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आश्रम के वर्णनीय विषय -
अजितसेन के अनुसार आश्रम के चित्रण मे मुनियों के समीप सिह हाथी और हिरण आदि की शान्तता, सभी ऋतुओं मे प्राप्त होने वाले फल-पुष्पादि की शोभा एव इष्टदेव के पूजन आदि का चित्रण करना अपेक्षित है ।' आचार्य केशव मिश्र ने आश्रम मे अतिथि पूजा, एण-मृग का विश्वास पूर्वक गमन करना, हिसक पशुओं की प्रशान्तता, यज्ञधूम का वर्णन, मुनि सुता का वर्णन, वृक्ष सेचन वल्कल धुमादि का वर्णन आवश्यक बताया है ।2 आचार्य केशव मिश्र कृत वर्णन अजितसेन कृत आश्रम वर्णन के समान ही है ।
युद्ध के वर्णनीय विषय -
__ अजित सेन के अनुसार युद्ध का वर्णन करते समय तूर्य आदि वाद्यों की ध्वनि, तलवार आदि की चमक, धनुष की प्रत्यचा पर बाण चढाना, छत्रभग, कवचभेदन गज, रथ एव सैनिकों का वर्णन करना आवश्यक है । केशव मिश्र के अनुसार युद्ध मे वर्म, तूर्य - निर्धात, शर - मण्डप, नदियों की आरक्तता छत्र, रथ, चामर, ध्वज गज आदि की छिन्नता - भिन्नता का प्रतिपादन तथा देवताओं के द्वारा की गयी विजय कालीन पुष्प वृष्टि का वर्णन करना चाहिए ।
आश्रमे मुनिपादान्ते सिहे भैणादिशान्तता । सर्वर्तुफलपुष्पादिश्रीरगीकृतपूजनम् ।।
अ०चि0 - 1/57
आश्रमेऽतिथिपूजेणविश्वासो हिस्रशान्तता । यज्ञधूमो मुनिसुता दुसेको वल्कल दुमा ।।
अ00 - 6/2
युद्ध तूर्यनिनादासिस्फुलिगशरसधय । छिन्नातपत्रवर्मभरथध्वजभटादय ।।
अ०चि0 - 1/58
युद्धे तु वर्मबलवीररजांसि तूर्य - निर्धातनादशरमण्डपरक्तनद्यः । छिन्नातपत्ररथचामरकेतुकुम्भि योधा सुरीवृतभटा सुरपुष्पवृष्टि ।।
अ00 - 6/2, पृ० - 63