु कालु तव चरणहो। जिण पव्वज्ज होइ अइ दुसहिय। किं वावीस परीसह विसहिय। किं जिय चउ कसाय रिउ दुजय किं आयमिय पंच महव्वय। किं किउ पंचहं विसयहं निग्गहु। किं परिसेसिउ सयलु परिग्गहु। को दुम मूले वसिउ वरिसालए। को एक्कंगे थिउ सीयालए। किं उण्हालए किउ अत्तावणु एउ तव चरणु होइ भीसावणु॥ घत्ता ॥ भरह म वड्डिउ वोल्लि। तुहं सो अज्ज वि वालु। भुंजहि विसय सुहाई। को पव्वजहे कालु॥ ४॥ तं णिसुणेवि भरहु आरुटुउ। मत्त गइंदु व चित्तें दुट्ठउ। विरुयउ ताय वयणु पई वुत्तउ। किं वालहो तव चरणु न जुत्तउ। किं वालत्तणु सुहेहिं न मुच्चइ। किं वालहो दय धम्मु न रुच्चइ। किं वालहो पव्वज म होउ। किं वालहो दूसिउ पर लोउ। किं वालहो सम्मत्तु म होउ। किं वालहो णउ इट्ठ विअउ। किं वालहो जर मरणु न ढुक्कइ किं वालहो जमु दिवसु वि चुक्कइं। तं णिसुणेवि भरहु णिब्भच्छिउ। तो किं पहिलउ पट्ट पडिच्छिउ। एवहिं सयलु वि रज्जु करेवउ। पच्छले पुणु तव चरणु चरेवउ॥ घत्ता ॥ एम भणेप्पिणु राउ। सच्चु समप्पिवि भज्जहे। भरहहो वंधेवि पट्ट। दसरहु गउ पव्वजहे ॥ ५॥ सुरवर वंदिए धवल विसाए। गंपिणु सिद्धकूडे अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका an Education int o nal Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चइताए । दसरहु ठिउ पव्वज्ज लएप्पिणु। पंचमुट्ठि सिरिलोड करेप्पिणु । तेण समाणु सणेहें लइयउ । चालीसोत्तरु सउ पव्वइयउ । कंठा कडा मउड अवयारिवि । दुद्धर पंच महावय धारिवि । थिय णीसंग णाग णं विहर। अहवइ समय वाल णं विसहर । णं केसरि गय मासहारिय । नं परदार गमण परदारिय । कोप वि गंपि कहिउ भरहेसहो । गय सोमित्तिराम वणवासहो। वि वयणु धुयवाहउ पडिउ महीहरो व्व वज्जाहउ ॥ घत्ता ॥ जं मुच्छावि उ । सलु वि जणु मुह कायरु । पलयाणल संतत्तु । रसह लग्गु णं सयरु ॥ ६ ॥ चन्दणेण पव्वालिज्जंतउ। चमरुक्खेवहिं विज्जिज्जत । दुक्खु दुक्खु आसासिउ राणउं । जढर मयंकु व थिउ विद्दाणउं । अविरल अंसु पलोल्लिय णयणउं । एवं पयं पिउ गग्गर वयणउं । निवडिय अज्जु असणि आयासहो। अज्ज अमंगलु दसरह वंसहो । अज्जु जाउ हउं सूडिय वक्खउ दुह भायणु पर मुह उप्पेक्खउ । अज्जु णयरु सिय संपय मेल्लिउ । अज्जु रज्जु पर चक्कें पेल्लिउ । एम पलाउ करेवि सहमग्गए । राहव जणणिहे गउ अलग्गउ। केस विसंठुल दिट्ठ रुयंती अंसु पवाह धाह मेल्लंती ॥ घत्ता ॥ धीरिय भरह नरिंदे। होउ माइ महु रज्जें । आणमि लक्खण रामु रोवहि काई अकज्जे ॥ ७ ॥ एम भणेवि भरहु सं. अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (93) Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ८ पउमचरिउ कुइय मणु। मरु मरु णीसरु णीसरु भणंतु। धूमद्धउ व्व धगधगधगन्तु। भय भीसणु कुरुडु सणिच्छरु व्व। वहु उवविस विण्णउ विसहरु व्व॥ घत्ता ॥ किं कालु कियंतु मित्तु वरिउ। किं केसरि केसरग्गि वरिउ। को जम मुह कुहरहो णीसरिउ। जो भवणे महारइ पइसरिउ॥१३ ।। तं वयणु सेप्पिणु महुमहणु। आरुट्ठ समरभर उव्वहणु। णं धाइउ करि थिरथोरकरु। उम्मूलिउ दियवरु जेम तरु। उग्गामिवि भामिवि गणयले। किर घिवइ पडीवउ धरणियले। करे धिउ ताम हलपहरणेण। मुए मुए मा हणहि अकारणेण। दियय ताल गोल पसु तवसि तिय। छ वि परिहरु मिल्लिवि माण किय। तं णिसुणेवि दियरु लखणेण। णं मुक्कु अलक्खणु लक्खणेण। असरिउ वीरु पच्छामुहउं। अंकुस निरुद्ध नं मत्तगउ। पुणु हियइ वसूरइ खणि जे खणे। सय खंड खंडु वरि हूउ रणे॥ घत्ता॥ वरि पहरिउ वरि किउ तव चरणु। वरि विसु हालाहलु वरि मरणु। वरि अच्छिउ गंपिणु गुहिल वणे णवि निविसु वि अच्छउ अवुहयणेण ॥१४॥ तो तिण्णि वि एम चवंताई। उम्माहउ जणहो जणंताइ। दिण्ण पच्छिम पहर विणिग्गयई। कुंजर इव विउल वणहो गयइ। वित्थु रण्णु पइसंति जाव। णंग्गोह महदुमु दिट्ट ताम। गुरु वेसु करिवि सुंदर सराई। णं विहय पढावइ अक्खराइं। वुक्कण किसलय कक्कार भणंति। वाउलि विहंग किक्की भणंति। वण कुक्कुड कुक्कू आयरन्ति । अण्णु वि कलाव केकइ चवंति। पियमाह विअ कोक्कउ लवंति। कंका वप्पीह समुल्लवंति। सो तरुवरु गुरु गणहर समाणु। फल पत्त वंतु अखर निहाणु॥ घत्ता॥ पइसंतिहिं असुर विमद्दणेहिं। सिरु णामेवि राम जणद्दणेहिं । परियचिवि दुमु दसरह सुएहि । अहिणंदिउ मुणि व सइंभुएहि ॥ १५ ॥ ब॥ ॥ २७॥ ब॥ सीय सलक्खणु दासरहिं तरुवरु मूले परिट्ठिय जावेहिं । पसरइ सुकइहे कव्वु जिह। मेह जालु गयणंगणे तावेहिं । ब॥ पसरइ मेह विंदु गयणंगणे। पसरइ जेम सेण्णु समरंगणे। पसरइ जेम तिमिरु अण्णाणहो। पसरइ जेम वुद्धि वहु जाणहो। पसरइ जेम पाउ पाविट्ठहो। पसरइ जेम धंमु धंमिट्ठहो। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (94) Jan Education International Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पसरइ जेम जोन्ह मयवाहहो। पसरइ जेम कित्ति जगणाहहो। पसरइ जेम चिंत धणहो। पसरइ जेम कित्ति सुकुलीणहो। पसरइ जेम सद्द सूत्तूरहो। पसरइ जेम रासि नहे सूरहो। पसरइ जेम दवग्गि वणंतरे। पसरइ मेह जालु तिह अंवरे। तडि तडयडइ पडइ घणु गज्जइ जाणइ रामहो सरणु पवज्जइ ॥ घत्ता ॥ अमर महाधणु गहिय करु। मेह गइंदे चडेवि जस लुद्धउ। उप्पारि गिंभ णराहिवहो। पाउस राउ नाइ सन्नद्धउ॥१॥ जं पाउस णरिंदु गलगज्जिउ। धूली रउ गिंभणे विसजिउ। गंपिणु मेह विंदे आलग्गउ। तडि करवाल पहारेहिं भग्गउ। जं विवरामुहं वलिउ विसालउं। उठिउ ह भणन्तु उन्हालउ। धगधगधगधगंतु उद्धाइउ। हसहसहसहसंतु संपाइउ। जलजलजलजलंतु पजलंतउ। जालावलि फुलिंग मेल्लंतउ। धूमावलि धयदण्डुब्भेप्पिणु। वर वाउलि खग्गु कड्डेप्पिणु। झडझडझडझडंतु पहरंतउ। तरुवर रिउ भड भजंतउ। मेह महागय घड विहडंतउ। जं उन्हालउ दिट्ठ भिडंतउ॥ घत्ता ॥ धणु अप्फालिउ पाउसेण तडि टंकार फार दरिसंते। चोइवि जलहर हत्थि हड। नीर सराणं णच्चंति सरिउ अक्कंदे। णं कई किलिकिलिंति आणंदे। नं पर हय विमुक्क उग्घोसे। नं वरहिण लवंति परिअसें। णं सरवरह अंस जलोल्लिय णं गिरि हरि सणु मुक्कु रतें ॥२॥ जल वाणासणि घाएं घाइछ। गिंभ णराहिउ रणे विणिवाइछ। दद्दर रडिवि लग्ग नं संजण संजण में गजोल्लिय। नं उल्हविउ दवग्गि विअएं। नं नच्चिय महि विविह पअएं। नं अत्थमिउं दिवायरु दुक्खे। नं पइसरइ रयणि सई सुक्खें। रत्त पत्त तरु पवणायंपिय। के नरि वहिउ गिंभु नं जंपिय॥ घत्ता॥ तेलए काले भयाउरए। विण्णि वि वासुएव वलएव। तरुवर मूले ससीय थिय जोगु लएप्पिणु मुणिवर जेम॥३॥ हरिवल रुक्खमूले थिय जावहि। गयमुह जक्ख मूले थिय जावहिं । गय मुह जक्खु पणासेवि तावहिं । गउ निय निवहो पासु वेवन्तउ। देव देव परिताहि भणंतउ। णउ जाणहुं किं सुरु किं किंनर। किं विज्जाहर गण किं किंनर। धणुहर वीर वडाविउ उब्भेवि। सुत्त महारउ णिलउ निरंभेवि। तं णिसुणेप्पिणु वयणु महाइउ। पूअणु मंभीसंतु........... अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (96) Jan Education International Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ ९ पउमचरिउ वारिउ तावेहिं। णिवडिउ धरणि पट्ट णिच्चेयणु । दुक्खु समुट्ठिउ पसरिय वेयणु । चरण धरेंवि रुएवए लग्गउ । हा भायरमइ मुएवि कहि ग। हा हा भायर ण किउ णिवारिउ । जण विरुद्ध ववहरिउ णिरारिउ । हा भायर सरीरे सुकुमारए । केम वियारिउ चक्कहो धारए । हा भायर दुण्णिद्दए भुत्तउ । सेज्ज मुएवि किं किं महियले सुत्तउ ॥ घत्ता ॥ किं अवहेरि करेवि थिउ । सीसे चडाविय चलण तुहारा । अच्छमि सुट्ठ उम्माहियड। फुट्टु आलिंगे भडारा ॥ २ ॥ रुअइ विहीसणु सोयक्कमियउ । उहु णत्थमिउ वंसु अत्थमियउ । तुहुं ण जिओसि सयलु जिउ तिहुयणु। तुहु णत्थमिउ वंसु अत्थमियउ । तुहुं ण जिओसि सयलु जिउ तिहुयणु। तुहुं ण मुओसि मुअउं वंदिजणु । तुहुं पडिउसि ण पडिउ पुरंदरु । मउड्डु ण भग्गु गिरिमंदरु। दिट्ठि ण णट्ठ गट्ट लंकाउरि । वाय णट्टे णट्ठ मंदोयरि। हारु ण तुट्टु तुट्टु तारायणु । हियउ ण भिण्णु गयणंगणु । चक्कु कु ढुक्क एक्कन्तरु। आऊ ण खुट्टु खुट्टु रयणायरु । जीउ ण गउ गठ आसा पोट्टलु । तुहु णु सुत्तु सुत्तउ महि मंडलु । सीय ण आणिय आणिय जमउरि। हरि वल कुद्ध ण कुद्धा केसरि ॥ घत्ता ॥ सुरवर संढ वरइणा । सयल काल जे मिग संभूया। रावण पदं सीहेण विणु। ते वि अज्जु सुच्छंदीहूया ॥३ ॥ सयल सुरासुर दिण संसहो । अज्जु अमंगलु रक्खस वंसहो। खल खुद्दहुं पिसुणहो दुवियड्डहो । अज्जु मणोरह सुरवर संढहो । दुन्दुहि वज्जउ गज्जउ सायरु अज्जु तवउ सच्छंदु दिवायरु । अज्जु मियंकु होउ पहवंतउ वाउ वाउ जगि अज्जु......... लि दिण्णा कहिं मि सरेहिं धरिय णाहं कुंजर। णं जल धारा ऊरिय जलहर । कहि मि रहंग भग्ग थिय रहवर । णं वज्जासणि सूडिय महिहर । तहि दहवयणु दिट्टु वहु वाहउ । कप्पतरु व्व पलोट्टिय साहउ। रज्जु गयालण खंभु व छिण्णंउ । लक्खण चक्के सोविणि भिण्णउं ॥ घत्ता ॥ दह दियहाइ सरत्तियई । जं जुज्झतु ण णिद्धए भुत्तउ। तेण चक्क सेज्जहिं चडेवि । रणवहुअप समाणु णं सुत्तउ ॥ ६ ॥ दिट्टु पुणो वि णारिहिं सुत्तु मत्त हत्थि व गणियारेहि । वाहिणिहि व सुक्कउ अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (96) Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रयणायरु। कमलिणिहि व अत्थवण दिवायरु। कुमुइणिहि व जढर मयलंछणु। विजुहि व्व अत्थवण दिवायरु। कुमुइणिहि व जढर मयलंछणु। विजुहि व्व छुडु वरिसिय घणु। अमर वहूहि व चवण पुरंदरु। गिंभ दिसाहि व अंजण महिहरूं। भमरावलिहि च सूडिय तरवरु। कलहंसीहिं म्व अजलु महासरु। कलयंठीहि व माहव णिग्गमु। णाइणिहिं व हय गरुड भुयंगमु । वहुल पउसु व तारा पंतिहिं । तेम दसास पासु ढुक्कंतिहिं। दससिरु दससेहरु दसमउडउं। गिरि व सकंदरु सतरु सकूडउं॥ घत्ता॥ णिएवि अवत्थ दसाणणहो। हा हा सामि भणंतु सवेयणु। अंतेउरु मुच्छा विहलु णिवडिउ महिहि झत्ति णिच्यणु॥६॥ तारा चक्कु व थाणहो चुक्कउ। दुक्खु-दुक्खु मुच्छए आमुक्कउ। लग्ग रुएव्वए तहि मंदोयरि। उव्वसि रंभ तिलोत्तिम सुंदरि। चंदवयण सिरिकंताणुद्धरि कमलाणण गंधारि वसुंधरि। मालइ चंपयमाल माणाहरि। जयसिरि चंदणलेह तणूअरि। लच्छि वसंतलेह मि..... तिह तिह दुक्खेण रुवइ सहरिवलवाणरलोउ। दुम्मणु दुम्मण वयणउं। अंसु जलोल्लिय णयणउ। दुकु कइद्धय सद्धर जहि रावणु पल्हत्थउ॥ तेण समाणु विणिग्गिय णामेहिं। दिट्ठ दसाणणु लक्खण रामेहिं। दिदैई समउड सिरई पलोट्टई। णाई सकेसराई कन्दोद्रई। दिट्ठई भालयलई पायडियई। अद्धयंद विवाइ व पडियइं। दिलुइं मणि कुंडलई सतेयइं णं खय रवि मंडलई अणेयई। दिट्ठउ भउहउ भिउडि करालउ। णं पलयग्गि सिहउ धूमालउं। दिट्ठई दीह विसालइ णेत्तइ मिहुणा इव आमरणारत्तई। मुहकुहरई दट्ठोट्टई दिट्ठइं। जमकरणाई व जमहो अणिट्ठइं। दिट्ठ महब्भुव भडसंदोहें। णं पारोह मुक्का णयोहे। दिट्ठ उरत्थलु पाडिउ चक्के। दिण मज्झु अ मज्झत्थे अक्के। अवणियल व विंझेण विहंजिउ। णं विहि भाएहिं तिरु व पुंजिउ॥ घत्ता॥ पेक्खवि रामेण समरंमण मुहाइ। आलेंगिप्पिणु धीरिउ। रुअहि विहीसण काई॥१॥ सो मुउ जो मय मत्तउ। जीव दया परिचत्तउ। वय चारित्त विहूणउ। दाण रणं दीणउ॥ब॥ सरणाइअ वंदिग्गहे गोयहे। सामिहे अवसरे मित्त परिग्गहे। णिय परिहवे परि विहुरि ण जुज्जइ। तेहउ पुरिसु विहीसण रुज्जइ। अण्णई दुक्किय कम्म जणेरडं। गउंआउ पावभारु जसु केरठं। सव्वंसहे वि सहेवि ण सक्कइ। अहो अण्णाउ भणंति ण थक्कइ। वेवइ वाहिणी कि मिइ सीसहि। धाहावइ खजंती उसहि। छिज्जमाण वणसइ उग्घासइ। कइहुं मरणु णिरासहो होसइ। पवणु ण भिडइ भाणु कर खंचइ। धणु रावल चोरग्गिहुं संचई। विंधइ कंटहि व दुव्वयणेहिं। विस रुखु व मण्णिज्जइ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका Jan Education International For Private & Personal use only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सयणहिं॥ घत्ता॥ धम्म विहूणउ पाव पिंडु अणिहालिय थामु। सो रोवेवउ जासु महिस विस मेसहिं णामु॥२॥ एयहो अखलिय माणहो दिण्ण णिरंतर दाणहो। पूरिय पणइणि आसहो। रोवहि काई दसासणहो। रोवहि किंय तिहुयण वसियरणउं। किय णिसियर कुलवंसुद्धरणउं। रोवहि किय कुवेर विब्भाडणु। किय जम महिस सिंग उप्पाडणु। रोवहि किय कइलासुद्धारणु सहस किरणु णल कुव्वर वारणु। रोवहि किय सुरवइ भुव वंधुणु। किय अइरावय दप्प णिसुंभणु। रोवहि किय दिणयर रह मोडणु। किय ससि केसरि केसर तोडणु। रोवहि किय फणिमणि उद्दलणु किय वरुणाहिमाण संचालणु। रोवहि किह णिहि रयणुप्पायणु। किय रयणियर अप्पायणु । रोवहि किय वहुरूवणि साहणु किय दारुणु दूसह सह समरंगणु ॥ घत्ता॥ थिय अजरामर भुवण परिसद्धिय जासु। सय वारउ रोवहिं काई विहीसण तासु॥३॥ तं णिसुणेवि पहाणउं। भणइ विहीसण राणउ। एत्तिउ रुअमि दसासहो। भरिउ भुयणु जं अयसहो। ब॥ एण सरीरें अविणयथाणें। दिट्ठ णटु जल विंदु समाणे। सुरचावेण व अथिर सहावे। तडि फुरणेण व तक्खण व तक्खण भावें। रंभा गब्भेण व णीसारे। पक्क फलेण व सउणाहारे। सुण्ण हरेण व विहडिय वंधं । पच्छहरेण व अइ दुग्गंधे। उक्करुडेण व कीडावासें अकुलीणेण.. अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (98) For Private & Personal use only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ १० पउमचरिउ हरुल्लए कज्जलु । काहे वि पोत्तिउ पडुए अंचलु ॥ घत्ता॥ विवरेरउ णायरियायणु। किउ लवणंकुस दंसणेण। जगे कामें को वि न वद्ध। ससरें कुसुमसरासणेण ॥१॥ आपल्लइ करन्त तरुणीयणे। लवणंकुस पइसारिय पट्टणे। तहि तेहए पमाणे विज्जाहर लंकाहिव किकिंध पुरेसर । भामण्डल णल नीलंगंगय। जणय कणय मरुतणय समागय। जे पट्टविय गाम पुर देसहुं । गय हक्कारा ताहुं असेसहुं। णाणा जाण विमाणहि आइय । णं जिण जम्मणे अमर पराइय। दिदु रामु सोमित्ति महाउसु। दिट्ठ अणंगलवणु मयणंकुसु। सत्तुहणो वि दिट्ठ तहि सुंदर। एक्कहिं मिय पंच णं मंदर। पुणरवि रामहो किय अहिवंदण। धण्णउं तुहं जसु एहा णंदण ॥ पत्ता॥ एत्तडउ दोसु परह रहुवइहे। जं परमेसरि णाहिं घरि। मए मायाहिं लोयहुं छांदणं। आणेवि का वि परिक्ख करि॥ २॥ तं णिसुणेवि चवइ रहुणंदणु। जाणमि सीयहे तणउ सइत्तणु। जाणमि जिह हरिवंसुपण्णी॥ जाणमि जिह वय गुणसंपण्णी। जाणमि जिह जिणसासणे भत्ती॥ जाणमि जिह महु सोक्खुपत्ती। जा अणु गुण सिक्खा वयधारी॥ जा संमत्तरयण मणिसारी। जाणमि जिह सायरगंभीरी। जाणमि जिह सुर महिहर धारी। जाणमि अंकुस लवण जणेरी। जाणमि जिह सुय जणयहो केरी। जाणमि सस भामण्डल रायहो। जाणमि सामिणि रज्जहो आयहो। जाणमि जिह अंतेउर सारी। जाणमि जिह महु पेसणगारी॥ घत्ता॥ मेल्लिप्पिणु णायर लोएण। महुं घरे उब्भा करेवि कर। जो दुजसु उप्परि घित्तउ एउ ण जाणहुँ एक्कु परा॥३॥ तहिं अवसरे रयणासव जाएं। कोकिय तियड विहीसण राएं। वोल्लाविय एत्तहे वि तुरंते लंकासुंदरि तो हणुवंतें। विण्णि वि विण्णवंति पणमंतिउ। सीय सइत्तण गव्व वहंतिउ। देव देव जइ हुयवहु डज्झइ। जइ मारुउ पड पोट्टले वज्झइ। जइ पाले णहंगणु तिट्ठइ। कालन्तरेण कालु जइ उप्पज्जइ मरणु कियंतहो। जइ णासइ सासणु अरहंतहो। जइ अवरे उग्गमइ दिवायरु मेरु सिहरि जइ णिवसइ सायरु। एउ असेसु इ संभाविजइ। सीयहे सीलु ण पुणु मइलिजइ॥ घत्ता ।। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (99) an Education n ational Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जइ एव वि उ पत्तिज्जहि । तो परमेसर एउ करि । तुल चाउल विस जल जलणहं । पंचह एक्कु जि दिव्वु धरि ॥ ४ ॥ तं णिसुणेवि रहुवइ परिओसिङ। एव होउ हक्कारउ पेसिउ । गउ सुग्गी दिट्ठ देवि रहसेण ण माइय। णंद वड्ढ जय होहिं विराउसा । विणि वि जाहि पुत्त लवणंकुस। लक्खण राम जेहिं आयामिय। सीहहिं जिह गइंद उहामिय। रक्खिय णारएण समरंगणे । तहिं मित्ते पइसारिय पट्टणे । अम्हि आय तुम्हह हक्कारा । दिआहा होन्तु मणोरह गारा ॥ घत्ता ॥ चडु पुष्फ विमाणे भडारिए मिलु पुत्तह पर देवरहं । सहुं अच्छहिं मज्झे परिट्ठिय पिहिमि जेम चउ सायरहं ॥५॥ तं णिसुणेवि लवणंकुस मायए । वुत्तु विहीसणु गग्गिरवायए। णिडुर हिययहो अलइय णामहो । जाणमि तत्ति ण किज्जइ रामहो । घल्लिय जेण रुवंति वणंतरे। डाइणि रक्खस भूय भयंकरे। जहिं सहूल सीह गय गंडा । वव्वर सवर पुलिंद पयंडा । जहिं वहु तच्छ रिंच्छ रुरु संवर । सउरग खग मिग विग सिव सूयर । जहि माणुसु जीवंतु वि लुच्चइ । विहि कलि कालु वि पाणहुं मुच्चइ । तहिं वणे घल्लविय अण्णाणे । एवहिं किं तहो तणेण विमाणं ॥ घत्ता ॥ जो तेण डाहु उप्पाइअउ पिसुणालाव मरीसिएण । सो दुक्करु उल्हाविज्जइ । मेह सएण वि वरिसिएण ॥६॥ जइ वि ण कारणु राहवचंदें। तो वि जामि लइ तुम्हहं छंदे । एवं भणेवि देवि जय सुंदरि । कम कमलहिं अच्वंति वसुंधरि । पुप्फ विमाणे चडिय अराएं। परिमिय विज्जाहर संघाए । कोसलणयरि पराइय जावहिं । दिणमणि गउ अत्थवणहो तावेहिं । जेत्थहो पिययमेण णिव्वासि । त उववणहो मज्झे आवासिय । कह वि विहाणु भाणु णहे उग्गउ । अहिमुहु सजाणा लोउ सामागउ । दिन्नई तूरई मंगलु घोसिउ । पट्टणु णिरवसेसु परिउसिउ । सिय पइट्ठ णिविट्ठ वरासणे । सासण देवए णं जिण सासणे ॥ घत्ता ॥ परमेसरि पढम समागमे । झत्ति णिहालिय हलहरेण । सिय पक्खहो दिवस पहिल्लए। चंदलेह णं सायरेण ॥ ७ ॥ कंतहिं तणिय कंति पेक्खेप्पिणु । पभणई पोमणाहु विहसेप्पिणु । जइ वि कुलग्गयाउ णिरवज्जउ । महिलउ होंति सुठु णिल्लज्जउ॥ दरदाविय कडक्ख विक्खेवउ । कुंडिलमइउ वड्डिय अवलेवर । वाहिर धिट्ठउ गुण परिहीणउं हि खंड ण जंति णि हीणउं। णउ गणंति णिय कुलु मइलंतउ । तिहुयणि अयस पडहु वज्जंतउ । अंगु समोडेवि धिक्कारहो । वयणु णिएंति केम भत्तारहो । सीय ण भीय सइत्तण गव्वें वलेवि पवोल्लिय मच्छरगव्वें । पुरिस निहीण होंति गुणवंत वि । तियहि ण पत्तिज्जंति मरंत वि ॥ घत्ता ॥ खडु लक्कडु अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका . (100) Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सलिलु वहंतियहे । पउरा णियहि कुलुग्गयहे । रयणायरु खारई देंतउं । तो वि ण थक्कइ णम्मयहो ॥ ८ ॥ साणु ण केण वि जणेण गणिज्जइ । गंगाणइहि तं जि हाइज्जइ । ससि स कलंकु तहिं जि पहि णिम्मल । कालउ मेहु तहिं जि तहिं उज्जल । उवलु व पुज्ज ण केण विच्छिप्पर तहि जि पडिम चंदणेण विलिप्पइ । धुज्जइ पाउ पंकु जइ लग्गइ। कमल माल पुणु जिणहो वलग्गइ। दीवउ होइ सहावें कालउ । वट्टि सिहए मंडिज्जइ आलउ । णरणारिहि एवड्डुउ अंतरु । मरणे वि वेल्लि ण मेल्लइ तरुवरु । इह पई कवण वोल्ल पारंसिय । सइवडाय मई अज्जु समुब्भिय । तुहुं पेक्खन्तु अच्छु वीसत्थउ । डहउ जलणु जइ डहिवि समत्थउ ॥ घत्ता ॥ किं किज्जइ अण्णे दिव्वें । जं ण वि सुज्झइ महुं मणहो । जिह कणय लोलि डाहुंत्तर अच्छामि मज्झि हुआसणहो ॥ ९ ॥ सीयहि वयणु सुणेवि जणु हरिसिट्ठउ । उच्चारउ रामंचु पदरिसिउ । महुर णराहिव जस लिह लुर्हेणें । हरिसिउ लक्खणु सहुं सत्तुंहर्णे । तिण्णि वि विप्फुरंत मणि कुंडल । हरिसिय जणय कणय भामंडल । हरिसिय लवणंकुस सुस्सील वि। हरिसिय वज्जजंघ णलणील वि। तार तरंग रंभ विससेण वि । दहि मुह कुमुय महिंद सुसेण वि । गवय गवक्ख संख सक्कंदण। चंदरासि चंदोयर णंदण। लंकाहिव सुग्गीवंगंगय। जंवव पवणंजय पवणंगय । लोयवाल गिरि णइउ समुद्ध वि विसहरिंद अमरिंद रिंद वि ॥ घत्ता ॥ तइलोकब्भंतर वत्तिउ। सयल वि जणवउ हरिसियउ। पर हियवए कलुसु वहंतउ । रहुवइ एक्कु ण हरिसियउ ॥ १० ॥ सीयए जं जे वुत्तु अवलेवें । तं जि समत्थिउ पुणु वलएवें । कोक्किय खणय खणाविय खोणी । हत्थ सयाइं तिण्णि चउ कोणी । पूरिय खड लक्कड विच्छड्डेहिं । कालागुरु चंदण सिरिखंडेहि । देवदारु कप्पूर सहासेहिं । कंचण मंच रइय चउ पासेहिं । चडिया राय आय गिव्वाण वि । इंद चंद रवि हरि वंभाणवि । इंधण पुंजि चडिय परमेसरि णं संठिय वय सीलहं उप्परि । अहो देवहो महुं तणउं सत्तणु । जोएज्जहो रहुवइ दुट्ठत्तणु । अहो वह...... अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका (101) Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जव पाणें। लइउ कंठे हरिसरिसें साणे। मारिउ ताम जाम कयनाएं खद्धउ मिलिवि सुणह समवाएं। इय विसयंधु मूढ जो अच्छइ। कवण भंति सो पलयहो गच्छइ ॥ घत्ता॥ गउ अद्धरत्तु वोल्लंतहो। तो वि कुमारु न भवे रमई। तहें काले चोरु विजुच्चरु चोरेवइ पुरे परिभमई ॥११॥ विरइय गाढ गंठि परिहणसलु। किय आयत्तछुरियपिहुकडियलु। निवडनिवद्धजूडसिरपरियरु। अयरुग्गार धूय सुर हियमरु। सियतंवोलवत्तवीडियधरु। फेरियपत्तिवालदाहिणकरु। कामिणेकामलयहि मेल्लिवि घरु। वेसावाडउ नियइ निरंतरु। वेसउ जत्थ विहूसिय रूवठ। नरु मण्णंति विरूउ विरूवउ। खणदिट्ठो वि पुरिसु पिउ सिट्ठउ। पणयारूढु न जम्म वि दिटुउ। नउ लुब्भवउ ताउ किर गणियउ। तो वि भुयंगदंतनहवणियउ। वम्महं दीवियाउ अविभत्तउ। तो वि सिणेह संग परिचत्तउ। लग्गिरसोयणिसत्थसरिच्छउ। कामुअरत्ताकरिसणदच्छउ। मेरुमहीहर महिपडिविंवउ सेविय वहु किं पुरिसनियंवउ। नरवइणीइ समाणविहोयउ। दूरुज्झिय अणत्थ। वुत्तु । मई मुयवि विवत्थु तडम्मि दास। रे कित्थु चलिउ वंचिवि हयास। पच्चुत्तरु हत्थु वलंतएण। तहे दिज्जइ सिग्घुचलंतएण। परिणिउ वि मुक्कु भत्तारु सारु। माराविउ पुणु अनत्थु जारु। किं भक्खणमण मज्झु वि मयच्छि। लए जामि भडारिए एत्थु अच्छि। गइ तम्मि असइ थिए तीरे जाम। संगहियमंसदलु आउ ताउ। जंवुअं जलाउ थले नियवि मच्छु । पलु मेल्लवि धाइउ गहणदच्छु। ज णु एत्तहे दवत्ति। निउ सेणें आमिसखंडु झत्ति। उहयासावंचिउ हुउ विलक्खु। अडयाणए हसिउ तहो देवि लक्खु । वुच्चइ निवुद्धिय रे सियाल। साहीणु मुयवि कउ लाहु वाल। तो तेण भणिउ हए परकुवुद्धि। कहि लब्भइ एही परसुवुद्धि। एक्कत्थ मुक्कु पइ पावकम्मे। जारु वि माराविउ पुणु अहम्मि। कल्लाणकारि तउ वुद्धि लग्ग निल्लज्जे लज्ज वोल्लंत लग्ग॥ घत्ता॥ इय असइ कहाणउ अवगमहि। सुर सोक्ख कजे मा मणु दमहि। अणुहुंजि मणुयफलु दुलहु तुहूं। सायत्तु चयंतहं कवणु सुहु॥१०॥ जंबूसामि कहाणउ साहइ वाणिउ को वि परोहणु वाहइ। गउ परतीरे सुहइधणतुल्लउ । एक्कु जे रयणु किणिउ वहु मोल्लउ। चडिवि पोइ लंघइ सायरजलु। आवंतउ चिंतइ अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (104) an Educationa l Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मणे मंगलु। जा वेलाउलु पावमि तहिं पुणु। विक्कमि एउ माणिक्कु महागुणु। हरि करि किणवि भंडु णाणाविहु । घरु जाएसमि निवसंपयनिहु। अह हत्थाउ गलिउ दरनिद्दहो। पडिउ रयणु तं मज्झे समुद्दहो। धाहावइ तरियहु दीहरगिरु। हा हा जाणवत्तु किज्जउ थिरु। निवडिउ रयणु एत्थ अवलोयहो। तं आणेवि पुणु वि महु ढोयहो। सायरे न? वहंतहो पोयहो। कहिं लब्भइ माणिक्कु पलोयहो॥घत्ता॥ इय मणुयजम्मु माणिक्कसमु। रइसुह निद्दावसजाय भमु। संसार समुद्धि हरावियउ। जोयंतु केम पुणु लहमि हउं॥११॥ विजुच्चरु पभणई दिढपहारि। विज्झम्मि भिल्ल कोयंडधारी। सरघाएं मारिउ हत्थि तेण। एत्तहे सो दगु भुयंगमेण। धणुघाएं मारिउ विसहरो वि। भिल्लु वि विसभुत्तु विवष्णु सो वि। करि भिल्ल सप्पु धणु धरणिपडिय विहरंत सिवालहु चित्ति चडिय। छम्मासु हत्थि नरु एक्कु मासु। अहि होसइ पुणु दिवसेक्कु गासु। ता वच्छउ फेडमि दुङ् भुक्ख। पर खामि दोवि धणुवद्ध सुक्ख। करडंतहो तहि दिढनद्ध तुडिउ। धणु कोडिए तालु कवालु फुडिउ। मुउ जंवू जेम सुहेण छुहिउ। नासेसहि तिह परमत्थु कहिउ॥ घत्ता॥ तो भणइ कुमारु माम मुणहि। अक्खाणउ अजु वि नउ मुणहि । कव्वाडिउ कोवि कहिमि वसइ। इंधणु आहरि वि अण्णु ग........... अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (105) Jan Education International For Private & Personal use only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Jan Education International For Private & Personal use only www.ja nelibrary.org Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाठ १३ धण्णकुमारचरि तेत्तहिं जाइवि थक्कउ। गिहि ण एइ सो भएण वि लुक्कउ । एतहिं तासु जणणि णेहाउर । भायहु जंपइ सा परसक्खर । चंड वाउ घणमाला गज्जइ। भायरु पच्छिम उवहि णिमज्जइ । वच्छउलई आयई एकल्लई । तुव भाणिज्जहु हुय गुरुवेलई | महु मणु तें कारणु वहु झूरइ । पुत्तहु दंसणि . आस ण पूरइ ॥ घत्ता ॥ सो कहि पुणु थकउ णेह गुरुक्कउ । आणहु जोइवि भायवर । सो ताहि जि वयणें । पालिय णयणे चल्लिउ मेल्लिवि णरपवर ॥ १४॥ लउडि खग्ग सव्वेहिं करि धारिय। भोगवई चल्लिय विणिवारिय । दूरहु हुंतिं तेण णियच्छिय । हक्क दिंत आवंत वि पेच्छिय। एयहु मारणथि इह आवहि । वच्छउलई णउं कथ वि पावहिं । इय मणि मंतिवि पुणु भयतट्ठउ । पच्छउ वलिवि णिएइ वणि णट्ठउ। ते वोल्लावहिं भो गहि आवहि। एहि एहि मा भयवसु धावहि । वच्छउलहं णियगेहि पराणिय । तुहु इ थक्कु ण पइए जाणिय। तुज्झु जणणि तुअ दुक्खें सल्लिय । मा वणि जाहि मुइवि एकल्लिय । तह वि ण सो णियत्तु भयभीयउ । मुणइं पवंचु सयलु इणि कीयउ । जाय रयणि ते सीह भयाउर । पल्लट्टिवि गय ते पुणु णियघर। तासु जणणि महदुखें तत्ती । हुय णिरास खणि पगलियणेत्ती । हा हा किहं सुवदंसणु होस । दुट्ठ विहिहिं पुणु पुणु सा कोसइ। भाय भाय हा किम जीवेसमे । सुवाहु सुवत्तु केम पेच्छेसमे। हा हा किं बंधव णिचिंतउ । महु सुउ विसमावथहिं पत्तउ । हउं तुव सरणि विएसें पत्ती। करहिं गंपि महु पुत्तहु त्तत्ती । महु मणु अच्छइ वहुदुक्खायरु । इय कंदंति णिवारिइ भायरु | अच्छहि कलुणु म कंदहि वहिणी । पुरसयासि सो णिवसइ रयणी ॥ घत्ता ॥ जिं णियउरि धरियउ । खीरें भरीयउ । परपेसणेण जि पोसियउ । मह दुक्खें पालिउं । देहे लालिङ । तं वीसरइ केम हियउ॥ १५ ॥ हा हा अणचिंतिउ दुखु जाउ । वणि किम होसइ सुउ सुद्धभाउ । एक्कल्ली कि मुकिय सुपुत्तू । तुव जीवें जीवमि णेहजुत्त। हा हा किं जाया कुमइ तुज्झ । किं सहु अक्खउ हउ देस गुज्झ । रुल घुलइ सुसइ पुणु दिसि णिएइ । जाणइ महु सुउ एव्वहिं जि T अपभ्रंश- पाण्डुलिपि चयनिका (108) Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एइ। हा णिरवराह हउ दइय दुट्ठ। किं कारणि मारी ण्णे किट्ठ। विलवंत थक्क इम जणणि तासु । णिसुणहु सुअ भावण फल पयासु। अइ किंण्ह रयणि भय भिण्णु मित्तु । अडविह भमंतु गिरि गुहहिं पत्तु । सा कंपिय पिच्छिवि वारि थक्कु। एक्कल्लउ उग्घाडण असक्नु। गु......... वि पुणु आयउ। अकयपुण्ण तणु छंडिवि सुहमणु। मुणिवयणें संचिवि वहुसुह धणु। पढमसग्गि उप्पण्णउ सुरवर। संजायउ सो वहु सोहाधरु। रयणाहरणविहूसियगत्तउ। अच्छरगणु पणुवइ ससिवण्णउ। जय जय सरु भणंति सेवयसुर। सग्गभूमि अवलोइवि सो किर। चेतइ को हउं के महु किंकर। को पएसु इहुँ को जुवईवर। इय चिंतंतें अवहि उवण्णी। जाणि सग्गभूमि इह धण्णी॥ घत्ता॥ ए सुरवर किंकर ए अच्छरवर। इहु विमाणु इह भूइपर। मइ किं चिरु चिण्णउं। जं उप्पण्णउं। आइवि अजु जि एथु धरी॥१७॥ हउ होंतउ दुख दलिद्ध जडिउ। पुव्वकिय दुक्कमेण णडिठ। णिव्वंधउ छुह तिस समेभरिउ। जणणिए सहुं देसंतरु फिरिउ। थकइ असोय मा महु जि घरि। हउ अथि पवट्टिउ तहिं पवरि। मइ दाणु पदिण्णउं मुणिवरहु। सहु जणणिंए णेहणिय भवसरहु । हउं वच्छउलइ रखणहं गउ। तहिं सुतउ जावहिं विगयभउ। पवणाहय ते णिय आय घरि। हउं भय भीयउ कंदरि विवरि। थकउ तहिं। आयमु वहु सुणिउं। संसार सरूवउ वि चित्ति मुणिउं। जाणिवसमि ता सेंघेण हउं। हउ सुरवर जायउ चिय विवठ। मुणिवयणिपसाएं दुक्खभरु। छेदिवि खणि जायउ सुक्खघरु। एत्तहि तहु मायरे दुहभरिया। महदुक्खें खविय विहावरिया। हुय सुप्पहाए सयल जि मिलिय। सहुं जणणिए तं जोयहुंचलिया। सव्वथ वणम्मि गवेसियउ। मह सोएं पुरजणु सोसियउ॥ घत्ता॥ तहुँ खोज्जु णियंतई जंतई संतई पत्तइं। गिरि गुह वारि पुणु। तहिं तहु कर चलणइं। वहु दुह जणणइं। दिट्टइं दहदिसि पडिय तणु॥ १८॥ मुच्छाविय जणणि णिएवि ताई। सयल वि दुक्खाविय तेत्थु ट्ठाई। उम्मुच्छिवि मायरि मुइवि धाह। रोवणहं लग्ग हा हुय अणाह । हा हा महु णंदणु हउं सदुक्खि। किं मुक्की णिक्कारणि उवेक्खि। वारंतहं सव्वहं गयउ काई। हा हा किं णायउ गेह ट्ठाई। कि कुमइ जाय तुव एह पुत्त। जं वणि आवासिउ कमलवत्त। मह छंडि गयउ तुहं की विएसि। हउं पाण चयमि पुणु इह पएसि। इय भणिवि चलण कर मेलवेवि। आलिंगइ जा णेहेण लेवि। ता सुरवरु चिंतइ सग्गवासि। किम जणणि मज्झ हुव मोखरासि। जाईवि संवोहमि ताहिं अजु। जिम सिज्झइ तहिं परुलोइ कज्जु । अण्णु वि णियगुरु चणारविंद। अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (109) Jan Education International For Private & Personal use only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणमवि जाइवि गइमल अणिंद। इय चिंतवि आयउ तहिं सुरेसु। मायई करेवि चिर देह वेसु। णियडउ आविवि जंपइ सुवाय। किं कंदहि रोवहि मज्झु माय। हउं जीवमाणु महु णियहि वत्तु । हउं अक्खउपुण्णु नामेण पुत्तु । मोहाउर णिसुणिवि वयण सिग्घु। णिच्छइ जाणिउं महु सुउ अणग्घु ॥ घत्ता । मेल्लिवि कर चरणइं। वहुदुहकरणइं। धाइवि जालेंगेइ तहु । ता सुरवरु सारउ। वसुगुण धारउ। पउ सरेवि थिउ सो वि लहु ॥१९॥ जंपइ भो वुज्झहि जणणि सारु। जिणुवयणु दयावरु जणहं तारु। को कासु णाहु को कासु भिच्चु । जाणहि संसारु जि मणि अणिच्चु। मोहें वधउ मे मे करेइ। आउक्खए कु वि कासु ण धरेवि। अइआरु ण किज्जइ मोहु अंवि जिणधम्मु गहहि मा इह विलंवि। जें लब्भहिं इच्छिय सयलसुक्ख च्छेइज्जहि जें भवदुखलक्ख। खणि भंगुरु सयलु म करिहि सोउ। महु पुणु पेच्छहि संजणिय मोउ। सद्दहहि जिणायमु सरिवि अज्जु । हुउ पढम सग्गि सुर देवपुज्जु । अवहिए जाणिवि हउं एथु व। तुव वोहणथि पयडिय सुवाउ। इय वणु सुणवि उवसंत मोह । कर चरण मुइवि जाया सुवोह । देवें पुणु णिय मुणिणाह णसि। वरु गुह अभंतरि वि गय तासि। ति पयाहिणि देप्पुणु गुरुपयाई । देवें वंदिय ता गरहियाई॥घत्ता ॥ बहु थोत्तु पयासिवि चिरकह भासिवि। तुम्ह पसाएं देव पउ। मइं पाविउ धण्णउ। बहु सुह छण्णउं। एम भणिवि पणवाउ किउ॥ २०॥ तहु माइई। वंदिउ मुणि पुंगमु। मामें भायहि पुणु गय संजमु। पुरलोएं तहं भावे वंदिउ। णिय कय दुक्किय कम्मु पुणु णिदिउ। भोयवईए मुणि पणविवि भासिउ॥ सामिय धम्मु भणहु........... अपभ्रंश-पाण्डुलिपि चयनिका (110) Jan Education International Page #126 -------------------------------------------------------------------------- _