Book Title: Agam 39 Mahanishith Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र ३९, छेदसूत्र-५, 'महानिशीथ'
अध्ययन/उद्देश/सूत्रांक मुनिपन के आचार का आचरण करके एक क्षेत्र में भी गीतार्थ सौ साल तक रहे तो वो आराधक हैं।
सूत्र-७६७
जिसमें भोजन के समय साधु की मांडली में पात्र स्थापन करनेवाली हो तो वो स्त्री राज्य है, लेकिन वो गच्छ नहीं है।
सूत्र-७६८
जिस गच्छ में रात को सौ हाथ ऊपर साध्वी को जाना हो तो चार से कम नहीं और उत्कृष्ट से दश । ऐसे साध्वी विचरण न करे तो वो गच्छ नहीं है।
सूत्र-७६९-७७०
अपवाद से और कारण हो तो चार से कम साध्वी एक गाऊं भी जिसमें चलते हो वो गच्छ किस तरह का? हे गौतम! जिस गच्छमें आँठ से कम साधु मार्गमें साध्वी के साथ अपवाद से भी चले तो उस गच्छ में मर्यादा कहां
सूत्र- ७७१
जिसमें ६३ भेदवाले चक्षुरागाग्नि की उदीरणा हो उस तरह से साधु-साध्वी की ओर दृष्टि करे तो गच्छ के लिए कौन-सी मर्यादा सँभाली जाए?
सूत्र-७७२
जिसमें आर्या के वहोरे हए पात्रा दंड आदि तरह-तरह के उपकरण का साधु परिभोग करे हे गौतम ! उसे गच्छ कैसे कहें?
सूत्र - ७७३, ७७४
अति दुर्लभ बल-बुद्धि वृद्धि करनेवाले शरीर की पुष्टि करनेवाले औषध साध्वी ने पाए हो और साधु उसका इस्तमाल करे तो उस गच्छ में कैसे मर्यादा रहे ?
शशक, भसक ही बहन सुकुमालिका की गति सुनकर श्रेयार्थी धार्मिक पुरुष को सहज भी (मोहनीयकर्म का) भरोसा मत करना।
सूत्र-७७५
दृढ़ चरित्रवाले गुण समूह ऐसे आचार्य और गच्छ के वडील के सिवा जो किसी साधु या साध्वी को हुकुम करे तो वो गच्छ नहीं है।
सूत्र - ७७६
मेघ गर्जना, दौड़ते अश्व के उदर में पैदा हुए वायु जिसे कुहुक बोला जाता है, बिजली जैसे पहचान नहीं सकते, उसके समान गूढ़ हृदयवाली आर्या के चंचल और गहरे मन को पहचान नहीं सकते । उनको अकृत्य करते, गच्छ नायक की ओर से निवारण न किया जाए तो - वो स्त्री राज्य है लेकिन गच्छ नहीं है । सूत्र-७७७
तपोलब्धियुक्त इन्द्र से अनुसरण की गई प्रत्यक्षा श्रुतदेवी समान साध्वी जिस गच्छ में कार्य करती हो वो स्त्री राज है लेकिन गच्छ नहीं है।
मुनि दीपरत्नसागर कृत् (महानिशीथ) आगम सूत्र-हिन्दी अनुवाद
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