________________
वैज्ञानिक वर्गीकरण:
अलकारों के वैज्ञानिक वर्गीकरण का श्रेय आचार्य रुद्रट को प्राप्त है इन्होंने वास्तव, औपम्य, अतिशय तथा श्लेष वर्ग मे किया ।
वास्तव
w
को वास्तव वर्ग के अलकारों मे अलकारों का उल्लेख किया गया है 2
11 सहोक्ति, (2) समुच्चय, (3) जाति (स्वभावोक्ति), (4) यथासख्य, ( 5 ) भाव, 160 पर्याय, 70 विषम, 8 अनुमान, (90 दीपक, 100 परिकर 110 परिवृत्ति, 0120 परिसंख्या 120 हेतु 140 कारणमाला, ( 150 व्यतिरेक, 0 160 अन्योन्य, 17 उत्तर ( 18 ) सार, 0 19 0 सूक्ष्म, ( 200 लेश, ( 21 ) अवसर (220 मीलित और 230 एकावली ।
औपम्य. -
सादृश्य, अतिशय और श्लेष से भिन्न हृदयावर्जक वस्तु स्वरूप कथन परिगणित किया है । इस वर्ग में निम्नलिखित
औपम्य वर्ग के अन्तर्गत उन अलकारों का परिगणन किया गया है जहाँ प्रकृत वस्तु के समान अप्रकृत वस्तु का विन्यास किया जाता है । 3
प्रकार है 4
।
2
3
4
-
10 उपमा, 24 उत्प्रेक्षा, (30 रूपक, 40 आपह्नुति,
2
50 सशय, 60 समासोक्ति, 70 मत, 8 उत्तर 19 अन्योक्ति 100 प्रतीप 110 अर्थात्तरन्यास, 120 उभयन्यास, 0 1 30 भ्रान्तिमान, 140 आक्षेप, 0150 प्रत्यनीक, 0160 दृष्टान्त, 170 पूर्व, 180 सहोक्ति, 191 समुच्चय, 1200 साम्य, 21
स्मरण ।
इस वर्ग मे इन्होंने 21 अलकारों का निरूपण किया है जो इस
वास्तवमिति तज्ज्ञेय क्रियते वस्तुस्वरूपकथनयत् । पुष्टार्थमविपरीत निरूपममनतिशयश्लेषम् ।।
दृष्टव्य वही 7 / 11, 12
वही - 8 / 1
वही
-
-
8/2, 3
रुद्रट
-
काव्यालंकार 7/10