________________
Jain Education International
लघु प्रतिक्रमण (संवत् १६५१ )
कल्पसूत्र बालावबोध (संवत् १७१७)
जिनभद्रसूरि ज्ञान भण्डार, जैसलमेर
इस प्रसिद्ध भण्डार में प्राकृत के जैन आगम एवं आगमेतर ग्रन्थों का विशाल संग्रह है। कुछ के नाम
प्रस्तुत हैं
आचारांग - सुधर्मा (संवत् १५०० )
सूत्रकृतांग- सुधर्मा (संवत् १५०० )
स्थानांग - सुधर्मा (संवत् १५०० ) आदि जैन आगम साहित्य संगृहीत हैं। लोकनालि-जिनवल्लभ (संवत् १३०० ) प्रवचन संदोह (संवत् १३०० ) अष्ट प्रकारी पूजा कथानक (संवत् १४०० ) पुष्पमाला (संवत् १४७८)
धर्मोपदेश माला - जयसिंह सूरि (संवत् १४०० - १५००) महिपाल चरित्र - वीरदेव गणि (संवत् १५०० ) गौतमपृच्छविचार (संवत् १५०० )
श्रीपाल चरित्र (संवत् १५७० )
प्रवचनसारोद्धार - नेमिचन्दसूरि (संवत् १५८७)
आराधना सार- देवसेन
भगवती सूत्र (व्याख्या प्रज्ञप्ति) - सुधर्मा (संवत् १५०० ) सूत्रकृतांग की नियुक्ति-भद्रबाहु (संवत् १५७२) आचारांग की नियुक्ति-भद्रबाहु (संवत् १६७१)
हरिबल चरित्र (संवत् १६०० ) पउमचरियं विमलसूरि (संवत् १६२५ ) कुर्मापुत्रकथा-जिणमाणिक्यसूरि (संवत् १६६४)
अंगविद्या (संवत् १६६९ )
पंच अणुव्रत (संवत् १७००)
नवतत्त्व (संवत् १७०० )
वज्जलग्गं (संवत् १७०० )
तत्त्वतरङ्गिणि- तेजसागरगणि (संवत् १८०० )
अपभ्रंश- पाण्डुलिपि चयनिका
For Private & Personal Use Only
(72)
www.jainelibrary.org