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डीसीलावइहिमंडणू नासि । हरिविणीय जाकिर हवयोगासीलेसीया चहुमजलणं तरुण मसीलगुरुक्कियाखयकिरायावसम्म बुद्धि यारोहिणिखर जलेण संताविना सील गुणल एलवाविद्या हरिहलि चक्क वहिनिलाटाविति प्रणाम विखाजा एससीलकमल सा रसिका फणिवरामरहि 'पसेसिज जपिए छारा वरिजाय3 !!
कुसीलु मय लम्माला सीलवंत बुरुजापसलाहक।सीलवि वड़िएलकि किद्वा ॥ सजविल सीलुपर] पालिकामा १०८ हासतालाॐपियंतिय मूल तू वसा ॥ सील विहीणहेजण साहोसनुकाप कयाला साल विहालसियझाएस स लविहा लहेमरण स्वसूज्ञा सुविश्वनाभ एवियाजमि श्रासेलमल वि रामवर सुदित ऊजाणक] सधुकाविसा सुसयाणा किंवहु जय रणगरुजालान विमनु होस हाल जल्ल संघञनारसकाइद
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अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका
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