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कले
गन
उह
मझे
लङ
'वैस्पि
सहि
कुले
गब्भ
तुह
मज्झे
लहू
वेणि
सट्ठि
अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका
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झुंलि
दंड
निस्पि
उसा
5.
आणंदें
ਡਾ.
झुणि
दंड
तिणि
उज्झा
अच्छ
आणंदें
वितबा
(XII)
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