Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 172
________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश /सूत्र पद-३६-समुद्घात सूत्र-५९९ जीवों और मनुष्यों के ये सात समुद्घात होते हैं-वेदना, कषाय, मरण, वैक्रिय, तैजस, आहार और कैवलिक । सूत्र-६०० भगवन् ! समुद्घात कितने हैं ? गौतम ! सात-वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात, मारणान्तिकसमुद्घात, वैक्रियसमुद्घात, तैजससमुद्घात, आहारकसमुद्घात और केवलिसमुद्घात | भगवन् ! वेदनासमुद्घात कितने समय का है ? गौतम ! असंख्यात समयोंवाले अन्तमुहूर्त का । इसी प्रकार आहारकसमुद्घात पर्यन्त कहना । केवलिसमुद् घात आठ समय का है। भगवन ! नैरयिकों के कितने समदघात हैं ? गौतम ! चार-वेदना, कषाय, मारणान्तिक एवं वैक्रियसमदघात । भगवन् ! असुरकुमारों के कितने समुद्घात हैं ? गौतम ! पाँच-वेदना, कषाय, मारणान्तिक, वैक्रिय और तैजससमुद् घात । इसी प्रकार स्तनितकुमारों पर्यन्त कहना । पृथ्वीकायिक जीवों के तीन समुद्घात हैं । वेदना, कषाय और मारणान्तिकसमुद्घात । इसी प्रकार चतुरिन्द्रियों पर्यन्त जानना । विशेष यह कि वायुकायिक जीवों के चार समुद्घात हैं, वेदना, कषाय, मारणान्तिक और वैक्रियसमुद्घात । पंचेन्द्रियतिर्यंचों से लेकर वैमानिकों पर्यन्त पाँच समुद्घात हैं, यथा-वेदना, कषाय, मारणान्तिक, वैक्रिय और तैजससमुद्घात । विशेष यह कि मनुष्यों के सात समुद्घात हैं, यथावेदना यावत् केवलिसमुद्घात । सूत्र-६०१ भगवन् ! एक-एक नारक के कितने वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं ? हे गौतम ! अनन्त । भगवन् भविष्य में कितने होने वाले हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते । जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन होते हैं और उत्कृष्ट संख्यात, असंख्यात या अनन्त होते हैं । इसी प्रकार असुरकुमार से वैमानिक तक जानना । इसी प्रकार तैजससमुद्घात तक जानना । इसी प्रकार ये पाँचों समुद्घात भी समझना । भगवन् ! एक-एक नारक के अतीत आहारकसमुद्घात कितने हैं ? गौतम ! वे किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते । जिसके होते हैं, उसके भी जघन्य एक या दो होते हैं और उत्कृष्ट तीन होते हैं । एक-एक नारक के भावी समुद्घात कितने हैं ? गौतम ! किसी के होते हैं और किसी के नहीं होते । जिसके होते हैं, उसके जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट चार समुद्घात होते हैं । इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना । विशेष यह कि मनुष्य के अतीत और अनागत नारक के आहारकसमुद्घात के समान हैं। एक-एक नारक के अतीत केवलिसमुद्घात कितने हुए हैं ? गौतम! नहीं है । भगवन् ! भावी कितने होते हैं ? गौतम ! किसी के होता है, किसी के नहीं होता । जिसके होता है, उसके एक ही होता है । इसी प्रकार वैमानिक पर्यन्त कहना । विशेष यह कि किसी मनुष्य के अतीत केवलिसमुद्घात किसी को होता है, किसी को नहीं होता । जिसके होता है, उसके एक ही होता है । इसी प्रकार भावी (केवलिसमुद्घात) को भी जानना। सूत्र-६०२ नारकों के कितने वेदनासमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! अनन्त । भावी वेदनासमुद्घात कितने होते हैं ? गौतम ! अनन्त । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । इसी प्रकार तैजससमुद्घात पर्यन्त समझना । इस प्रकार इन पाँचों समुद्घातों को चौबीसों दण्डकों में बहुवचन के रूप में समझ लेना। नारकों के कितने आहारकसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! असंख्यात । आगामी आहारकसमुद्घात कितने होते हैं ? गौतम ! असंख्यात । इसी प्रकार वैमानिकों तक समझ लेना । विशेषता यह कि वनस्पतिकायिकों और मनुष्यों की वक्तव्यता में भिन्नता है, वनस्पतिकायिक जीवों के आहारकसमुद्घात अनन्त अतीत हुए हैं ? मनुष्यों के आहारकसमुद्घात कथंचित् संख्यात और कथंचित् असंख्यात हुए हैं । इसी प्रकार उनके भावी आहार-कसमुद्घात भी समझ लेना । नैरयिकों के कितने केवलिसमुद्घात अतीत हुए हैं ? गौतम ! एक भी नहीं है । कितने केवलिसमुद् मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 172

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