Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 129
________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश /सूत्र पद-२१-अवगाहना-संस्थान सूत्र-५०९ इस में सात द्वार हैं-विधि, संस्थान, प्रमाण, पुद्गलचयन, शरीरसंयोग, द्रव्यप्रदेशों का अल्पबहुत्व एवं शरीरावगाहना-अल्पबहुत्व। सूत्र-५१० भगवन् ! कितने शरीर हैं ? गौतम ! पाँच-औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण । औदारिक-शरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का, एकेन्द्रिय यावत् पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर । एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! पाँच प्रकार का, पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर । पथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, सक्ष्म और बादर । सूक्ष्मपृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, पर्याप्तक और अपर्याप्तक० इसी प्रकार बादर-पृथ्वीकायिक समझ लेना । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक तक जानना। द्वीन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, पर्याप्त और अपर्याप्त० । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जानना । पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, तिर्यंचपंचेन्द्रिय और मनुष्य-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर । तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है? गौतम ! तीन प्रकार का, जलचर, स्थलचर और खेचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय औदारिकशरीर । जलचर-तिर्यंच-योनिकपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, सम्मुर्छिम० और गर्भज जलचरतिर्यंचपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर । सम्मूर्छिम-जलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, पर्याप्तक और अपर्याप्तक० इसी प्रकार गर्भज को भी समझ लेना। स्थलचर-तिर्यंचयोनिक -पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, चतुष्पदस्थलचर० और परिसर्प-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर । चतुष्पद-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, सम्मूर्छिम और गर्भज-चतुष्पद० । सम्मूर्छिम-चतुष्पदस्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, पर्याप्तक और अपर्याप्तक० । इसी प्रकार गर्भज को भी समझना । परिसर्प-स्थलचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, उरःपरिसर्प और भुजपरिसर्प-स्थलचर० उरःपरिसर्प-स्थलचर-तिर्यंचयोनिकपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम दो प्रकार का, सम्मूर्छिम और गर्भज-उर:परिसर्प० सम्मूर्छिम उर:परिसर्प दो प्रकार का है, अपर्याप्तक और पर्याप्तक-सम्मूर्छिम-उर:परिसर्प इसी प्रकार गर्भज-उरःपरिसर्प और भुजपरिसर्प भी समझ लेना । खेचर-तिर्यंचयोनिक-पंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर भी दो प्रकार का यथा-सम्मूर्छिम और गर्भज | सम्मूर्छिम दो प्रकार के हैं, पर्याप्त और अपर्याप्त । गर्भज को भी ऐसे ही समझना । मनुष्य-पंचेन्द्रिय औदारिकशरीर कितने प्रकार का है ? गौतम ! दो प्रकार का, सम्मूर्छिम और गर्भज-मनुष्य० । गर्भज-मनुष्यपंचेन्द्रिय-औदारिकशरीर दो प्रकार का है, पर्याप्तक और अपर्याप्तक-गर्भज-मनुष्य० । सूत्र-५११ औदारिकशरीर का संस्थान किस प्रकार का है ? गौतम ! नाना संस्थान वाला । एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर किस संस्थान का है ? गौतम ! नाना संस्थान वाला । पृथ्वीकायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर मसूर-चन्द्र जैसे संस्थान वाला है । इसी प्रकार सूक्ष्म और बादर पृथ्वीकायिकों भी समझना । पर्याप्तक और अपर्याप्तक भी इसी प्रकार जानना । अप्कायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर का संस्थान स्तिबुकबिन्दु जैसा है । इसी प्रकार का अप्कायिकों के सूक्ष्म, बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तकों को समझना । तेजस्कायिक-एकेन्द्रिय-औदारिकशरीर का संस्थान सूइयों के ढेर जैसा है। इसी प्रकार सूक्ष्म, बादर, पर्याप्त और अपर्याप्तों के शरीरों को समझना । वायु-कायिक का संस्थान पताका समान है । इसी प्रकार सक्षम, बादर, पर्याप्तक और अपर्याप्तकों को भी समझना । वनस्पतिकायिकों के शरीर का संस्थान नाना प्रकार का मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 129

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