Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 319
________________ ९६ गाथा विषय मो गुरुगा बियपयं गेलने बिग्मि श्वणदेवय वियम्मि विह विवित्ता बिइयम्मि समोसरणे वियम्मि होंति तिरिया बिइयं ताहे पत्ता विइयं वसहमतिते विइयं विविवित्ता बिइयं सुलगाही चियादे से भिक्खू विति एणोकोयंती बितिय णिसाए पुच्छा वितयततिसु नियमा वितियदनुक्षण जतणा बितियपदे उ गिलाणरस वितियमहसंथडे वा बितियम्मि वि दिवसम्मि वितियं अच्छतिकरो वितियं पहुचं वितियं उपाए वितियं पभुनिसिए बितियाड पदम पुव्वि बियमहिषासु लगा बिले न उति न खजमाणि विले मूर्ख गुरुगा वा वीए वि नत्थि खीरं बीएहि उ संसत्तो बीएहि कंद्रमादी श्रीभेज बाहिं उचितो उ सुट्टो बीत एव खुड्डे बीयमबीए नाउं बीयमबीयं नाउं बाई आइ बुद्धीवलं हीणबला वयंति बेई दिअमाईणं बोरी यदितो Jain Education International विभागः गाथाङ्कः २ १७३१ ३ २८७२ ३ २५०८ ३ २९७१ टि०२ ४ ४२९७ २ ११९० ४ **** ५ ५५४४ २९७१ २ १५२६ ३ २८६६ २ ९९२ ४ ४ ४१९४ ४०५९ ५ ४९१० ३ ३२१५ ४ ४६१४ ५ ४९३३ ५ ५७२५ ५ ५३९० ५ ५५९२ ४ ४६४९ ५ ५२६४ ५ ५६७२ २ १३९२ २८५२ ३ १ ४ पञ्चमं परिशिष्टम् । ४ ४ ४ १ २३७ ३६८० ૩૩૨૧ ४४०३ ४४०२ २२० टि०७ १ २२० ४ २२०४ ३ ३२५४ ३ २९०९ ५ ५२९७ गाथा बोलं पभायकाले बोलेण झायकरणं 39 बोहिक तेणभयादिसु बोहिमिच्छादिभए भइया उ दव्त्रलिंगे भगंदर्क जरसरिसा व निलं भग्गऽम्ह कडी अम्भुडभगविभग्गा गाहा भट्टि ति अमुगभट्टि भडमाइभया णट्टे भइ जइ एस दोस्रो 39 भइ जहा रोगतो भइ य दिट्ट निवत्ते भणति जति ऊणमेवं भणमाणे भणाविंते भणिओ आलिद्धो या भण्णइ न अण्णगंधा भण्णइ न सो सयं चिय भण्णति उवेच्च गमणे भण्णति सज्झमसझं भगमालोए भत्तट्टण सज्झाए भट्टणा य विहि भत्तट्ठिय बाहाडा भट्टिया व खमगा 33 भत्तपरिष्ण गिलाणे भत्तमदाणमते भत्तस्स व पाणस्स व भतं वा पाणं वा भत्तादि संकिलेसो भ भत्तिविभवाणुरुवं भत्ते मे ण कर्ज भत्तेण व पाणेण व भत्ते पण्णवण निगू भत्ते पाणे विस्सामणे For Private & Personal Use Only विभागः गाथाङ्कः ४ ४७५२ ३ २३२३ ३ २६५९ ५ ५१११ ३ ३१३७ २ ४ ४ ४ ६ ४ २ २ २ ६ ५ ५ ५ २ २ ३ ५ ४ ४ २ ४ २ २ ३ ४ ५ २ २ १६३९ ४१०२ ५ ३ ५ ३ ४४६० ४५७० ६१२७ ४७६० १७२२ १७३३ ११४९ ६०८० ५८४९ ५४५७ ५७०९ १७३७ ११५० ३१७७ ५२७९ ४ ૩૮૨ २४८९ '' ४३७२ २०४९ ४८३७ १५६२ १५७६ ४०६९ ५६०७ १८८८ १२०९ ५३२२ २९०७ ५०७६ २९०४ www.jainelibrary.org

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