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प्रेस रुजु श्ररुणंजेलिसमधरणिपुलावरमं लुतस्य झुहिडिल्लवेकरपत्र
इत्स्याय
कीरतणिविति जंगलु श्रसेतु वगररक समालिपरमामई 'इइहुमित्रुारणापाशविक विह बागमज्ञायवमज्जे खाहौर
यमन्त्राकलहेमिप्रहिंस लंघलुण्डे हाता सग
साई
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विदेसुरचायसिंग६, रिर्सऽसुवेद्यातहिजोच सद्र साका उझावसा हसतुघलकुम३हया खदणवेसु|णासंतुपरमुङ ७६ के सास्ररहेति सवराज विसोते परे हणैकिवपितिएँवरेति पिसृणेविखडुक्करपिडरविवा ममलाइकहरुक काशमारद्विरनुविद्मवेश्णरइ चलुयाडहि सवष्युवहिलद्वाणि अनुभव
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अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका
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