Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 02
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

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Page 29
________________ कर्म फल विचार: || विज्ञाताहन्मते पुंसि, न खान्यात्मविबाधने / विचारकणिकाभेद, आत्मत्वस्याविशेषत: // 42 // अत एव !" आगमो- | जिनाचख्युरेषणासमिति मुनेः / अन्यथारभ्य दीक्षायाः, प्रोच्येतानशनक्रिया // 43 // अपवादानपि प्राहुः, द्धारक निर्ममानां महात्मनां / सेवनीयतया कालमनतिवृत्य वाङ्मये // 44 // सर्वत्र संयम रक्षेदात्मानं तु ततोऽपि च / कृति मुच्येत सोऽतिपातादे', शुद्धेनैवात्महिंसनम् // 45 // तथाच ज्ञानवृद्धयादिमपवादाश्रितिहिता / अवलम्ब्य, न। सन्दोहे यद्भिन्नं तस्मादात्मविशोधनम् // 46 // गीतः कृतयोगीत्यादिस्मृतेर्ज्ञानादिसाधने / अपवादे न दोषोऽस्ति, // 20 // प्रमादस्य तु शोधनम् // 47 // ये त्वेनत्सूत्रमालम्ब्य, यथाछन्दतयाटति / न तैर्शाता श्रुताम्नातापवादस्था विशुद्धता // 48 // उत्सर्गरक्षणे दक्षोऽपवादो नान्यलक्षणः / विहाराहत्पूजनादिः, स न यज्ञेऽङ्गिनां हुतिः // 49 // उत्सगपालनाशक्ता-चपवादावलम्बनं / निस्त्रिंशानां ततो युक्तो, न द्वितीयाश्रयः क्वचित् // 50 // सोपद्रवं पुरं घाम, ग्रामो वा द्वादशाब्दतः / अर्वाक त्याज्यतया गीत-धुर्याणां गीयते श्रुते // 51 // निःस्पृहाणामियं वार्ता, त्यागेऽपाययुताश्रितः / चेत्कथं न भवेद्वर्गत्रयसाधनधारिणाम् ? // 52 // यथैव तपस: पाप-प्रचितिः क्षयमा-N प्नुयात् / तथैवोपक्रमादायुरेति किं न क्षयं बुधाः ? // 53 // न यथर्ते तपः पाप्म-क्षयो महामुनेपि / नार्वाक / तथानुपक्रान्तस्यायुषस्त्रुटिसम्भवः // 54 // जीविते श्वसनो जीवोऽस्य त्रुटेः श्वसनं कथं ? / पार्थक्यमायुषो / नाम्नोऽवधार्येदं विचिन्त्यताम् // 55 // आयुषोऽध्यवसायाद्याः, श्रुतिसिद्धा उपक्रमाः / युक्ताऽऽश्रिते: सविनाया, हानिरायूरिरक्षिषोः // 56 // एवं च वध्यकर्माली, पेलवायां वधो मतः / तेनायुषो यतोऽकारि, स्थितस्यापि / यदुत्क्रमः // 57 / / तादृशं तेन बद्धं चेन विनोपक्रमं तथा / तेनासौ प्रेरितश्चेन्नाकर्मणां सा भवेत्क्वचित् // 58 // नचास्ति नियमस्तादृग्, यत्तेनासौ तथाकृतः / यतोऽज्ञानप्रमादादि, स्वादृष्टोद्भवमेव तत् // 59 // न च तत्प्रेरको जन्तुः, कषायादिविनाकृतः / न. चावनाभिसन्धेश्वाभावो येन न हिंसनम् // 60 // वधकोऽसौ न निर्लेपो, येन वध्यनसां चयः / वधे हेतुर्भवेदेको, नाश्रवः स्याद्विहिंसकः // 61 // हिंसाऽभावेऽपे या हिंसा, P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust // 20 //

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