Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 02
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ अष्टक बिन्दुः र्चयेन्महादेवं, द्रव्यभावभिदाशुचिः / शुद्धथत्यन्तेऽसुमान्ध्यानादाद्यपीष्टं तदर्थंकृत् // 2 // द्रव्यभावाष्टपुष्पीयं, आगमो- स्वर्गमोक्षपदा मता / जात्याद्याऽऽद्य दयाद्यन्त्ये, भावः कर्मक्षयङ्करः // 3 // एधांस्यपानि धर्माग्निः, प्रबला धारक- भावनाहुतिः / अकामा मोक्षदा साधो रनवेत्यग्निकारिका // 4 // आज्ञास्थितोऽनुकम्पावानुपकारी सदाशयः / ईप्सेत्सम्पत्करी वृत्ति, पौरुषघ्नीं च वर्जयन् // 5 // भिन्नं न कल्पितं पाके, न कृतं न च कारितं / यतिना सन्दोहे / गृह्यतेऽनादि, न पुण्ययावदर्थिकम् // 6 // दीनादेर्दयया दाने, पुण्यं पापमिहान्यथा / भवाङ्गमेते तत् साधोः, प्रच्छन्नं भोजनं मतम् // 7 // जिनाज्ञाभक्तिसंवेग-युतोऽविध्यादिवर्जितः / विरतो भावतो द्रव्याच्चोक्तमित्यपि | // 24 // शोभन: // 8 // शान्तो हेयादिनिश्चायी, स्वस्थो न्यायादिवृत्तिमान् / तत्त्वसंवेदनः पात नैरपेक्ष्याद्यसङ्गत्तः 9 | कष्टं भवाङ्गगमिच्छेयं, तत्त्यागो ज्ञानसङ्गतं / वैराग्यं, नेष्टविरहात्, न मिथ्यात्वाच्च साधुता // 10 // तपः संवेगशमयुग, यावन्नेन्द्रियहीनता / पीडा न हीष्टसिद्धथात्र, स्यात्क्षयोपशमाद्धितं // 11 // धीमता ज्ञातशास्त्रोण, धर्मवादो ह्यनाग्रहः। मृत्यन्तरायौ न जये, बोधोऽस्य विद्वदर्चितः // 12 // लक्षणं न प्रमाणादेः, किन्त्वहिंसादिपञ्चकं / चिन्त्यं धर्मार्थिभिश्चेष्ट-सिद्धयर्थ क्यास्य योग्यता // 13 // नित्यो न हन्यते हन्ति, निष्क्रियत्वान संसृतिः। तदभावे न सत्यादि, क्रियायोगे समं शुभम् // 14 // अनित्योऽहेतुकं नश्येद्, हिंसको जनकः क्षणः। स्याद्वा शास्त्र उपन्यासो, निष्फलो:स्या भवेत्पुनः // 15 // नित्यानित्यः स्मृतेर्देहाद्भिन्नाभिन्नो यमं ततः। कदिये पि संक्लेशाद्धिसाऽहिंसा च भावतः // 16 // अचित्तादोदनाद्यद्यं, न प्राण्यङ्गात् समं कथं / मांस, लोकं समीक्ष्याख्याः, सशास्त्रं शास्त्रवित्तम 1 // 17 // नियोगेऽभक्षणादोषोऽन्यदात्तिनहि दोषकृत् / महाफला निवृत्तिः किमविरक्तिर्हि दुष्टता // 18 // सञ्चित्तनाशनं मद्य, प्रत्यक्षेणैव भण्डनं / भ्रष्टशक्तिरषिर्धान्तोऽतस्तद्वयं विवेकिमिः / // 19 // प्रोक्तं हथधीत्य स्नायात्तन्नादोष मथुनं क्वचित् / सत्त्वान्तकमधर्मस्य, मल त्याज्यं विषान्नवत् // 20 // 1 // 24 धमर्हः सूक्ष्मधीलर्लानौषधदातेय नेतरः / श्रुतादृते प्रवज्यादिदाताप्येतद्विघातकः // 21 // मार्गानुसारिणी शुद्धिर्न P.P.AC. Gunratnasuri Ms. -... .... Jun Gun Aaradhak Trust

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105