Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 348
________________ षष्ठं परिशिष्टम् । १२५ विभाग: पत्राङ्क: गाथाचाधपदम् दंदे य बहुव्वीही [अनुयोगद्वारे ] १ १०५ दंसो तिक्ख निवाएण दातुरजतचित्तस्य दिगिच्छापरीसहे २ ३७८ [उत्तराध्ययने अ० २ गद्यम् ] दिट्ठा सि कसेरुमई ६ १६१० गाथाद्याद्यपदम् विभागः पत्राङ्कः नरिथ न निचो न कुणइ [कल्पवृहद्भाष्ये] नन्यादिभ्योऽनः १ २२० [सिद्धहैमे ५-१-५२] न मांसभक्षणे दोषः [मनुस्मृतौ १. ५लो. ५६] न य बहुगुणचाएणं [पञ्चवस्तुके गा०.३८१] न या लभेजा निउणं सहायं २ ३७९ दशवकालिके चू० २ गा० १.] न वि लोणं लोणिजह [ कल्पवृहद्भाष्ये] नाम्नि पुंसि च [सिद्धहैमे ५-३-१२१] मायम्मि गिण्हियब्वे ६ १७०७ [आवश्यकनिर्युक्तौ गा० १०५४,१६२२] नालस्पेन समं सौख्यं दीर्घहसौ मिथो वृत्तौ ६ १६८८ सिद्धहैमे ८-१-४] दीहो वा हस्सो वा ४ १०५४ [प्रवचनसारोद्धारे गा०६६८] हमाशो ब्रह्मदत्ते दो असईओ पसई। दोहिं दिवसेहिं मासगुरुए नियमा अक्खरलंभो निसीहियाए परिविओ ५ १४६० [वृद्धसम्प्रदायः] २ ४५७ धम्मऽस्थसस्थकुसला नीयदुवारं तमसं] धर्मो यमोपमापुण्य [ हैमानेकार्थे द्विस्व० श्लोक १३५ ] धूवि धूनने [दशवकालिके अ० ५० १ गा० २.] नेयं कुल क्रमायाता नेयाउयस्स मग्गस्स न करेह सयं साहू न चिरं जणि संवसे मुणी २ ५८६ [ऋषिभाषिते अ० २७ गा.११ नटुम्मि उ छाउमथिए नाणे । १ ४२ नेरईएणं भंते! नेरईएस ४ ११३९ [भगवत्या श० ४ उ० ९ प्रशापनायां प०१७ उ०३] नैवास्ति राजराजस्य ५ १५११ प्रशमरतो आ० १२८] नो कप्पइ निग्गंथाण वा पुढवीका- २ ३०७ [आवश्यकनियुक्तौ गा० ५३९] नत्थि नएहिं विहूर्ण [आवश्यकनियुक्ती गा० ७६१] नो दुष्कर्मप्रयासो न २ ३५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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