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वर्णन पुरोहित के विषय मे करना अपेक्षित है । आचार्य विश्वनाथ ने पुरोहित के गुणों का अतिसूक्ष्म निर्देश किया है । 2
भरत, भामह, दण्डी, उद्भट्, रुद्रट, कुन्तक भोजादि आचार्यों ने उक्त विषयों की चर्चा नहीं की है । परवर्ती आचार्य मम्मट तथा जगन्नाथादि भी इस विषय मे मौन है । डॉ० राजदेव मिश्र ने 'पुरोहित को कुलीन, बुद्धिमान, नानाशास्त्रों के ज्ञाता, स्नेहशील, अप्रभत्र, लोभरहित, पवित्र, विनीत और धार्मिक प्रवृत्ति वाला बताया है' 13
राजकुमार के वर्णनीय गुण. -
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उल्लेख नहीं किया है को है । उनके अनुसार का ज्ञान, बल, नम्रता, आदि अग एव क्रीडा चाहिए 14
राजमन्त्री के वर्णनीय गुण
अजित सेन के अनुसार राजमन्त्री पवित्र विचार वाला, क्षमाशील, वीर, नम्र, बुद्धिमान, राजभक्त, आन्वीक्षिकी आदि विद्याओं का ज्ञाता, व्यवहारनिपुण एव
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भारत, भामह, दण्डी आदि पूर्ववर्ती आचार्यों ने राजकुमार के गुणों का । इसके निरूपण का सर्वप्रथम श्रेय आचार्य प्रवर अजितसेन
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राजा की भक्ति, सौन्दर्ययुक्त, अनेक प्रकार की कलाओं शस्त्र प्रयोग का ज्ञान, शास्त्र का अभ्यास, सुडौल हाथ, पैर विनोद प्रभृति का राजकुमार के सम्बन्ध मे वर्णन करना
पुरोहिते निमित्तादिशास्त्रवेदित्वमार्जवम् । विपदा प्रतिकर्तृत्व सत्यवाक्शुचितादय ।।
ऋत्विक्पुरोधस स्युर्ब्रह्माविदस्तापसास्तथा धर्मे ।
'संस्कृत रूपको के नायक'
पृष्ठ
कुमारे राजभक्ति श्रीकलाबल विनीतता । शस्त्रशास्त्रविवेकित्वबाह्यागविहृतादय ।।
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अलकार चिन्तामणि 1 / 33, पृ0-8
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सा० द०
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अ०च० 1 / 340
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