Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Author(s): Bhadrabahuswami, Chaturvijay, Punyavijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

Previous | Next

Page 256
________________ गाथा अपच्छिणेतरेसिं अपहिता सोड अपमज्जणा अपचिलेहणा अपरपरिग्गहितं पुण अपराइ मार्ण अपरायत्तं नाणं अपरिग्गहा उ नारी अपरिग्गहिय अभुत्ते अपरिग्गहिय पलंबे अपरिग्गहियागणिया अपरिमिए आरेण वि अपरिस्साई मसिणो अपरिहरतस्से ते अपुब्वपुंसे अवि पेहमाणी अप्पक्खरमसंदिद्धं अप्पगंध महस्थं अप्पचओ अकिती अप्पचय णिग्भयया " अप्पचय वीसत्थ अप्पच्छित्ते य पच्छित्तं अप्प चिरपरिचरणे अप्पडिलेहिय कंटा अप्पडिलेहियदोसा अप्पडिसेधे लडुगा अप्पणी आज से सं अप्पणो की तकडे वा अप्पण्या व गोणी अप्पत्ताण उदितेण अप्पत्ताण निमित्तं अप्पत्ते अकहित्ता 99 39 39 " अप्पत्ते जो उ गमो अप्पत्ते वि भलंभो Jain Education International विभागः गाधाङ्कः ४७१४ १९३० ४५४ ४७७२ ४ २ ง ४ १ २९ टि०१ 9 २९ ५ ५०९९ ३ ३१०४ २ ९२१ ६ ६२८९ २ १६१३ २३६४ ४२९८ ३२३१ ३ ४ पञ्चमं परिशिष्टम् । ३ ง १ २८५ २७७ ७८५ ५०३४ ५१३४ ५७८१ ६४२२ ४७५३ ४ ४३७८ २ १४५३ ५ ५३६७ टि०२ १ ५ ५ ५ ६ ४ ६ ६४५६ ४ ४२०० ५ २३.६ १ ७२४ ३ २४९५ १ ४११ ง ४१५ १ ४७१ 9 ५३१ 9 ६४९ २ ९१३ २ १५९५ गाथा अप्पपरत्तिएणं अप्पपरपरिक्षाओ अप्पविति अप्पतितिया अप्पभुणा उ विदिष्णे अप्पभु लहुओ दिव णिसि अप्पमभि व अध्यरिणामगमरणं अपस्सुवा जे अविकोविता वा अप्पा असंथरंतो अप्पाहारस्स न हूंअप्पुण्यमतिहिकरणे अप्पुन्य विवित्स बहु अप्पुव्वस्स अगणं अप्पुत्रेण तिपुंज अप्पेव सिद्धतमजानमाणो अप्पे वि पारमाणि अप्पोदगा व मग्गा अप्पो व गच्छो महती य साला अप्पोलं मिदुप म्हं च अफासुरण देखे अबहुस्सुअस देह व अब हुस्सुए अगीयत्थे भबहुस्सुताऽविसुद्धं अभत्थितो व रण्णा अभरहियस्स हरणे अम्भ-हिम-वास महिया अब्भासे व वसेज्जा अभितरमज्झबहिं अभितर मालेवो अभितरं च बज्झं अभितरं व बाहि अम्भुजयं बिहार अट्ठाणे असण अट्ठाणे गुरुगा अम्भुट्टा लडुगा अम्भे नदी तलाए अम्भोगमा ओवक्रमा अमणितो कोइ न इच्छ अभतद्वीणं दा For Private & Personal Use Only विभागः गाधाङ्कः ४ ४४८१ ४ ४०१० ३७४४ ३५६१ ३५५९ १३९० ३०५९ ३६३१ ३९८५ १३३१ ४ ४ ४ २ ३ ४ ४ २ १ ३ 9 9 ૪ ५ २ ५ ४ ง ง १ ४ ५ ३ ५ ४ २ ५ ४ ४ ३३ ५ २ २ ४ २ ५६८ २७५३ ६९९ १०८ ३५३२ ५२०७ १५४० ४९२० ३९७८ ५८५ ७०४ ७०३ ४७३५ ५०५४ २७९० ५८११ ३७८१ ११७८ ६०१४ ३६०४ ३६६६ ४९८१ १९३३ १९३४ ४४१६ १२३९ २ १३८८ २ 1663 9 ५१३ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424