Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

Previous | Next

Page 281
________________ पट्नम परिशिष्टम् । गाथा कोयव पावारग दाकोलालियावणो खलु कोल्लुपरंपर संकलि को वोच्छिइ गेलण्णे कोसग नहरक्खट्टा कोसंबाऽऽहारकते कोसाऽहिसलकंटग कोहाई अपसत्थो कोहो माणो माया 9-rar Nur we & विभागः गाथाङ्कः गाथा विभागः गाथाङ्क: ४ ३८२३ खामित-वोसविताई ६ ६११८ ४ ३४४५, [ , ६ ६१२८] खामिय वितोसिय विणा- ३ २६७८ खामिय-वोसवियाई ६ ६१२८ ३ २८८५ ६६११०] खामिंतरस गुणा खलु २ १३७० २८८९ खित्तबहिया व आणे २ १९०४ ४ ४२४५ खित्तम्मि उ अणुयोगो १ १६२ २ ८३१ खित्तरिम उ जावइए १ ३४ खित्तम्मि जम्मि खित्ते ४ ४२४४ खित्तस्स उ पडिलेहा २ २०५२ खित्तं वत्थु सेतुं ४ ४७६४ ४ ४३३२ खित्ताइ मारणं वा ५ ५७२४ ४३३० खित्ताऽऽरक्खिणिवेयण ५ ५४३२ २९६८ खित्ते काल चरित्ते ૨ ૧૬૩૪ [श्यतां "खेत्ते काल चरित्ते" गाथा ] खित्तेण य कालेण य ४ ४२४६ ३ २८५० खित्ते भरहेरवए १ १४० खित्तेहिं बहू दीवे १ १६१ खित्तोग्गहप्पमाणं ४ ४६५३ खिवणे वि अपावंतो २ ९१६ ६१५७ खिंसाए होंति गुरुगा ४१४६ ५७५० खिसावयणविहाणा ६ ६१२५ ६ ६१२६ खिसिजइ हम्मइ वा २ १२६० ३ २९५४ खीणकसाओ अरिहा २ १७८१ २५२८ खीणम्मि उदिन्नम्मी १ १२१ २९७ खीणेहि उ निव्वाणं ३ २६८४ १ २९९ खीरदहीमादीण य ५ ५३०० १ ४७९ खीरमिउपोग्गलेहिं १ २२८ ३ २९८६ खीरमिव रायहंसा १ ३६६ ४ ४६२९ खीरं बच्छुच्छि8 २ १७४५ ४६२६ खुड़ग! जणणी ते मता . ६ ६०७५ ४०९१ खुडुं व खुडियं वा ५ ५०९५ खुड्डी थेराणऽप्पे ३ २९८८ खुड्डो धावण युसिरे खुद्दो जणो णस्थि ण यावि दूरे ३ ३२३९ ६ ६३७३ खुरअग्गिमोयगोच्चार १ ५८ खुलए एगो बंधो ४ ३८७० खुहिया पिपासिया वा d d m खजूरमुद्दियादाखणणं कोण ठवणं खमएण आणियाणं खमए लक्ष्ण अंबले खमओ व देवयाए खमगस्साऽऽयरियस्सा खमणं निमंतिते ऊ खमणं मोहति गिच्छा खमणे य असज्झाए खर अयसिकुसुंभ सरिसव खरए खरिया सुण्हा खरओ त्ति कहं जाणसि खरफरुस निटुराई खरसझं मउयवई खरंटण वेंटिय भायण खरिया महिड्डिगणिया खलिए पत्थरसीया खलिय मिलिय वाइद्ध खंडम्मि मरिगयम्मी खंडे पत्ते तह दब्भखंताइसिटऽदिते खंते व भूणए वा खंधकरणी उ चउहस्थखंधारभया नासति खंधारादी नाउं खंधेऽणंतपएसे खंधे दुवार संजति खाणुगकंटगवाला खाणू कंटग विसमे = 40 x 4 q ở tô ở « « Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424