Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 02
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

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Page 90
________________ CRA आगमा- H यन्त्रेण वन्द्यते किञ्च, प्रत्यह। ID कथं न वनितालेख्यान्वितायां वसतौ स्थितिः // 5 // कथं वा यमिनां मूर्तिः, क्रियते पत्रगामिनी / यन्त्रेण वन्द्यते किञ्च, प्रत्यहं मार्गसंश्रितैः // 6 // न चानाचार एषोऽस्ति, चारित्रस्य बकुशिता / स्याद्यतः किन्तु प्रतिमाद्धारककृनि- सम्यक्त्व-हीनता श्रद्धया विना // 7 // न चाजीवस्य हिंसापि, क्रियते बन्धहेतुतः / अत एव न खण्डाश्वगवादेसन्दोहे | भक्षणक्रिया // 8 // ख्यातं च ख्यातसुश्लोकः, स्थानाङ्गेऽजीवहिंसनं / दोषद्विविधां हिंसां, दर्यमानै- हम पूजासिद्धिः गणोत्तमैः // 1 // नामापि जीवरूपं नो, तत्स्मृत्यास्तहि किं फलं ? / भावे न चेन्न सो वास्ति, किं काको / // 81 // वाऽस्यभक्षकः // 10 // भावतीर्थकरो लक्ष्य, आकृतेर्यदि सा प्रमा / किं प्रतिच्छन्दसत्यागः, कायोत्सर्गे न वक्तृता // 11 // द्वादश स्युः पर्षदो याः, सांमुखीनो जिनस्तदा / सर्वासामाकृतिभ्यस्तन्न भावादाकृतेभिदा // 12 // न लेप्यगोः पयःप्रादुर्भावश्चेकिं नु नामतः ? / अज्ञाताया दवीयस्याः, किं तर्हि भावतो भवेत् ? // 13 // भवान्तरे जिनाकार-ज्ञप्तिः स्याद्विम्बसंस्कृतेः। अन्यथाऽसंस्कृतेर्भावगोः पार्थे मृतिवन्न किम् ? // 14 // मिथ्यादृशां परित्याज्या, न वास्तिर्मुखे कथं / अर्चा नाा अजीवत्वादन्तिमेऽनर्थदण्डिता // 15 // द्वितीयेऽङ्गे श्रुतस्कन्धे, द्वितीये नागभूतयोः। कृतेऽर्चायाः कृता हिंसाऽनर्थदण्डो जिनैर्मतः // 16 // यदि च श्रीजिनेशानां, प्रतिमाकरणे वधः। स्यादनिष्टः स तत्रैव, निर्दिशेजिनपुङ्गवः // 17 // न च कुत्रापि म दण्डेऽसौ, न्यगादि पुरुषोत्तमैः / तनैषामर्चया हिंसा, फलोद्भदाद् भवाब्धिदा // 18 // चतुर्विधान समान्भावा- IN श्रद्दधानः सुदृष्टिकः। चेदाकारं न मन्यन्ते, कथं स्युस्ते नु तादृशाः ? // 19 // आवश्यकं प्रकुर्वाणा, धूरीणं के I वदन्त्वमी / भदन्तशब्दमाख्यान्तो, विहरन्तं जिनं यदि // 20 // न स साक्षान्न चामुष्य, तीर्थे यूयं यतोऽन्तिमं / .DI शासनं समतिकान्ति, पश्चव्रतसमन्वितम् // 21 // यदि च न प्रतिमाः स्युञ्छिापूत्य महादिना / किं दूरस्थ ISI // 1 // कल्पितेऽस्मिन्मनसि क्वचिदीक्षिता? // 22 // तथा चाऽजां निनीपोर्न, किं क्रमेलकवेशनं ? / भवेद्यत्संवरे II परमर I P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Tu

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