Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha
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पञ्चमं परिशिष्टम् ।
विभागः गाथाङ्कः
गाथा
गाथा खेत्ततो निवेसणाई
विभागः गाथाहः
६ ६०८४ ५ ५७६२
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२०९
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खेत्तबाहि भद्धजोयण खेत्तम्मि खेत्तियस्सा खेत्तम्मि य वसहीय य खेत्तस्संतो दूरे खेत्तं चलमचलं वा खेत्तं तिहा करिता खेतंतो खेतबहिया
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४२९३
७४०
५७६८ ३ २१९७
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गच्छसि ण ताव गच्छं गच्छा अणिग्गयस्सा गच्छे जिणकप्पम्मि य गच्छे सबालवुड्ढे गच्छो अ अलद्धीओ गच्छो य दोन्नि मासे गड्डा कुडंग गहणे गणओ तिन्नेव गणा गणगोट्टिमादिभोजा गणचिंतगस्स एत्तो गणणाए पमाणेण य गणधर एव महिड्डी गण निक्खेवित्तरिओ गणमाणओ जहन्ना गणहर आहार अणुत्तरा गणहरथेरकयं वा गणि आयरिए सपदं
५ ५३९४
४६५४ ४ ४८४६ ४ ४८४४ २ १४८२ ५ ५८३८
५८४२ २ ८२५ २ ८२६ ३ २७३१ २ १४१३ २ १४२९ २१६३४]
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खेत्तं वत्थु धण धन्न खेत्तं सेउं केलं खेत्तादकोविओवा खेत्ते काल चरित्ते
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३६४९ ३९८८ ४००२ ४९८२ १२८५ १४४३
१९९७ १ १४४ ३ २१४३ ५ ५८३३ २ १३६७ १ २६२ २ २०८४ ३ २४१ २ १०३०
खेत्ते जबावादी खेत्ते निवेसणाई खेत्ते भरहेरवएसु खेत्तोयं कालोयं खेत्तोवसंपयाए खेयविणोओ साहस खेयविणोओ सीसगुणखोलतयाईसु रओ
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१२८९
गइठाणभासभावे गह भास वस्थ हत्थे गएहिं छहिं मासेहिं
४ ४४८९ ६ ६४५८ ५ ५१४५
२ १४३१ गणि गणहरं ठवित्ता २ ९५८ गणिगा मरुगीऽमचे ५ ५४०८ गणिणिभकहणे गुरुगा
गणिणिसरिसो उ थेरो १२१५ गणिवसभगीतपरिणाम९१२ गणि वायए बहुस्सुए
गणि! वायग! जिटुज! १ ७५१ गणोवहिपमाणाई ५ ५१४६ गती भवे पच्चवलोइयं च ६ ६४७६ गमणं जो जुत्तगती ६ ६४७७ गमणाऽऽगमण वियारे २ १२६५ गमणाऽऽगमणे गहणे ५ ५६८९ ३ २०६५ गमणे दूरे संकिय ४ ४५४२ गम्मइ कारणजाए १६५६ गब्बो अवाउडतं
गब्वो हिम्मदवता १५८३ गहणं च गोम्मिएहिं ४ ४५३४ गणं तु अहागडए ५ ५२५१ गहणं तु संजयस्सा ६ ६४८३ | गहणे चिटणिसीयण
१४७५ ५ ५८६९ ४ ३६८४
३७२१
गच्छइ वियारभूमाइ गच्छगय निग्गए वा गच्छगहणेण गच्छो गच्छपरिरक्खणट्ठा गच्छम्मि उ एस विही गच्छम्मि उ पट्टविए गच्छम्मि एस कप्पो गच्छम्मिणियमकजं गच्छम्मि पिता पुत्ता गच्छम्मि य णिम्माया
३८५६
३
२३७०
४
३८००
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