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कवि की द्वितीय कृति- 'अलकारचिन्तामणि' है जो वस्तुत अजितसेन की कीर्ति पताका है । यह ग्रन्थ महाकवि के वैदुष्य का परिचायक है । सम्पूर्ण ग्रन्थ पाँच परिच्छेदों में विभक्त है इस ग्रन्थ की कारिकाएँ तथा उदाहरण प्राय अनुष्टुप छन्द मे निबद्ध है, 406 कारिकाओं मे ग्रन्थ की समाप्ति हो जाती है । इस ग्रन्थ मे प्रतिपादित समस्तविषयों का समीक्षात्मक अध्ययन प्रस्तुत शोध प्रबन्ध में किया गया है अत उन विषयों का प्रस्तुत स्थल पर उल्लेख करना समीचीन नहीं है ।
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