Book Title: Agam 15 Pragnapana Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 74
________________ आगम सूत्र १५, उपांगसूत्र-४, 'प्रज्ञापना' पद/उद्देश /सूत्र पद-८-संज्ञा सूत्र- ३५४ भगवन् ! संज्ञाएं कितनी हैं ? गौतम ! दश । आहारसंज्ञा, भयसंज्ञा, मैथुनसंज्ञा, परिग्रहसंज्ञा, क्रोधसंज्ञा, मानसंज्ञा, मायासंज्ञा, लोभसंज्ञा, लोकसंज्ञा और ओघसंज्ञा । भगवन् ! नैरयिकों में कितनी संज्ञाएं हैं ? हे गौतम ! पूर्ववत् दश । इसी प्रकार पृथ्वीकायिक यावत् वैमानिक तक सभी जीवों में दश संज्ञाएं हैं। सूत्र - ३५५ भगवन् ! नैरयिक कौन सी संज्ञावाले हैं ? गौतम ! बहुलता से बाह्य कारण की अपेक्षा वे भयसंज्ञा से उपयुक्त हैं, (किन्तु) आन्तरिक अनुभवरूप से (वे) आहार-भय-मैथुन और परिग्रहसंज्ञोपयुक्त भी हैं । भगवन् ! इन आहारसंज्ञोपयुक्त, भयसंज्ञोपयुक्त, मैथुनसंज्ञोपयुक्त एवं परिग्रहसंज्ञोपयुक्त नारकों में से कौन किनसे अल्प, बहुल, तल्य अथवा विशेषाधिक है? गौतम ! सबसे थोडे मैथनसंज्ञोपयक्त, नैरयिक हैं, उनसे संख्यातगणे आहारसंज्ञोप-यक्त हैं, उनसे परिग्रहसंज्ञोपयुक्त नैरयिक संख्यातगुणे हैं और उनसे भी संख्यातगुणे अधिक भयसंज्ञोपयुक्त नैरयिक हैं। भगवन ! तिर्यंचयोनिक जीव ? गौतम ! बहलता से बाहा कारण की अपेक्षा आहारसंज्ञोपयक्त होते हैं, (किन्तु) आन्तरिक सातत्य अनुभवरूप से आहार यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त भी होते हैं । भगवन् ! इन आहारसंज्ञोपयुक्त यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त तिर्यंचयोनिक जीवों में कौन, किनसे अल्प, बहुल, तुल्य अथवा विशेषाधिक हैं ? गौतम ! सबसे कम परिग्रहसंज्ञोपयुक्त तिर्यंचयोनिक होते हैं, (उनसे) मैथुनसंज्ञोपयुक्त संख्यातगुणे, (उनसे) भयसंज्ञोपयुक्त संख्यातगुणे और उनसे भी आहारसंज्ञोपयुक्त संख्यातगुणे हैं। भगवन् ! मनुष्य ? गौतम ! बहुलता से बाह्य कारण से (वे) मैथुनसंज्ञोपयुक्त होते हैं, (किन्तु) आन्तरिक सातत्यानुभवरूप भाव से आहार यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त भी होते हैं । भगवन् ! आहारसंज्ञोपयुक्त यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त मनुष्यों में कौन किनसे अल्प, बहुल, तुल्य या विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े मनुष्य भवसंज्ञोपयुक्त होते हैं, (उनसे) आहारसंज्ञोपयुक्त संख्यातगुणे, (उनसे) परिग्रहसंज्ञोपयुक्त संख्यातगुणे, उनसे संख्यातगुणे मैथुनसंज्ञोपयुक्त हैं। भगवन् ! देव ? गौतम ! बाहुल्य से बाह्य कारण से (वे) परिग्रहसंज्ञोपयुक्त होते हैं, (किन्तु) आन्तरिक अनुभवरूप से (वे) आहार यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त भी होते हैं । भगवन् ! इन आहारसंज्ञोपयुक्त यावत् परिग्रहसंज्ञोपयुक्त देवों में से कौन किनसे अल्प, बहुल, तुल्य अथवा विशेषाधिक होते हैं ? गौतम ! सबसे थोड़े आहारसंज्ञोपयुक्त देव हैं, (उनसे) भयसंज्ञोपयुक्त संख्यातगुणे, (उनसे) मैथुनसंज्ञोपयुक्त संख्यातगुणे और उनसे संख्यात-गुणे परिग्रहसंज्ञोपयुक्त देव हैं। पद-८-का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण मुनि दीपरत्नसागर कृत् “ (प्रज्ञापना) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 74

Loading...

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181