Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 310
________________ पञ्चमं परिशिष्टम् । ८७ विभागः गाथाङ्क: गाथा विभागः गाथाङ्क: ५ ४४८०४ २ १९४५ २ १९२६ ४ ४.४३ ५ ५२६८ ५ ५०५८ ५ ५५९४ ६ ६२८१ २ १०१६ १ २६८ ४९३४ ४९३७ ५२७१ १६५८ १५७४ गाथा पच्छनासति बहिया पच्छाकडाइ जयणा पच्छाकडे य सन्नी पच्छित्त पण जहणं पच्छित्तपरूवणता पच्छित्तमणंतरियं पच्छित्तमेव पगतं पच्छित्तं इत्तिरिओ पच्छित्तं खु वहिजह पजव पुवुद्दिट्टा पजायजाईसुततो य वुड्डा पजोए णरसीहे पजोसवणाकप्पो पहऽड्डोरुय चलणी पट्ट सुवले मलए पट्टो वि होइ एक्को पट्टीवंसो दो धारणाउ पडणं अवंगुतम्मि पडिकते पुण मूलं पडिकुट देस कारण पडिगमणमन्त्रतिस्थिग पडिलंबणा पलं पडिलाभणऽट्टमम्मि पडिलाभणा उ सड्डी पडिलाभणा बहुविहा पहिलेहण निक्खमणे पडिलेहण संथारग पडिलेहणा उ काले पडिलेहणा दिसा णंपडिलेह दियतुभट्टण पडिलेह पोरुसीओ पडिलेहंत चिय दें. पडिलेहा पलिमंथो पडिलेहियं च खित्तं पडिलेहियं च खेतं ५५०० १९०३ १५४४ ३८७७ २०६९ ४ ४२२० ६५३२ ४ ४११९ २. १५१ ३ २३७९ ४ १०८५ १ ५८२ १ ४०७१ ५ ५७७२ ३. २८८१ २ १०५४ ३ २६०३ २ १८७८ पडिलेहोभयमंडलि पडिवक्खेणं जोगो पडिवजमाणगा वा परिवजमाण भइया १४४४ २ १७३७ २ १६४७ ३ ३२३४ ه ه ه ४ २ ३५९ ९४७ २३२६ نه पडिचरिहामि गिलाणं पडिजग्गंति गिलाणं पडिजग्गिया य खिप्पं पडिणीय णिवे एंते परिणीय तेण सावय पडिणीय मेच्छ मालव पडिपह नियतमाणम्मि पडिपुच्छं वायणं चेव पडिपुण्णा पडुकारा पडिबद्धा इभरे विय पडिबद्धे को दोसो पडिमाए झामियाए पडिमाए पाउता वा पडिमाझामण भोरुमण पडियरिङ सीहेणं पडियं पम्हुटुं वा पडिरूववयस्थाया पडिवत्तिकुसल अजा पडिवचा जिणिदस्स पडिवेसिग एकघरे पडिसहगस्स सरिसं पडिसामियं तु अच्छा पडिसिद्ध त्ति तिगिच्छा पडिसिद्धविवक्खेसुं पडिसिद्धं खलु कसिणं पडिसिद्धा खलु लीला पडिसेधे पडिसेधो पडिसेवणअणवट्ठो पडिसेवणपारंची पडिसेवणाए एवं ४५६३ ३ २३५८ ३७५६ ३ २३८९ ६ ६४७१ ४१९६ २ १४४० २ २०१४ ४ ३४६५ ६ ६३७० २ ५ mcccmm ९८२ ५५६८ ५०६२ १९८५ २४८२ २५२४ २५४१ ४९५८ १९४३ २८९९ ३ ३ १ ७२२ पडिसेवंतस्स तहिं ४ ३७२५ पडिसेह भजयणाए ५ ५७०० । पहिसेह अलंभे वा ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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