Book Title: Apbhramsa Pandulipi Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 64
________________ Jain Education International शिवभूति ब्राह्मण स्कँटिनकडे नमस्महिरो विन लेना कैम अलि इसिविल क नरक विष्णा भुविधियो ॥१०॥नंनि सुणेविकु हिनय रेसि कागिनं (रय विरा मानें वुझिन सयक चिरु करिविद रिसाव मि केनरेवहिय वेसभित्र विव अनामसताघाष: लखन पावेस मिसिवप सिमऊर हानिका अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only वरुप मुय कलि ना! ते मुखमु कालितः कृतकितन समूहेन = अत्यासक्त: प्पउ४ ११४ મ (49) www.jainelibrary.org

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