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अध्याय -2
कवि शिक्षा निरूपण
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इसके पूर्व कि कवि-शिक्षा पर विचार किया जाय । 'काव्य' और 'कवि' शब्द के विषय मे ज्ञान प्राप्त करना नितान्त आवश्यक है ।
काव्य शब्द का अर्थ 'कवि की कृति' है - कवि द्वारा जो कार्य किया जाय उसे काव्य कहते है - 'कवेरिद कार्य भावो वा' व्यञ् प्रत्यय ।' 'कवनीय काव्यम्' 12 कवयतीति कवि तस्य कर्म काव्यम् । काव्य प्रकाश के टीकाकार वामन झलकीकर के अनुसार काव्य प्रणेता कवि की भारती ही वस्तुत काव्य की कोटि मे स्वीकार की गयी है । इन्होंने कवि भारती को काव्य की अभिधा प्रदान की है 14
सम्प्रति 'कवि' शब्द के अर्थ के विषय मे भी विचार कर लेना उपयुक्त होगा । 'अमरकोष' के अनुसार कवि शब्द की व्युत्पत्ति इस प्रकार की गयी है
'कवते सर्व जानाति सर्व वर्णयतीति कवि ।
यद् वांकु' शब्दे + अच् = इ शब्द कल्पद्रुम तथैव कवते श्लोकान् ग्रथते वर्णयति वा अमरकोष वेदों मे भी 'कवि' शब्द का प्रयोग दृष्टिगोचर होता है । वेदों के प्रकाशक श्री ब्रह्मा जी के लिए श्रीमद्भागवत् मे कवि शब्द
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गुणवचन ब्राह्मणादिभ्यःकर्मणि च अष्टध्यायी। अभिनवगुप्ताचार्य ध्वन्ध्यालोक लोचन उद्धृत - ससा0इ0 -
कन्हैया लाल पोद्दार भाग-2 पृ0 20f विद्याधर एकावली - उद्धृत - ससाइति० - कन्हैया लाल पोद्दार पृष्ठ - 10, भाग - 2 कवे काव्यकर्तु भारती काव्यम् । बालबोधिनी पृष्ठ चार स0सा0इ0 - कन्हैया लाल पोद्दार, पृष्ठ - 20 कविर्मनीषीपरिभू स्वयभू शुक्ल यजुर्वेद 40/8f उद्धृत - ससा0इ0 -
कन्हैया लाल पोद्दार पृष्ठ - 200
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