Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 322
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । ९९ गाथा मज्झे गामस्सऽगडो मज्झे जग्गंति सया मज्झेण तेसि गंतुं मज्झे व देउलाई गाथा मंडलियाए विसेसो मंतखेण ण इच्छति س س س विभाग: गाथाङ्कः २ ११०४ २६६४ २६३० २९३० ३४७२ ४५१४ ५७९८ ११७९ ११९२ ४२५ ه ه م विभागः गाथाङ्कः ४ ४३२४ ५ ५३३५ टि०२ ४६२४ ५ ५३३५ ४ ४७२३ २ २१०४ ४ ४६७९ ४ ४६०४ ४ ४६०७ २ ११५४ २ १७५१ ३९१७ २५१६ दि.२ ३ २५१६ मंत णिमित्तं पुण रायमंदक्खेण ण इच्छति मंदटिगा ते तहियं च पत्तो मंसाइपेसिसरिसी माइल्ले बारसगं माइस्स होति गुरुगो माउम्माया य पिया मा एवमसग्गाहं मा काहिसि पडिसिद्धो माणाहियं दसाधिय माणुस्सयं पि तिविहं م ه م م ४ ४४४९ १४१ ४ ४०६५ ५ ५९८४ ३ ३२३४ १ ७८३ २ १७४३ ५ ५६१५ ६११४ ९१८ माणुस्सं पिय तिविहं माणे हुज अवनो माता पिया य भगिणी माता भगिणी धूता ३ २८२३ ५ ५२४५ ६ ६१७६] मज्झे वा उवरि वा मण एसणाए सुद्धा मणिरयणहेमया वि य मणुए चउमन्नयर मणुयतिरिएसु लहुगा मणुयतिरियपुंसेसुं मणो य वाया काओ अ मतिविसयं मतिनाणं मत्तभगेण्हणे गुरुगा मत्तग मोयाऽऽयमणं मत्तासईए अपवत्तणे वा मदवकरणं नाणं मन्नंतो संसर्ट मयण च्छेव विसोमे मयं व जं होइ रयावसाणे मरणगिलाणाईया मरणभएणऽभिभूते मरिसिजइ अप्पो वा मरुएहि य दिदंतो मलेण घत्थं बहुणा उ.वस्थं मसगो व्च तुदं जच्चामहजणजाणणया पुण महज्झयण भत्त खीरे महतर अणुमहतरए महद्धणे अप्पधणे व वस्थे महिहिए उट्ट निवेसणे य महिमाउस्सुयभूए महिलाजणो य दुहितो महिलासहावो सरवन्नमेओ महुणो मयणमविगई महुराऽऽणत्ती दंडे मंगलसद्धाजणणं मंडलिठाणस्सऽसती मंडलितकी खमए ३ २८४५ २ १२६१ १०१२ मा निण्हव इय दाउं मा निसि मोकं एजसु मा पडिगच्छति दिण्णं मा पयल गिण्ह संथारगं मा मरिहिह त्ति गाढं मा मं कोई दच्छिह मा य अवणं काहिह माया पिया व भाया माया भगिणी धूया १ ४३९७ ३ २९६७ rrrrrrrrrrrrrrrrr ९२२ ६२५० ३५७४ ४ ४१३७ ४ ४७०६ ६ ६१७६ ५ ५२४५] ६२१२ २ १७७२ ५ २२०० ५६७७ २२४६ ४८३० मालवतेणा पडिया माला लंबति हत्थं माले सभावओवा मा वच्चह दाहामि मा सब्वमेयं मम देहमन्नं मासस्सुवरि वसती मासादी जा गुरुगा मा सीदेज पडिच्छा मासे पक्खे दसरायए ५१४४ १७११ ६२४४ ४४४२ २०७६ १७२१ । २ २०२३ ५९३० ४९५४ १६८४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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