Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 42
________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश/सूत्र तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, प्रत्येकशरीर बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर निगोद अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर अप्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर वायुकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म पृथ्वीकायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म अप्कायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्तक विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म निगोद पर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्तक अनन्तगुणे हैं, बादर पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, बादर अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, बादर जीव विशेषाधिक हैं, सूक्ष्म वनस्पतिकायिक अपर्याप्तक असंख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म अपर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं; सूक्ष्म वनस्पतिकायिक पर्याप्तक संख्यातगुणे हैं, सूक्ष्म पर्याप्तक जीव विशेषाधिक हैं, उनसे भी सूक्ष्म जीव विशेषाधिक हैं। सूत्र - २६७ भगवन् ! इन सयोगी, मनोयोगी, वचनयोगी, काययोगी और अयोगी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं? गौतम ! सबसे अल्प जीव मनोयोगी हैं, वचनयोगी जीव असंख्यातगुणे हैं, अयोगी अनन्तगुणे हैं, काययोगी अनन्तगुणे हैं, उनसे भी सयोगी विशेषाधिक हैं। सूत्र-२६८ भगवन् ! इन सवेदी, स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी, नपुंसकवेदी और अवेदी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव पुरुषवेदी है, स्त्रीवेदी संख्यातगुणे हैं, अवेदी अनन्तगुणे हैं, नपुंसकवेदी अनन्तगुणे हैं, उनसे भी सवेदी विशेषाधिक हैं। सूत्र-२६९ भगवन् ! इन सकषायी, क्रोधकषायी यावत् लोभकषायी और अकषायी जीवों में से कौन यावत् विशेषा-धिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े जीव अकषायी हैं, मानकषायी जीव अनन्तगुणे हैं, क्रोधकषायी जीव विशेषाधिक हैं, मायाकषायी जीव विशेषाधिक हैं, लोभकषायी विशेषाधिक हैं और (उनसे भी) सकषायी जीव विशेषाधिक हैं। सूत्र- २७० भगवन् ! इन सलेश्यों, कृष्णलेश्यावालों, यावत् शुक्ललेश्यावालों एवं लेश्यारहित जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े शुक्ललेश्यी , पद्मलेश्यी संख्यातगुणे हैं, तेजोलेश्यी संख्यातगुणे हैं, लेश्या-रहित अनन्तगुणे हैं, कापोतलेश्यी अनन्तगुणे, नीललेश्यी विशेषाधिक; कृष्णलेश्यी विशेषाधिक, उनसे सलेश्य विशेषाधिक हैं सूत्र-२७१ भगवन् ! सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि एवं सम्यमिथ्यादृष्टि जीवों में कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े सम्यमिथ्यादृष्टि हैं, सम्यग्दृष्टि जीव अनन्तगुणे हैं उनसे भी मिथ्यादृष्टि जीव अनन्तगुणे हैं । सूत्र - २७२ भगवन् ! आभिनिबोधिकज्ञानी यावत् केवलज्ञानी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे अल्प मनःपर्यवज्ञानी हैं, अवधिज्ञानी असंख्यातगुणे हैं, आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी; ये दोनों तुल्य हैं और विशेषाधिक हैं, उनसे केवलज्ञानी अनन्तगुणे हैं । भगवन् ! इन मति-अज्ञानी, श्रुत-अज्ञानी और विभंगज्ञानी जीवों में से कौन यावत् विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े विभंगज्ञानी हैं, मति-अज्ञानी और श्रुत-अज्ञानी दोनों तुल्य हैं और अनन्तगुणे हैं । भगवन् ! इन आभिनिबोधिकज्ञानी, यावत् विभंगज्ञानी जीवोंमें से कौन यावत् विशेषाधिक हैं? गौतम ! सबसे अल्प मनःपर्यवज्ञानी हैं, अवधिज्ञानी असंख्यातगुणे हैं, आभिनिबोधिकज्ञानी और श्रुतज्ञानी दोनों तुल्य हैं और विशेषाधिक हैं, विभंगज्ञानी असंख्यातगुणे हैं, केवलज्ञानी अनन्तगुणे हैं, मति-अज्ञानी और श्रुत-अज्ञानी, दोनों तुल्य हैं मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 42

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