Book Title: Apbhramsa Pandulipi Chayanika Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 78
________________ Jain Education International सुरे सुमाथांकरेवि विरदेदवेसु । लियमच्या विविजेएसवाय किंकंदी दराव हिमझुमायाह जी व मालुमऊ लिय दिवारका नाम लामो हाच रविवयसि इजा मित्र माम घुघत्रा मे लिविकस्वर मशव हकरमधाविना लैगेइतऊ तासुखरु सारनावसुयुलधार वाप उसरेविथिनसेो विला जय ईलाज झदिजपलिसारु जिरगुव यमुद्रयाव रुजल देतारु का का सुस्माको कोसुनिता महिससा रुजिम लिच लेखामा है वचन मे करेशच्या चरकएक विकासुधरेविष्य इयरुम कि हम वितिम धगह हिमाइदविले विजेंलन दिइचियस्यल सरकाळे हिजैन भू अपभ्रंश - पाण्डुलिपि चयनिका For Private & Personal Use Only 63) www.jainelibrary.orgPage Navigation
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