Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar
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आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना'
पद/उद्देश/सूत्र सूत्र-६०७
भगवन् ! इन वेदना, कषाय, मारणान्तिक, वैक्रिय, तैजस, आहारक और केवलिसमुद्घात से समवहत एवं असमवहत जीवों में कौन किससे अल्प, बहत, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम आहारकसमुद्घात से समवहत जीव हैं, (उनसे) केवलिसमुद्घात से समवहत जीव संख्यातगुणा है, उनसे तैजससमुद्घात से समवहत जीव असंख्यातगुणा है, उनसे वैक्रियसमुद्घात से समवहत जीव असंख्यातगुणा है, उनसे मारणान्तिक-समुद् घात से समवहत जीव अनन्तगुणा है, उनसे कषायसमुद्घात से समवहत जीव असंख्यातगुणा है, उनसे वेदनासमुद् घात से समवहत जीव विशेषाधिक है और (इन सबसे) समवहत जीव असंख्यातगुणा है । सूत्र-६०८
____ भगवन् ! इन वेदना, कषाय, मारणान्तिक एवं वैक्रियसमुद्घात से समवहत और असमवहत नैरयिकों में अल्पबहुत्व-गौतम ! सबसे कम मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत नैरयिक हैं, उनसे वैक्रियसमुद्घातवाले असंख्यात गुणा हैं, उनसे कषायसमुद्घातवाले नैरयिक संख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत नारक संख्यातगुणा हैं, (इन सबसे)असमवहत नारक संख्यातगुणा हैं। भगवन् !इन वेदनासमुद्घात से, कषाय-समुद्घात से, मारणान्तिक समुद्घात से, वैक्रियसमुद्घात से तथा तैजससमुद्घात से समवहत एवं असमवहत असुर कुमारों में अल्पबहुत्व०? गौतम! सबसे कम तैजससमुद्घात से समवहत असुरकुमार हैं, (उनसे) मारणान्तिक-समुद्घात से समवहत असुर कमार असंख्यातगणा हैं, (उनसे) वेदनासमुदघात से समवहत असुरकुमार असंख्यात-गुणा हैं, (उनसे) कषायसमुद् घात से समवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं, (उनसे) वैक्रियसमुद्घात से समवहत असुरकुमार संख्यातगुणा हैं और (इन सबसे) असंख्यातगुणा अधिक हैं-असमवहत असुरकुमार । इसी प्रकार स्तनितकुमारों तक जानना।
भगवन् !वेदना, कषाय एवं मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत तथा असमवहत पृथ्वीकायिकों में अल्पबहुत्व? गौतम! सबसे कम मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक हैं, कषायसमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक उनसे संख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत पृथ्वीकायिक विशेषाधिक हैं और इन सबसे असमवहत पृथ्वीकायिक असंख्यातगुणा हैं । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक तक समझना । विशेष यह कि वायुकायिक जीवों में सबसे कम वैक्रियसमुद्घात से सहवहत वायुकायिक हैं, उनसे मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत वायुकायिक असंख्यातगुणा हैं, उनसे कषायसमुद्घात से समवहत वायुकायिक असंख्यातगुणा हैं और उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत वायुकायिक विशेषाधिक हैं तथा (इन सबसे) असंख्यात-गुणा अधिक हैं असमवहत वायुकायिक जीव ।
इन वेदना, कषाय तथा मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत एवं असमवहत द्वीन्द्रिय जीवों में अल्पबहुत्वगौतम ! सबसे कम मारणान्तिकसमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय हैं । उनसे वेदनासमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय असंख्यातगुणा हैं, उनसे कषायसमुद्घात से समवहत द्वीन्द्रिय संख्यातगुणा और इन सबसे असमवहत द्वीन्द्रिय संख्यातगुणा अधिक हैं । इसी प्रकार चतुरिन्द्रिय तक जानना । वेदना, कषाय, मारणान्तिक, वैक्रिय तथा तैजस-समुद् घात समवहत पंचेन्द्रियतिर्यंचों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे कम तैजससमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यंच हैं, उनसे वैक्रियसमुद्घातवाले असंख्यातगुणा हैं, उनसे मारणान्तिकसमुद्घात वाले असंख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घातवाले असंख्यातगुणा हैं तथा उनसे कषायसमुद्घात से समवहत पंचेन्द्रियतिर्यंच संख्यातगुणा हैं और इन सबसे संख्यातगुणा अधिक हैं असमवहत पंचेन्द्रियतिर्यंच।
भगवन् ! वेदना यावत् केवलिसमुद्घात से समवहत एवं असमवहत मनुष्यों में अल्पबहुत्व-गौतम ! सबसे कम आहारकसमुद्घात से समवहत मनुष्य हैं, उनसे केवलिसमुद्घातवाले संख्यातगुणा हैं, उनसे तैजससमुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं, उनसे वैक्रियसमुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं, उनसे मारणान्तिकसमुद्घात वाले असंख्यातगुणा हैं, उनसे वेदनासमुद्घात वाले असंख्यातगुणा हैं तथा उनसे कषायसमुद्घात वाले संख्यातगुणा हैं और इन सबसे असमवहत मनुष्य असंख्यातगुणा हैं । वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिकों के (समुद्घात विषयक अल्पबहुत्व की वक्तव्यता) असुरकुमारों के समान (समझनी चाहिए ।)
मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद"
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