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मुग्धा केवल एक प्रकार) मध्या धीरा, अधीरा, धीराधीरा x ज्येष्ठा, कनिष्ठा प्रगल्भा धीर अधीरा, धीराधीरा x ज्येष्ठा कनिष्ठा
स्वकीयाः- शीलवती लज्जायुक्त तथा पतिव्रता होती है ।
परकीयाःक
अन्योढा.- अन्य परपीता श्रृंगार से अधिक सुसज्जित रहती है ।
ख कन्याः - शृगार में अधिक प्रेम नहीं रखती ।
साधारण स्त्री -
धन देने वाले नायक के प्रति प्रीति रखती है ये सभी की स्त्री हो स्कती है, जननुरजन ही इसका प्रधान कार्य है ।
मुग्धा .
नूतन काम वासना वाली नायिका जो रति आदि में असहमति व्यक्त करती है।
मध्याः
मनोभावों को छिपाने वाली तथा रतिकाल में मोहित होने वाली ।
प्रगल्भा.- अत्यन्त प्रस्फुटित काम वाली को प्रगल्भा कहते हैं ।
घरामध्या:- यातयात के परिश्रम से श्रान्त शरीर वाली धूल से रगी हुई आंखों वाली
रति के प्रति उदासीन ।
मध्या अधीरा - गिरते हुए आसुओं से और क्रुद्ध वचनों से नायक को कष्ट पहुँचाने
वाली होती है ।
मध्या धीराधीराः
नायक के चित्र को बार-बार जलाने वाली तथा बाद में कोपशान्ति पर रोने वाली होती है ।
प्रगल्भा धीरा
अपराधी नायक को सुरत सुख से वैचत कर देती है ।
प्रगल्भा अधीरा -
प्रियतम को कष्ट पहुँचाती है क्रोध को सफल करती है ।