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द्वितीयं परिशिष्टम् ।
विभागः
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सूत्रनाम मोकसूत्र मोय (सुत्त) म्रक्षणसूत्र
सूत्रस्थलम् उ० ५ सू० ३७ उ० ५ मू०३७ उ० ५ सू० ४०
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पत्रादि १५७८ १५७८ (गा० ५९७६) १५८७,१५८८,१५९० (टि०२) १६५१,१६५२ ९०६ (गा० ३२४२)
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यक्षाविष्टासूत्र रच्छा (सुत्त) रथ्यामुखापणगृहादिसूत्र रात्रिभक्तसूत्र
उ० ६ भू० १२ उ० १ सू० १२-१३ उ० १ सू० १२-१३ उ० १ ० ४२-४३
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९०६
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८४०,८६२,८७५ (दि. २-४); १३२७
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१३०८
रोधकसूत्र वगडा (सुत्त)
उ० ३ सू० ३० उ०१ सू० १०-११
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७४८ (गा० २६६७), ९०६ (गा० ३२४२) ६४९,७४८,९०६ ९०६ (गा० ३२४१) १४९९,१५०१ १२३०
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उ.
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वगडासूत्र वस्यादिचत्तारि (सुत्ताणि) उ० १ सू० ३८-४१ वर्षावाससूत्रद्वय उ० ४ सू० ३६-३७ वस्त्रपरिभाजनसूत्र उ. ३ सू० १६ वनादिसूत्र
उ०१ सू० ३८-४१ विकटसूत्र
उ. २ सू० ४ विष्वरभवनसूत्र
उ. ४ सू० २९ विसुंमणसुत्त
उ. ४ सू० २९
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९५२,९५६ १४५८,१४८१ १४५८ (गा० ५४९७), १४८१ (गा० ५५९५) १४५८ (गा०५४९७ टि०३) ७७८ (गा. २७५९)
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विस्संभणसुत्त वेरजविरुद्धसुत्त
उ०१ सू० ३७ वैराज्यविरुद्धराज्यसूत्र उ०१ सू० ३७ श्रोतःसूत्र
उ० ५ स० १४ षड्विधकल्पसूत्राणि उ. ४ सू० ४-९ षड्विधकल्पस्थितिसूत्र पट्टिधसचित्तद्रव्यकल्पसूत्राणि उ०४ सू० ४-९ समवसरणसूत्र
उ. ३ सू० १५ समोसरणसुत्त . सलोमसूत्र
उ. ३ सू० ३-४ संस्तृतनिर्विचिकित्ससूत्र उ० ५ सू०६ संस्तृतविचिकित्ससूत्र उ० ५ सू० ७ सागारिकसूत्र
उ. १ स. २२-२९
१५६१,१५६२ १३८१ १७०५,१७०६ १३८० ११४९,११६४ ११४९ (गा०४२३५) ९३२
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१५३३,१५३४ ६९६,९०६ १३२२
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