Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 02
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 67
________________ I प्रक्षप्तपद आगमोद्धारककृतिसन्दोहे // 58 // वेत्तारः, प्रज्ञप्तमित्यवादिषुः // 7 // अतथ्यानाममूलानामर्थानां प्रतिपादने / असत्यश्रम्भसंसृत्यै, प्रज्ञप्तेति वचो I धृतम् // 8 // अप्रज्ञप्ते स्वयं क्लुप्तेऽप्यर्थे लोकमतीतये। प्रज्ञप्तमित्यवादिषुस्ते, भवभ्रान्तेरभीलुकाः // 9 // जैन मतं न कोप्यस्तीश्वरो विश्वविधायकः। न चैक एव सर्वज्ञस्तत्प्रज्ञप्तं न तत्परम् // 10 // विश्वस्यानादितोऽनन्ता, अतीते ईश्वराः पुनः / अनागतेप्यनन्तास्ते, विश्वस्यानाशिता यतः // 11 // विश्वे जीवादयो नित्या, येा आगमनोदिताः / जीवाजीवाश्रवबन्धसंवरा निर्जराऽव्ययम् ॥१२॥ज्ञानरूपोऽयमात्मा तत्क्षिप्त्वा' कर्माणि संवृतेः। प्राप्य केवलमर्थांस्तान् , सर्वज्ञो देशयेजनान् // 13 // पारम्पर्येण तीर्थेशा, आगमांश्च परस्परं / हेतुकार्यत्वमाश्रित्यानादितो भुवि जज्ञिरे // 14 // यदा ते गणभृद्भर्यानाश्रित्योचुर्विभावने / 'पनत्त'मिति तत्रेषोऽर्थों बधैरवधार्यते // 15 // ज्ञानं पञ्चविध तत्र. प्रकां केवलं मतं / सत्र प्रज्ञा तयेमेऽर्था. ज्ञाता IN युष्मान् ब्रवीम्यहम् // 16 // अत एवोच्यते शास्त्रेऽखिलानर्थान् जिनो विदन् / प्रज्ञापनीयान् गणिनोऑन , यतो वदति तच्छ्रतम् // 17 // आत्मागमत्वसूचायै, जिनः प्रज्ञाप्तमित्यवक् / अनन्ताः कालभेदेन, तथाप्येका प्ररूपणा // 18 // यतो ज्ञानं समस्तार्थ, जीवाद्याः शाश्वताः पुनः। न कालजीवभेदेन, द्वादशाङ्गयां विभिन्नता // 19 // स्वयम्बुद्धादिभिश्चात्र, प्राक् तीर्थे जिनभाषितं / उच्यते लब्धमित्येते, प्रज्ञप्तं प्राग जिनैर्जगुः // 20 // जातिस्मृत्यादिका प्रज्ञा, तयाप्तमिति कथ्यते / तैस्ततोऽतीततीर्थेशाख्यातमित्यवधार्यते // 21 // जिनोक्तानखिलानर्थान् , ज्ञात्वा ज्ञानचतुष्टयीं। दधानाः परमां शिष्यानूचुर्गणभृतस्त्विदम // 22 // गणभृनामकर्मोत्थामर्हद्वाण्युद्भवां पुनः। प्रकृष्टामाप यां प्रज्ञां, तयाऽऽप्तं जिनसाधितम् // 23 // अनन्तरागमार्थोऽयमागमो गणभृद्वजे / ततस्तत्सूचनायै तत् , प्रज्ञाऽऽसमिति कथ्यते // 24 // छद्मस्था वा समे जीवा, ज्ञानमन्वहमाश्रिताः। आन्तर्मुहूर्तिकं यस्मानोपयोगों लघुस्ततः // 25 // अईन्नेवानुसमयं, ज्ञानं दर्शनसंयुतं / दधाति सर्वदा प्राज्ञस्ततोऽर्हनेव नापरः // 26 // - - -- : // 58 // P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak

Loading...

Page Navigation
1 ... 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105