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इसके अतिरिक्त इन्होंने उपमा के अन्य भेदों का भी उल्लेख किया है जो प्राय दण्डी द्वारा निरूपित किए जा चुके है इस प्रकार की उपमाओं के विभाजन का आधार साधारण धर्म का उत्कर्ष तथा अपकर्ष के अतिरिक्त उपमानों एव साधारण धर्मों की अनेकता भी है । ये उपमाएँ निम्नलिखित है । -
कर्मक्यच् अनुक्तधर्मा लुप्तोपमा क्यच् अनुक्तधर्मा लुप्तोपमा अकथित उपमान लुप्तोपमा समासगा लुप्तोपमा
धर्मोपमा, वस्तूपमा, विपर्यासोपमा, अन्योन्योपमा, नियमोपमा, अनियमोपमा, समुच्चयोपमा, अतिशयोपमा, मोहोपमा, सशयोपमा, निश्चयोपमा, श्लेषोपमा, सन्तानोपमा, निन्दोपमा, प्रशखोपमा, आचिख्यासोपमा, विरोधोपमा, प्रतिषेधोपमा, चाटूपमा, तत्त्वाख्यानोपमा, असाधारणोपमा, अभूतोपमा, असम्भावितोपमा, विक्रियोपमा, प्रतिवस्तूपमा, तुल्योगोपमा, हेतूपमा, मालोपमा ।
वाक्यधर्मोपमानिका समासगा लुप्तोपमा अनुक्तधर्मा इवादि सामान्यवाचक लुप्तोपमा
आचार्य अजितसेन द्वारा निरूपित उक्त उपमा भेद आचार्य दण्डी के समान है । 2 इन्होंने दण्डी द्वारा निरूपित उत्प्रेक्षितोपमा, निर्णयोपमा, समानोपमा, बहूपमा, के अतिरिक्त अन्य सभी भेदों को सादर स्वीकार कर लिया है ।
इसके अतिरिक्त व्याकरणिक उपमाएँ भी उद्भट और मम्मट से प्रभावित है । 3
उपमावाचक पदों का निर्देश
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आचार्य अजितसेन ने उपमा के वाचक पदों का भी उल्लेख किया है जो इस प्रकार है इव, वा, यथा, समान, निभ, तुल्य, संकाश, नीकाश, प्रतिरूपक,
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दृष्टव्य अ०चि० चतुर्थ परिच्छेद पृ0 133-139
काव्यादर्शी 2/14-41
(क) काव्या० सा० स० 1/19-20 (ख) का०प्र० दशम उल्लास