Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 313
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । गाथा पव्वइहं ति य भणिते पच्वइहं ति य वुत्ते विभागः गाथाङ्कः ४ ४६६५ विभागः गाथाङ्क: २ १८९९ २ १५९७ ३ २९२१ ४ ४४७८ २९४० ५८९८ ५२९३ ४२७६ २६०८ १५५० टि०१ ६४५१ ५४२० २ १५४२ س م ک نه पव्वज अट्ठवासस्स पव्वज्जएगपक्खिय पञ्चज सावओ वा पञ्चजाए अभिमुहो पवज्जाए असत्ता पन्बजाए मुहुत्तो पञ्चज्जाए सुएण य पवजा य नरिंदे पवजा सिक्खापय سر به م ه گر ५ ५४२२ २ १३५१ २ ११३२ २ १४४६ ११५६ ४ ४७३४ م له पन्चयणं च नरिंदे पग्वयसि भाम कस्स पञ्चावण मुंडावण گه له २ २ م गाथा परिताव महादुक्खे परिताविजइ खमओ परिनिट्टिय जीवजढं परिपिंडिए व वंदइ परिभुजमाण असई परिमाणे नाणतं परिमियभत्तपदाणे परियहिए अभिहडे परियारसहजयणा परिवार परिस पुरिसं परिवारपूयहे परिवारो से सुविहितो परिवासिय आहारस्स परिसाइ अपरिसाई परिसाडिमपरिसाडी परिसिल्ले घटलहुगा परिहरणा अणुजाणे परिहरणा वि य दुविहा परिहारकप्पं पवक्खामि परिहारिओय गच्छे परिहारिओ वि छम्मासे परिहारियमठवते परिहारियमठविते परिहीणं तं दव्वं पलंबादी जाच ठिती पलिमंथविप्पमुकस्स पलिमंथे मिक्खेवो पलियंक अद्ध उकुडुग पवत्तिणि अभिसेगपत्ता पवर्यणघाति व सिया पक्यणघाया अन्ने पक्यणवोच्छेए वट्टपविटुकामा व विहं महंत पब्रिमणुवयारं पत्रिसण मगण ठाणे पविसंते भायरिए पविसंते जा सोही पब्वइओ हंसमणो पब्बयस्सय सिक्खा ४५५१ ५९९८ ७६० २०२४ ५३६६ १६५९ २ १८३७ ६ ६४४७ ६०३४ ६४७४ २६९६ ५७३० १९७७ ६४८७ १४१४ १४३० १६३५ ५०७३ م م هم १३१२ یک .0mmmms... ل पवावणिज बाहिं पवाविओ सिय त्ति उ .. पसिणापसिणं सुमिणं पस्संतो वि य काए परसामि ताव छिई पहरणजाणसमग्गो पंकपणएसु नियमा पंकसलिले पसाओ पंको खलु चिक्खल्लो पंच उ मासा पक्खे पंचण्हं एगयरे م ३ २२३७ २१६० ६ ६१८९ ६ ६३१४ ४३३९ ५८७१ ६ ६१८० ५ ५७५८ ५४५२ ५४६७ ५ ५६२० ४ ३८८७ ४ ३६७० २६ पंचण्हं गणेणं ३ ३२०३ पंचण्डं वण्णाणं ४ ४४७७ पंचण्हं वस्थाणं ४३७५ पंच परूवेऊणं २ १५६९ पंच परूवेतूणं पंचमगम्मि वि एवं २ ११४४ पंचम छ स्सत्तमिया २ ११४३ । पंचमहब्वयतुंगं MSC5 ५६२१ २४७४ ४ ४५९१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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