Book Title: Alankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Archana Pandey
Publisher: Ilahabad University

View full book text
Previous | Next

Page 248
________________ परवी आचार्य दण्डी ने भामह कृत दोषों को अपने काव्य दोषों के रूप में स्वीकार किया है ।' आचार्य मम्मट ने पद, पदाश, वाक्य, अर्थ तथा रस मे दोषों की स्थिति स्वीकार की है । पद दोषों की संख्या सोलह है । जिनमें क्लिष्ट, अविभृष्ट विधेयाश तथा विरुद्धमति कृत दोष केवल समास मे ही होते है । च्युत संस्कार, असमर्थ और निरर्थक को छोड़कर शेष दोष वाक्य और पदांश मे भी होते है । इन्होंने 23 अर्थ दोषों का उल्लेख किया है2 तथा 2। अन्य वाक्यदोषों को माना है - रस दोषों की सख्या इन्होंने तेरह स्वीकार की है । आचार्य अजितसेन शब्द तथा अर्थ की दृष्टि से दोषों को दो भागों में विभाजित किया है - शब्ददोषों को पदगत व वाक्यगत भी स्वीकार किया है। पदगत दोषों की संख्या सत्रह तथा वाक्यगत दोषों की संख्या 24 है । इन्होंने 18 प्रकार के अर्थ दोषों को स्वीकार किया है । इस प्रकार यदि समस्त दोषों का आंकलन किया जाए तो दोषों की संख्या 17 + 24 + 18 = 59 हो जाती है 14 पद दोष.- नेयार्थ, अपुष्टार्थ, निरर्थ, अन्यार्थ, गूढपदपूर्वार्थ, विरुद्धाशय, ग्राम्य, क्लिष्ट, अयुक्त, संशय, अश्लील अप्रतीत, च्युत सस्कार, परुष, अविमृष्टकरणीयांश, अयोजक और असमर्था - इस प्रकार सत्रह पद-दोष हैं । जितसेन कृत उपयुक्त दोष पूर्ववर्ती आचार्यों से प्रभावित है - अपुष्टार्थ दोष को आचार्य मम्मट ने अर्थदोष के अन्तर्गत रखा है किन्तु अजितसेन ने इसे पद दोष के अन्तर्गत निरूपित किया है । [2आचार्य मम्मट के विरुद्धमति कृत नामक दोष को विरुद्धाशय के नाम से अभिहित किया है । 3 मम्मट - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - ल + काव्यादर्श, 3/125-126 को का0प्र0, 7/50, 51 ख काOR0, 7/55, 56 57 अर्थदोष का का0प्र0, 7/53, 54 वाक्यदोषः । खि काव्य , 7/60, 62 रसदोषएँ क सशब्दार्थमतत्वेन द्वेधा सक्षेपतो मत. । __ पदवाक्यगतत्वेन शब्दगतोऽपि द्विधा। अचि0, 5/190 का उत्तरार्ध ख) वही, 5/209, 210 नेयापुष्टिनिरन्यमूढपदपूर्वार्था विरूद्धाशयं । ग्राम्यं क्लिष्टमयुक्तसशयमताश्लीलाप्रतीतच्युत ।। सस्कारं परुषाविमृष्टकरणीययंश तथा योजक । । मन्यच्चास्ति तथा समर्थमिति ते सप्तोत्तरा स्युर्दश ।। अचि0 5/191

Loading...

Page Navigation
1 ... 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276