Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 139
________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश/सूत्र है, उसको आधिकरणिकीक्रिया तथा जिस जीव के आधिकरणिकीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! वे दोनों होती हैं । जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है उसके प्राद्वेषिकीक्रिया और जिसके प्राद्वेषि-कीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! दोनों होती हैं । जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है, उसके पारितापनिकी तथा जिसके पारितापनिकी क्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिस जीव के कायिकीक्रिया होती है, उसके पारितापनिकीक्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं, किन्तु जिसके पारितापनिकीक्रिया होती है, उसके कायिकीक्रिया नियम से होती है। इसी प्रकार प्राणातिपातक्रिया भी जानना। इस प्रकार प्रारम्भ की तीन क्रियाओं का परस्पर सहभाव नियम से है । जिसके प्रारम्भ की तीन क्रियाएं होती हैं, उसके आगे की दो क्रियाएं कदाचित होती हैं, कदाचित नहीं: जिसके आगे की दो क्रियाएं होती हैं, उसके प्रारम्भ की तीन क्रियाएं नियम से होती हैं । जिसके पारितापनिकीक्रिया होती है, उसके प्राणातिपातक्रिया तथा जिसके प्राणाति-पातक्रिया होती है, उसके पारितापनिकीक्रिया होती है ? गौतम ! जिसको पारितापनिकीक्रिया होती है, उसको प्राणातिपातक्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं, किन्तु जिस जीव के प्राणातिपातक्रिया होती है, उसके पारिता-पनिकीक्रिया नियम से होती है। जिस नैरयिक के कायिकीक्रिया होती है उसके आधिकरणिकीक्रिया होती है ? गौतम ! सामान्य जीव के समान समझ लेना । इसी प्रकार वैमानिक तक कहना । भगवन् ! जिस समय जीव के कायिकीक्रिया होती है, क्या उस समय आधिकरणिकीक्रिया तथा जिस समय आधिकरणिकीक्रिया होती है, उस समय कायिकीक्रिया होती है ? क्रियाओं के परस्पर सहभाव के समान यहाँ भी वैमानिक तक कहना । जिस देश में जीव के कायिकीक्रिया होती है, उस देश में आधिकरणिकीक्रिया होती है ? पूर्ववत् वैमानिक तक कहना । जिस प्रदेश में जीव के कायिकीक्रिया होती है, उस प्रदेश में आधिकरणिकीक्रिया होती है ? पूर्ववत् जानना । इस प्रकार जिस जीव के, जिस समय में, जिस देश में और जिस प्रदेश में ये चार दण्डक हैं। भगवन् ! आयोजिता क्रियाएं कितनी हैं ? गौतम ! पाँच-कायिकी यावत् प्राणातिपात क्रिया । नैरयिकों से लेकर वैमानिकों तक इसी प्रकार कहना । जिस जीव के कायिकी-आयोजिताक्रिया होती है, उसके आधिकरणिकीआयोजितक्रिया और जिसके आधिकरणिकी-आयोजिताक्रिया होती है, उसके कायिकी-आयोजिताक्रिया होती है? पूर्ववत् इस तथा अन्य अभिलाप के साथ जिस जीव में, जिस समय में, जिस देश में और जिस दण्डक यावत वैमानिकों तक कहना । भगवन ! जिस समय जीव कायिकी, आधिकरणिकी और प्रादेषिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है, उस समय पारितापनिकी अथवा प्राणातिपातिकी क्रिया से स्पृष्ट होता है । गौतम ! कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से स्पृष्ट होता है, कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया से स्पृष्ट होता है, किन्तु प्राणातिपातक्रिया से नहीं, कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा पारितापनिकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से (भी) अस्पृष्ट होता है तथा कोई जीव, एक जीव की अपेक्षा से जिस समय कायिकी, आधिकरणिकी और प्रादेशिकी क्रिया से अस्पृष्ट होता है, उस समय पारितापनिकीक्रिया और प्राणातिपातक्रिया से भी अस्पष्ट होता है। सूत्र-५३० भगवन् ! क्रियाएं कितनी हैं ? गौतम ! पाँच-आरम्भिकी, पारिग्रहिकी, मायाप्रत्यया, अप्रत्याख्यानक्रिया और मिथ्यादर्शनप्रत्यया । भगवन् ! आरम्भिकीक्रिया किसके होती है ? गौतम ! किसी प्रमत्तसंयत को होती है । पारिग्रहिकीक्रिया ? गौतम ! किसी संयतासंयत के होती है | मायाप्रत्ययाक्रिया ? गौतम ! किसी अप्रमत्तसंयत के होती है । अप्रत्याख्यानक्रिया ? गौतम ! किसी अप्रत्याख्यानी के होती है। मिथ्यादर्शनप्रत्ययाक्रिया ? गौतम ! किसी मिथ्यादर्शनी के होती है। भगवन् ! नैरयिकों को कितनी क्रियाएं हैं ? गौतम ! पाँच-आरम्भिकी यावत् मिथ्यादर्शनप्रत्यया । इसी प्रकार वैमानिकों तक जानना । जिस जीव के आरम्भिकीक्रिया होती है उस के पारिग्रहिकीक्रिया तथा जिस के पारिग्रहिकी मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 139

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