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खण्डिता.
प्रियतम को परनायिका के साथ उपभोग करने से लगे हुए चिन्ह को देखकर नायक के ईर्ष्या करने वाली नायिका को खण्डता कहते हैं ।
विप्रलब्धा -
प्रिय के द्वारा किये गए स्केत या आगमन से ठगी हुई नायिका को विप्रलब्धा नायिका कहते हैं ।
प्रोषितभर्तृका -
जिसका प्रिय परदेश गया हो, उसे प्रोषितभर्तृका कहते हैं ।
विरहोत्कण्ठिता.
वस्तुत किसी कारणवश पत के परदेश में विलम्ब करने पर विरह से उत्कण्ठित नायिका विरहोत्कण्ठिता नायिका कहलाती है ।
अभिसारिका.
प्रियतम के पास में जाने या उसे बुलाने की इच्छावाली नायिका को अभिसारिका कहते हैं ।
अजितसेन द्वारा निरूपित उक्त आठ नायिका भेद आचार्य धनञ्जय एवं आचार्य विश्वनाथ से प्रभावित है।'
परवर्ती काल में आचार्य विद्यानाथ ने अजितसेन द्वारा निरूपित उक्त नायिका भेदों को स्वीकार कर लिया ।2
नायिकाओं की दृतियाँ -
सन्यासिनी, शिल्पनी, दासी, धात्री, पडोसिन, धोबिन, नाइन, तम्बोलिन इत्यादि सखियाँ इन नायिकाओं के दौत्य कार्य को सम्पादित करती हैं । इनके
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का द0रू0, 2/23 से 27 तक खि सा0द0, 3/75 से 86 तक प्रताप0, नायक प्रकरण, श्लोक - 41, 42
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