Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 316
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । गाथा विभागः गाथाङ्कः पुत्तो पिया व भाया ४ ३७४१ पुत्तो वा भाया वा ४ ३७३६ पुप्फपणिएण आरा ४ ३६५० पुप्फपुर पुप्फकेऊ पुया व घस्संति अणस्थुयम्मि पुरकम्मम्मि कयम्मी २ १८४९ गाथा पुचण्हे लेपगहणं पुग्वण्हे लेवगमं पुव्वण्हे लेवदाणं विभागः गाथाङ्क: १ ४९२ ४९१ टि.. ४४०७७ ६ ६४०० १५०२ १४४५ २ १८०८ २ १३७२ २ पुत्रतरं सामइयं पुनहिडेविच्छह पुव्वपडिवनगाण वि पुवपविटेहिं समं पुब्बपवित्तं विणयं पुन्वन्भासा भासेज पुब्वभणिए य ठाणे पुवभणियं तु जं एस्थ १८५६ ३ ३ २२१७ २५५४ ا टि०१ س س ५ ५६६४ ४ ३६२४ ३ २९०२ २ २०८९ २९०१ २ २१११ २ १८२८ ४ ३५४१ ३ ३२०० ४ ३६१३ ३ ३०८० ४ ४२१७ ६ ६२५८ १ ४१० ه ه पुवभणियं तु पुणरवि पुधभविगा उ देवा पुन्वभवियवेरेणं पुवभवे वि अहीयं पुवमभिन्ना भिन्ना पुत्वविराहियसचिवे पुग्वसयसहस्साई पुब्वं चरित्तसेढीपुच्वं चिंतेयव्वं पुव्वं ति होइ कहओ पुव्वं पच्छा जेहिं पुवं पच्छुद्दिष्टे س ه पुरकम्मम्मि य पुच्छा पुरतो दुरुहणमेगतो पुरतो पसंगपंता पुरतो य पासतो पिटुतो पुरतो य मग्गतो या पुरतो वचंति मिगा पुरतो व मग्गतो वा पुरतो वि हु जं धोयं पुरपच्छिमवज्जेहिं पुराणमाईसु व णीणति पुराण सागं व महत्तरं वा पुराण सावग सम्मपुराणादि पण्णवेळ पुरिमाण दुम्विसोझो पुरिमाणं एकस्स वि पुरिमेहिं जइ वि हीणा पुरिसजाओ अमुगो पुरिसम्मि दुन्विणीए पुरिससागारिए उवपुरिसा य भुत्तभोगी पुरिसावायं ति विहं पुरिसिस्थिगाण एते पुरिसुत्तरिओ धम्मो पुरिसेसु भीरु महिलापुरिसे हिंतो वत्थं पुव्वगता भे पडिच्छह पुवघरं दाऊण व पुवटिए व रतिं पुवटियऽणुण्णवियं पुचण्हे अपट्टबिए पुवण्हे अवरहे ي ६ ६४५० ४५०५ ५३६९ २ ११३८ १ ३८७ یک ६ ६४०३ ५ ५३४८ १ २०७ २ १६८६ १७८२ ३ २५५६ ३ २६०२ १४२३ ४६८२ २२८५ ५ ५१४७ گر م ५४१३ م ५ ५४१६ مه orrm Merr पुवं पि अणुवलद्धो पुव्वं भणिया जयणा पुव्वं व उवक्खडियं पुव्वं सुत्तं पच्छा पुवाउत्ते अवचुल्लि पुन्यावरसंजुत्तं पुवावरायया खलु पुचि अदया भूएसु पुस्ति छिन्नममत्तो ३ ३०९१ ३ ३१२८ १ १९० २ १९५६ ५ ५१८५ १६७८ २९३२ ४७७१ مه ४ ३८५९ २ १३४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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